Chhattisgarh News: दीपआशा, वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा: 10 साल बाद भी नहीं जान पाया वन विभाग
Chhattisgarh News: वन विभाग के अफसरों के दावों की हवा तब निकल गई जब दीपआशा मुर्रा भैंसा निकल गई। हुबहू मुर्रा भैंसा दिखती है। दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा? आज तक वन विभाग इसकी डीएनए जांच नहीं करा पाया।
Chhattisgarh News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ वन विभाग ने 10 साल पहले विश्व की पहली वन भैंसा का क्लोन पैदा करने का दावा कर सुर्खियां बटोरी थी। नाम दिया था दीपआशा । वन विभाग के अफसरों के दावों की हवा तब निकल गई जब दीपआशा मुर्रा भैंसा निकल गई। हुबहू मुर्रा भैंसा दिखती है। दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा? आज तक वन विभाग इसकी डीएनए जांच नहीं करा पाया।
दीपआशा का जन्म उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की वन भैंसा आशा के सोमेटिक सेल कल्चर से और दिल्ली के बूचड़खाने की देसी भैंस के अंडाशय से क्लोन की तकनीकी से 12 दिसंबर 2014 को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट करनाल में हुआ था। क्लोनिंग में लगभग रुपए एक करोड़ का खर्च आया। करनाल से 28 अगस्त 2018 को दीपआशा जंगल सफारी नया रायपुर लाई गई। उसके लिए लगभग रुपए ढाई करोड़ का बाड़ा बनवाया गया। जन्म से 4 साल बाद 11 दिसंबर 2018 मुख्य वन्य जीव संरक्षण (वन्यप्राणी) रायपुर की अध्यक्षता में बैठक में निर्णय लिया गया कि दीपआशा का डीएनए टेस्ट सीसीएमबी हैदराबाद और व्हाइट लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून से कराया जाए।
दिसंबर 2018 में निर्णय लेने के ढाई साल बाद सीसीएमबी हैदराबाद सैंपल भेजा और अंतिम स्मरण पत्र जनवरी 2023 में देखकर भूल गए। वन्य जीव प्रेमियों के दबाव के चलते दोबारा 20.11.2024 को स्मरण पत्र भेजा।
दिसंबर 2018 की बैठक के 5 साल बाद डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल व्हाइट लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून भेजा परन्तु कोई स्मरण पत्र नहीं भेजा। वन्य जीव प्रेमियों के दबाव के चलते दोबारा 20.11.2024 को स्मरण पत्र भेजा।
क्यों नहीं आ रही डीएनए टेस्ट रिपोर्ट?
डीएनए टेस्ट का अनुमानित चार्ज पंद्रह हजार होता है। दोनों संस्थाओ को टेस्ट की भुगतान की राशि आज तक नहीं दी गई है। क्या यह कारण है या रिपोर्ट नहीं आने का कोई और कारण यह जांच का विषय है।
शासन को भी जवाब नहीं दे रहे अधिकारी
छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग, प्रधान मुख्य जीव संरक्षक (वन्यजीव) से दीपआशा के संबंद में सितम्बर 2021 से स्टेटस रिपोर्ट मांग रहा है, कई स्मरण पत्र जारी हो चुके हैं। जुलाई 2024 में सात दिनों में रिपोर्ट मांगी गई थी परन्तु रिपोर्ट आज तक नहीं दी गई है।
क्या फर्क है असम से ले गए वन भैंसे में और दीपआशा में?
वन विभाग असम से दो वन भैंसा 2020 में और चार वन भैंसा 2023 में छत्तीसगढ़ लाया। दोनों ही बार में 10 दिनों में डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट प्राप्त कर ली। दीपआशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंसा यह दस साल में भी नहीं पता लगा पाए।
जंगल सफारी में दीपआशा को देखने पर पाबंदी लगी हुई है, इसे वीआईपी के अलावा कोई नहीं देख सकता।
वन्यजीव प्रेमी ने उठाए सवाल
रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने सवाल उठाया है कि दीपआशा दिखने में ही मुर्रा भैंस है तो उसे बंधक बनाकर क्यों रखा गया है? उसे छोड़ क्यों नहीं दिया जाता? दीपआशा कोई वन भैंसा नहीं है, बल्कि एक आम घरेलू मवेशी है। चिड़ियाघरों में घरेलू मवेशी रखने की अनुमति नहीं है। दीप आशा ने अपनी आधी ज़िंदगी सलाखों के पीछे गुज़ारी दी है; अगर उसे प्राकृतिक जीवन जीने दिया जाता, तो वह अपने जीन पूल को बढ़ाने का कर्तव्य निभाती, जिसकी प्रकृति हर जीव से अपेक्षा करती है। सिंघवी ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार दीपआशा के डीएनए टेस्ट कराने के मांग की है, उसे छोड़ने के लिए तत्कालीन वन मंत्री तक से मिले थे, कई पत्र लिखे है, परन्तु वन विभाग करोडों खर्च करने के बाद, बदनामी के दर से डीएनए टेस्ट टेस्ट कराने का प्रयत्न नहीं कर रहा है।