Chhattisgarh News: CG कर्मचारियों की कौन सुनेगा: सरकार बदल गई, कमेटी बदल गई, लेकिन मांगें जस की तस, ये है सिस्टम के बैकबोन का हाल
Chhattisgarh News: कर्मचारी- अधिकारी सिस्टम का बैकबोन (रीड की हड्डी) होते हैं। ऊपर से कितना भी प्रयास हो जाए लेकिन कर्मचारी- अधिकारी नहीं चाहेगें तो कुछ भी नहीं बद सकता। प्रशासन की इतनी महत्वपूर्ण कड़ी होने के बावजूद इनकी सुनवाई नहीं होती है। वर्षों से मांगें लंबित पड़ी हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।
Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों और केंद्रीय कर्मियों के महंगाई भत्ता (डीए) में 4 प्रतिशत का अंतर है। केंद्रीय कर्मियों को 50 प्रतिशत डीए मिल रहा है, जबकि राज्य के कर्मियों को 46 प्रतिशत। राज्य के कर्मचारियों को 4 प्रतिशत वृद्धि का लाभ मई से मिलना शुरू हुआ है। डीए एक उदाहरण है, प्रदेश के कर्मचारियों की कई ऐसी मांगें हैं लंबे समय से लंबित हैं। प्रदेश में सरकारें बदल गईं। नई सरकार के गठन के साथ कर्मचारियों की उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं, लेकिन हर बार उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। मांगों पर आश्वासन और नई समिति से ज्यादा उन्हें कुछ नहीं मिलता।
5 साल में बनी 2 कमेटी, रिजल्ट कुछ नहीं...
दिसंबर 2019 में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के पिंगुआ कमेटी का गठन किया। 5 साल में कमेटी की एक- दो बैठक हुई, लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं आया और प्रदेश में सरकार बदल गई। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने निहारिका बारिक की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है। कर्मचारी नेता इस बार मांगों पर गंभीरता से विचार होने की उम्मीद है।
देखें कर्मचारी- अधिकारी फेडरेशन का 4 साल पुराना मांग पत्र...
कर्मचारी- अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने 4 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कर्मचारी संगठनों की मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा था। इसमें फेडरेशन की तरफ से जो मांग तत्कालीन सरकार के सामने रखी गई थी, उनमें से अधिकांश आज भी बनी हुई है। देखें फेडरेशन का वह ज्ञापन (पत्र)
माननीय श्री भूपेश बघेल जी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर
विषयः- कर्मचारी-अधिकारियों के लंबित माँगों का निराकरण नहीं होने के फलस्वरूप आंदोलन की सूचना।
संदर्भ:- छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन का आंदालन दिनांक 01/12/2020, 01/12/2020 एवं 19/12/20201
महोदय,
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के द्वारा निम्नलिखित माँगों के संबंध में राज्य शासन को समय-समय पर ज्ञापन देकर निराकरण हेतु अनुरोध किया जाता रहा है। फेडरेशन संदर्भित तिथि को तीन चरणों में आंदोलन कर शासन-प्रशासन को 28 जिला कलेक्टर्स के माध्यम से ज्ञापन भी सौप चूका है। खेद सहित लेख है कि, निराकरण की कार्यवाही नहीं होने के कारण कर्मचारी अधिकारी आक्रोशित हैं।
उल्लेखनीय है कि, आपके द्वारा दिये गये आश्वासन के बावजूद माँगों पर विचार नहीं होने से कर्मचारी जगत व्यथित है। क्योंकि, दीवाली पूर्व घोषणा की उम्मीद कर्मचारी-अधिकारी कर रहे थे।
लेख है कि 21 नवंबर 2020 को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आयोजित हुए बैठक में शासन के उपेक्षा पूर्ण रवैये के लोकतांत्रिक विरोध एवं माँगों के निराकरण हेतु शासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था ।
हमारी मुख्य माँगें निम्नानुसार है :-
1) लिपिक संवर्ग के वेतन विसंगति का निराकरण साथ ही शिक्षक एवं स्वास्थ संवर्ग सहित अन्य कर्मचारी संवर्ग का वेतन विसंगति निराकृत किया जाये।
2) प्रदेश के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को जुलाई 19 का 5 प्रतिशत एवं जनवरी 20 का 4 प्रतिशत कुल 9 प्रतिशत महंगाई भत्ता स्वीकृति आदेश जारी किया जाये।
3) छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 का बकाया एरियर्स, 4 किश्त के भुगतान हेतु आदेश जारी किया जाये।
4) सभी विभागों में लंबित संवर्गीय पदोन्नति, क्रमोन्नति, समयमान एवं तृतीय समयमान वेतनमान का लाभ समय सीमा में प्रदान किया जाये।
5) सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी एवं सहायक शिक्षक पद पर नियुक्त शिक्षकों को तृतीय समयमान वेतनमान स्वीकृति आदेश जारी किया जाये।
6) शासकीय सेवा के दौरान कोरोना संक्रमण से मृत कर्मचारियों एवं अधिकारियों के परिवार को राजस्थान सरकार के आदेश के तर्ज पर 50 लाख अनुग्रह राशि स्वीकृति आदेश जारी किया जाये। कोरोना डयूटी में लगाये गए शासकीय सेवकों को कोरोना भत्ता दिया जाये।
7) अनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जाये एवं सेवा से पृथक अनियमित कर्मचारियों को बहाल किया जाये।
8) जन घोषणा पत्र में उल्लेखित चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान स्वीकृति आदेश जारी किया जाये। साथ ही घोषणा पत्र में उल्लेखित अन्य मांगों को पूरा किया जावें।
9) छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 के मूलवेतन के आधार पर 10 प्रतिशत गृह भाड़ा भत्ता सहित अन्य समस्त भत्ता स्वीकृति आदेश जारी किया जाये।
10) राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू किया जावें।
11) तृतीय श्रेणी के पदों पर 10 प्रतिशत के बंधन को मुक्त करते हुए समयसीमा के भीतर अनुकंपा नियुक्ति के समस्त लंबित प्रकरणों का निराकरण किया जावें ।
12) कार्यभारित/आकस्मिक सेवा के कर्मचारियों को समान वेतन के रिक्त पदों पर समायोजित करतें हुए नियमित कर्मचारियों के समान वेतन भत्ते एवं पेंशन का लाभ दिया जावें ।
13) प्रदेश के पटवारियों को पदोन्नति एवं लैपटाप के साथ उनके कार्यालयों में कम्प्यूटर की समस्त सुविधा दी जावें।
14) पेंशनरों को त्वरित पेंशन भुगतान हेतु 20 वर्षों से लंबित राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को विलोपित कर पेंशनरी दायित्वों का मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के बीच बंटवारा तत्काल किया जाये। साथ ही, सेन्ट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल भारतीय स्टेट बैंक गोविंदपुरा भोपाल से पृथक कर रायपुर छत्तीसगढ़ में स्थापित कर छत्तीसगढ़ के प्रकरणों का निपटारा किया जाये।
अतः अनुरोध है कि, उपरोक्त मांगो के यथाशीघ्र समाधान हेतु समुचित आदेश जारी करने का कष्ट करेंगे ।