महिला को तीन तलाक देने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, इस्लामी कोर्ट ने महिला को एकतरफा तलाक का आदेश दिया था

Update: 2022-02-21 16:37 GMT

बिलासपुर, 21 फरवरी, 2022। रायपुर शरिया अदालत द्वारा महिला को तलाक देने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार,राज्य सरकार व इस्लामी कोर्ट के साथ ही महिला के शौहर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं। रायपुर की पीड़ित मुस्लिम महिला की दूसरी शादी 18 जुलाई 2020 को डंगनिया निवासी एक मुस्लिम युवक से हुई थी। दोनो का यह दूसरा निकाह था। शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनो के मध्य अनबन शुरू हो गयी। दोनो अलग अलग रहने लगे पर महिला की जानकारी में किसी भी अदालत में उनका तलाक का केस नही चल रहा था। महिला के घर अचानक रायपुर के "इदारा ए शरिया" कोर्ट का आदेश आया जिसमे उनके पति द्वारा उन्हें तलाक देने का आदेश था। महिला आदेश देख कर भौचक्की रह गयी और इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

इस्लामी कोर्ट के अस्तित्व व तलाक दोनो को दी चुनौतीः-   महिला के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कथित इस्लामिक कोर्ट "इदारा ए शरिया" के अस्तित्व के साथ ही तलाक के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। याचिका में बताया गया है कि मुस्लिम महिलाओं के लिये तीन तलाक को अवैधानिक माना गया है। इसके साथ ही मुस्लिम एक्ट में धारा 4 का प्रावधान किया गया हैं। इसके बावजूद नियम को दरकिनार कर रायपुर के कथित इस्लामी कोर्ट ने तीन तलाक पर निर्णय सुनाते हुए मुस्लिम पति को तीन तलाक का लाभ देने के आदेश जारी कर दिए।

बताया कि जीवन के अधिकार का उल्लंघनः-   पीड़िता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि कथित शरिया अदालत ने महिला को बिना कोई सुनवाई का अवसर दिए तीन तलाक का आदेश पारित कर दिया, जो कि भारतीय संविधानक तहत मिले जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को प्रतिबन्धित करते हुए अवैध घोषित कर दिया है व इसमे 2019 से सजा का प्रावधान भी किया गया हैं। दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पी सेम कोशी की सिंगल बेंच ने तीन तलाक की कथित शरिया अदालत द्वारा जारी आदेश की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इस्लामी कोर्ट व महिला के शौहर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं।

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