Chhattisgarh News: पेड़ों को रंगीन बनाया तो खैर नहीं: सौंदर्यीकरण के नाम पर पेड़ों की रंगाई करने वाले विभागों को सरकार की चेतावनी

Chhattisgarh News: सौंदर्यीकरण के नाम पर प्रदेश के कई नगरीय निकायों में पेड़ों को रंग दिया जाता है। लेकिन पेड़ों पर अब ऐसी कलाकारी नहीं चलेगी।

Update: 2024-08-02 12:10 GMT

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन आवास एवं पर्यावरण विभाग ने शासन के मंत्रालय स्थित समस्त विभागों और प्रदेश के सभी कलेक्टरों को आदेश जारी किया है कि सौंदर्यीकरण के नाम से पेड़ों के तनों पर पेंटिंग ना करने दी जाए। मनाही के बाद भी पेंटिंग की जाती है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है।

पेड़ों के तनों में पेंट करने से विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ छालों के माध्यम से अंदर चले जाते हैं और पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदेश के विभिन्न नगरी निकायों द्वारा पेड़ों पर पेंटिंग करने की शिकायत पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने 2019 और 2021 में मुख्य सचिव से की थी। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगर निगम के आयुक्त, नगर पालिका और नगर पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को आदेश जारी किया था।

अन्य विभागों को आदेश जारी नहीं किए जाने के कारण सौंदर्यीकरण के नाम से पेंटिंग का कार्य कर रहे थे। सिरपुर महोत्सव 2024 में साडा द्वारा सड़क के दोनों तरफ लगभग 75 से ज्यादा पेड़ों के तनों पर पेंटिंग करने की शिकायत सिंघवी ने फिर मुख्य सचिव से की और मांग की कि आवास एवं पर्यावरण विभाग को निर्देशित किया जावे कि वह सभी विभागों को भविष्य में पेड़ों में पेंटिंग न करने के निर्देश देने की कृपा करें।

इसलिए है जरूरी

पेड़ों को अपनी छाल के माध्यम से गैसों (जैसे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड) का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता होती है। पेंट, इन छिद्रों को अवरुद्ध करता है, जिससे यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया बाधित होती है। पेंट, पेड़ की बढ़ने और फैलने की क्षमता को बाधित करता है। विकास के लिए छाल को लचीला होना चाहिए। पेंट इस लचीलेपन को रोकता है। कुछ पेंट में ऐसे रसायन होते हैं जो पेड़ों के लिए जहरीले होते हैं। ये रसायन छाल में घुस सकते हैं और पेड़ की आंतरिक प्रणालियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पेंट, छाल को अधिक गर्मी बनाए रखने का कारण बन सकता है, जो पेड़ को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर गर्म जलवायु में। रसायनिक मटेरियल तनों की छालों के माध्यम से अंदर चले जाते हैं जिससे उनके टिशु (ऊतक) और सेल (कोशिकाएं) की मृत्यु की संभावना बनी रहती है।

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