Chhattisgarh School: 1500 करोड़ पानी में....कलेक्टर आंख मूंदे रहे, RES के इंजीनियरों ने कागजों में स्कूल भवनों का जीर्णोद्धार और रंग-रोगन कर डाला
Chhattisgarh School News: मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की अगर ईमानदारी से जांच हो जाए, तो कई कलेक्टरों और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गर्दन फंस जाएगी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है, कलेक्टरों ने दोनों आंखें मूंद ली और आरईएस के इंजीनियरों ने कागजों में स्कूलों की मरम्मत और रंग-रोगन कर अपना और अपने उच्चाधिकारियों का घर रौशन कर दिया। 2000 करोड़ की इस योजना में गनीमत यह रही कि दिसंबर 2023 में सरकार बदल गई, इससे 500 करोड़ रुपए बच गया।

Chhattisgarh School: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 40 हजार से अधिक स्कूलों के जीर्णोद्धार और रंग-रोगन के नाम पर नेताओं और अधिकारियों ने बड़ा खेला कर दिया। स्कूल शिक्षा विभाग और आरईएस के इंजीनियरों ने मिलकर कागजों में स्कूलों की रंगाई-पोताई कर दी और मुख्यमंत्री जतन योजना का 2000 करोड़ में से 1500 करोड़ हजम कर गए। इसमें जिलों के कलेक्टरों को भी उपकृत किया गया। इसलिए कलेक्टरों ने आंख मूंद लिया।
इस खेल को बड़ी योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया। 2022 में बरसात के समय स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सूबे के जर्जर स्कूलों में हो रहे हादसों को रोकने का हवाला देते हुए सरकार को स्कूलों के जीर्णाद्धार और अतिरिक्त कमरे बनाने का प्रस्ताव दिया। अधिकारियों ने इसके लिए बकायदा मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना का नाम भी सुझाया।
सरकार ने मुख्यमंत्री जतन योजना नाम से 2000 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिया। जिले के कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी ने मिलकर आरईएस को यह काम सौंप दिया। पता चला है, साल भर के भीतर ही 1500 रुपए स्वाहा कर दिया गया। हर जिलों में दो-चार प्रायमरी और मीडिल स्कलों को सामने से पोताई कराकर दो-चार स्टीकर लगा दिए गए। और फिर अफसरों के व्हाट्सएप गु्रपों में उसे भेजकर वाहवाही बटोर ली गई। मगर हकीकत कुछ और थी। अफसरों का कहना है, 95 फीसदी से अधिक स्कूलों में रती भर काम नहीं हुआ। और काम पूर्णता का सर्टिफिकेट जमा कर पैसे निकाल लिए गए।
इसलिए बच गए 500 करोड़
500 करोड़ इसलिए बच गया, क्योंकि तब तक सरकार बदल गई। और नई सरकार ने पुराने निर्माण कार्यो पर रोक लगा दिया। बताते हैं, अधिकांश स्कूलों में ढेला भर भी काम नहीं हुआ। और डीईओ, बीईओ के निर्देश पर प्राचार्यों और हेड मास्टरों ने लिखकर दे दिया कि उनके यहां जीर्णोद्धार के साथ ही रंग-रोगन करके उनके स्कूल को चकाचक कर दिया गया है।
सीएम विष्णुदेव से शिकायत
दिसंबर 2023 में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इसकी शिकायत हुई। इसी के बाद उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग का रिव्यू किया। इसमें उन्होंने अफसरों से कैफियत मांगी। बैठक में ही उन्होंने सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी को जांच कराने का निर्देश देते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करने कहा।
1500 करोड़ स्वाहा
मुख्यमंत्री जतन योजना के लिए आरईएस को एजेंसी बनाया गया। आरईएस के इंजीनियरों ने जिला मुख्यालयों के अपने एसी कमरों में बैठे-बैठे कंप्यूटर में स्कूल भवनों का जीर्णोद्धार और रंग-रोगन कर 1500 करोड़ रुपए स्वाहा कर दिया।
DPI के पत्र का जवाब नहीं
फरवरी 2024 में डीपीआई ने सभी जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के कार्यों का थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कर रिपोर्ट भेजने कहा गया था। डीपीआई दिव्या मिश्रा ने मार्च में रिमाइंडर भेज कहा कि निर्देश जारी होने के बाद भी अभी तक अधिकांश डीईओ ने रिपोर्ट नहीं भेजी है। रिमाइंडर में उन्होंने इस बात का भी निर्देश दिया था कि बिना थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कराए फायनल पेमेंट न किया जाए। फिर भी कोई रिप्लाई नहीं आने पर स्कूल शिक्षा सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने 8 जुलाई 2024 को सभी कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया। चूकि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश में परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखा, सो यह सरकार का आदेश ही हुआ। सिकरेट्री ने पत्र के संदर्भ में स्पष्ट तौर पर लिखा, माननीय मुख्यमंत्री का निर्देश, 1 जुलाई 2024।
मीटिंग में जांच के निर्देश
बताते हैं, मार्च 2024 में स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा करने के दौरान मुख्यमंत्री के संज्ञान में स्कूल जतन योजना में भारी भ्रष्टाचार का विषय आया था। इस पर उन्होंने जांच का आदेश दिया था। इसके लिए डीपीआई से पत्र जारी हुआ। इस पर किसी का रिप्लाई नहीं आया तो मुख्यमंत्री ने स्कूल शिक्षा सचिव को कलेक्टरों से जांच कराने कहा।
कलेक्टरों को कड़ी कार्रवाई का अधिकार
सीएम विष्णुदेव से मिले निर्देश के आधार पर स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परेदशी ने राज्य के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की। कलेक्टरों को जारी पत्र में स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि योजना के तहत स्वीकृत किए गए कार्यों का औचित्य, उसकी वास्तविक आवश्यकता, पूर्ण/प्रगतिरत कार्यों की गुणवत्ता एवं वास्तविक लागत की जांच की जाए। आपके द्वारा निर्धारित निर्माण एजेंसी के द्वारा ही कार्य किया जा रहा है। कार्यों की गुणवत्ता की जांच अपने स्तर पर विशेषज्ञ समिति बनाकर बिन्दुवार करावें। जांच में गड़बड़ी पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही/विधिसम्मत कार्यवाही आपके द्वारा किया जाना सुनिश्चित करें। सभी कार्यों की जांच कराने के पश्चात कार्यवाही कर संलग्न प्रारूप में पालन प्रतिवेदन 15 दिवस के भीतर संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय को अनिवार्यतः उपलब्ध करावें।
कागजों में हुआ काम
सूत्रों के अनुसार इस योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। योजना के ज्यादारत काम कागजों में हुए और भुगतान कर दिया गया है। इस गड़बड़ी में विभाग के अफसर भी शामिल हैं। ऐसे में पूरी योजना की जांच के निर्देश से विभाग में हड़कंप मच गया था। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आने पर कई अफसर तो नपेंगे ही, कई ठेकेदार जेल जाएंगे, जिन्होंने बिना काम किए बिल बनाकर पेमेंट ले लिया।
15 दिन में रिपोर्ट
सीएम के निर्देश का हवाला देते हुए पूरे मामले की जांच रिपोर्ट 15 दिन के भीतर देने स्कूल शिक्षा सचिव ने कलेक्टरों को पत्र लिखा था। इस पत्र के करीब दो महीने बाद 12 और 13 सितंबर 2024 को कलेक्टर्स कांफ्रेंस हुआ, तब तक किसी भी जिले से इसकी रिपोर्ट नहीं पहुंची थी। बैठक के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान सीएम ने खुद स्कूल जतन योजना की जिक्र करते हुए कहा कि सरकार जांच करा रही है, जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर कांफ्रेंस में पूछा था CM ने
स्कूल शिक्षा सचिव के पत्र को कलेक्टरों ने फाइल में दबा दिया था, लेकिन 12 और 13 सितंबर 2024 को कलेक्टर्स कांफ्रेंस में सीएम विष्णुदेव ने जब इस पर सवाल किया तो कलेक्टर लगे बगले झांकने। इसके बाद लगा कि अपने जिलों में लौटने के बाद तुरंत जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। मगर कलेक्टर कांफ्रेंस के हुए भी छह महीने निकल गए। 1500 करोड़ के घोटाले में अभी तक एक भी दोषी व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं हुई है।