Chhattisgarh Assembly Election 2023 Beltara: बेलतरा और ब्राम्हण: जानिये छत्तीसगढ़ में बेलतरा सीट से सबसे अधिक दावेदार क्यों? इस सीट का क्या है समीकरण
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Beltara: बेलतरा सीट पर 2008 में पहली बार चुनाव हुए थे। इसमें भाजपा की जीत हुई थी। इसके बाद 2013 में फिर भाजपा जीती और 2018 में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रबल लहर के बावजूद भाजपा जीती। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
Chhattisgarh Assembly Election 2023: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी चयन की पहली कड़ी पूरी कर ली है। मुख्यमंत्री समेत तमाम दावेदारों ने अपने क्षेत्र के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष के पास आवेदन दिया। इसमें जिस सीट ने सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा वह बेलतरा सीट है। यहां 119 लोगों ने दावेदारी की है। 90 सीटों में कुल दावेदारों की संख्या 1900 है।
बेलतरा सीट पर 2008 में पहली बार चुनाव हुए थे। इसमें भाजपा की जीत हुई थी। इसके बाद 2013 में फिर भाजपा जीती और 2018 में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रबल लहर के बावजूद भाजपा जीती। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यही वजह है कि यहां सबसे ज्यादा संख्या में दावेदार सामने आए हैं। इनमें ऐसे नेता भी हैं, जिन्होंने बिलासपुर या कोटा से भी दावेदारी पेश की है।
बेलतरा में सबसे ज्यादा दावेदार क्यों? जब यह सवाल कांग्रेस के नेताओं से पूछते हैं तो वे तीन चार कारण गिनाते हैं। एक यह कि सामान्य सीट है, दूसरी यह कि कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है, तीसरी यह कि बिलासपुर में कांग्रेस का विधायक है। सामान्य सीट होने के कारण यहां से हर वर्ग के नेताओं ने दावेदारी पेश की है। सीट बनने के बाद से लगातार कांग्रेस हार रही है, इसलिए किसी बड़े नेता का इस सीट पर दावा नहीं है। एक नाम सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा का भी था, लेकिन उन्होंने आवेदन नहीं किया है।
इसमें एक और महत्वपूर्ण तथ्य ये भी सामने आ रहे हैं कि बिलासपुर से लगातार चार बार अमर अग्रवाल विधायक रहे। पिछली बार भाजपा के खिलाफ लहर में वे हारे, लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग है। अमर के 15 साल मंत्री रहने के कारण बिलासपुर हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। इसलिए ज्यादातर बड़े नेता बिलासपुर के बजाय इससे लगी सीट बेलतरा या कोटा से दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस ही नहीं, अमर अग्रवाल की मजबूत दावेदारी के चलते बीजेपी के भी अधिकांश नेता बेलतरा सीट से दावेदारी कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेस ने दावेदारों से अप्लाई कराया है, लिहाजा उनकी संख्या सामने आ गई। बीजेपी में ऐसा होता नहीं।
ब्राह्मण वोटर बने टर्निंग प्वाइंट
परिसीमन में बेलतरा सीट बनने के बाद 2008 में पहली बार चुनाव हुए। इससे पहले यह सीपत सीट थी। हालांकि परिसीमन में सीपत सीट के एससी बहुल हिस्से को मस्तूरी के शामिल कर दिया गया। 1977 में सीपत सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। इसके बाद से 1998 तक कांग्रेस ने लगातार ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारा। चंद्रप्रकाश वाजपेयी अंतिम ब्राह्मण प्रत्याशी थे। हालांकि 1998 के चुनाव में परंपरागत कांग्रेस और भाजपा के बजाय जनता ने बसपा को जिताया था। इसके बाद 2003 में सीपत सीट पर अंतिम चुनाव हुए तो कांग्रेस ने रमेश कौशिक को टिकट दिया। खरे की जीत के बाद सामान्य वर्ग के मतदाता एकजुट हुए और बद्रीधर दीवान को जिताया। इसके बाद जब बेलतरा सीट पर चुनाव हुए तो 2008 और 2013 में भी दीवान जीते। 2018 में दीवान के उम्र को देखते हुए भाजपा ने रजनीश सिंह को टिकट दिया और उन्हें जीत मिली। इस बीच दो बार भुवनेश्वर यादव कांग्रेस के उम्मीदवार रहे और 2018 में राजेंद्र साहू पर कांग्रेस ने दांव खेला, लेकिन जीत नहीं मिली।
ये हैं मुख्य दावेदार
अटल श्रीवास्तव, रामशरण यादव, भुवनेश्वर यादव, विजय केशरवानी, विजय पांडेय, राजेंद्र साहू, संतोष दुबे, चंद्रप्रकाश वाजपेयी, विनोद साहू, त्रिलोक चंद्र श्रीवास, रविंद्र सिंह, लक्ष्मी गहवई, अंकित गौरहा, विनय शुक्ला, बृजेश साहू, अमित यादव, पूनाराम कश्यप, महंत चेतन दास, दिलीप पाटिल, क्रांति साहू, महेश दुबे, संतोष साहू, पवन चंद्राकर, कृष्ण कुमार यादव, जगन्नाथ प्रसाद साव, प्रेमदास मानिकपुरी, चित्रलेखा कांस्कार, तरू तिवारी, शिल्पी तिवारी, रामसेवक श्रीवास, किरण तिवारी, दीपांशु श्रीवास्तव, श्याम कश्यप, अजय सिंह, राजेश कुमार यादव, राजेंद्र कुमार यादव, अनिल शुक्ला, स्मृति त्रिलोक, अजीत नाविक, आशा पांडेय, पिनाल उपवेजा, जहुर अली, रामकृष्ण साहू, विष्णु यादव, सिद्धांशु मिश्रा, सीमा सोनी, अब्दुल रफिक खान, गोपाल प्रसाद दुबे, अमित तिवारी, सैय्यद बादशाह, प्रवेश पटना, अनिल यादव।
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रायपुर। बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा सीट में अब तक केवल 3 चुनाव हुए हैं। क्योंकि यह सीट साल 2008 के चुनाव के पहले ही अस्तित्व में आई। इसके पहले यह सीट सीपत के नाम से जानी जाती थी। बेलतरा विधानसभा सीट की बात करें तो यहां बीजेपी अब तक नहीं हारी है। हालांकि जब इस सीट का नाम सीपत था तो यहां कांग्रेस का दबदबा था।
बेलतरा विधानसभा में अब तक हुए चुनावों में दो बार बद्रीधर दीवान विधायक रहे। वर्तमान में यहां के विधायक रजनीश सिंह हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2008 में जब यहां पहला चुनाव हुआ तो भाजपा से बद्रीधर दीवान और कांग्रेस के भुवनेश्वर प्रसाद यादव आमने-सामने थे। इस चुनाव में 99500 वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो भाजपा को 38867 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के हिस्से 33891 वोट आए। इस तरह यह चुनाव बद्रीधर दीवान ने 4973 वोट से अपने नाम किया। पांच साल बाद साल 2013 में हुए चुनाव में एक बार फिर से बद्रीधर दीवान और भुवनेश्वर यादव आमने-सामने थे। इस चुनाव में बद्रीधर दीवान ने भुवनेश्वर को 5728 वोट के अंतर से हराया। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
पढ़ें बेलतरा सीट से मौजूद विधायक रजनीश सिंह का जीवन परिचय
विधायक रजनीश सिंह बिलासपुर के बेलतरा विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए है। बेलतरा विधानसभा एक अनारक्षित सीट है। रजनीश सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत गांव की गलियों की धूल फांकते हुए पंच के रूप में की है। जिसके बाद वह उपसरपंच व सरपंच भी चुने गए। संगठन की राजनीति में रजनीश सिंह लंबे समय से सक्रिय हैं। वे युवा मोर्चा में रहने के अलावा मंडल महामंत्री,मंडल अध्यक्ष, भाजपा जिला मंत्री व जिला अध्यक्ष भी रहे है। इसके अलावा उन्होंने विधायक बनने से पूर्व भी विधानसभा चुनाव में मुख्य चुनाव संचालक की भूमिका भी निभाई थी। रजनीश सिंह ऐसे विधायक है जो अपने क्षेत्र में ही ज्यादातर समय बिताने के लिए जाने जाते है। विधायक बनने के बाद भी वे विधानसभा क्षेत्र में अपने गृहग्राम पौंसरा में ही निवास करते है। विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें