Liquor scam: CG शराब घोटाला में ED का बड़ा खुलासा: इन 3 तरीकों से किया गया 21 सौ करोड़ का भ्रष्‍टाचार

Liquor scam: छत्‍तीगसढ़ के चर्चित शराब घोटाला में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने कोर्ट को उन 3 तरीकों की जानकारी दी जिसके जरिये 21 सौ करोड़ रुपये के भ्रष्‍टाचार को अंजाम दिया गया।

Update: 2024-08-12 07:40 GMT

Liquor scam: रायपुर। प्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए 21 सौ करोड़ रुपये के घोटाला की केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फिर से जांच शुरू कर दी है। ईडी इस बार राज्‍य की एजेंसी एसीबी-ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच कर रही है। इसी सिलसिले में ईडी ने मामले के दो प्रमुख आरोपी माने जा रहे अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को रिमांड पर लिया है। कोर्ट ने दोनों को 14 अगस्‍त तक के लिए ईडी की रिमांड पर सौंपा है। इधर, ईडी ने प्रदेश में 21 सौ करोड़ रुपये का शराब घोटाला होने का खुलासा किया है। ईडी ने वो 3 तरीके भी बताए हैं जिनके जरिये शराब की खरीदी-बिक्री में भष्‍टाचार किया गया।

ईडी के अनुसार शराब घोटाला के आरोपियों ने पहले सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रत्येक मामले में रिश्वत ली गई। दूसरा प्रदेश सरकारी शराब दुकानों से बेहिसाब कच्ची देशी शराब की बिक्री की गई। इस में राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट जेब में चला गया। इसके साथ कमिशन का भी जमकर खेल चला। डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती है ताकि उन्हें कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति मिल सके। FL-10A लाइसेंस धारकों से भी कमीशन लेते थे।

ईडी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 08.08.2024 को अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है। अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को माननीय विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर के समक्ष पेश किया गया। माननीय न्यायालय ने 14.08.2024 तक ईडी की हिरासत प्रदान की है।ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले के मामले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।

ईडी की जांच में यह भी पता चला कि अनवर ढेबर ही वह ताकतवर व्यक्ति था जो शीर्ष नौकरशाह अनिल टुटेजा आईएएस के साथ मिलकर शराब सिंडिकेट चलाता था। इन दोनों ने पूरे घोटाले की कल्पना और योजना बनाई और अनिल टुटेजा आईएएस के प्रभाव का उपयोग करके, अनवर ढेबर अपनी पसंद के अधिकारियों को आबकारी विभाग में तैनात कर सके। ईडी के अनुसार एक तरह से अनवन ढेबर की आबकारी मंत्री बन गए थे। उन्होंने सरकारी दुकानों से बेहिसाब अवैध शराब बेचने का घोटाला किया।

ईडी की जांच में अरुणपति त्रिपाठी से पता चला है कि उन्होंने सीएसएमसीएल दुकानों के माध्यम से बेहिसाब शराब की बिक्री की नापाक योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने ही उन 15 शीर्ष राजस्व देने वाले जिलों के जिला उत्पाद शुल्क प्रमुखों के साथ बैठक की और वहां अवैध शराब बेची गई। उन्हें योजना के अधिनियमन से संबंधित विस्तृत निर्देश दिए। वह वही था जिसने डुप्लिकेट होलोग्राम की आपूर्ति के लिए विधु गुप्ता के साथ व्यवस्था की थी।

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