CG Land Scam News: विधवा की जमीन हड़पी, कांग्रेस, बीजेपी नेता समेत 7 के खिलाफ कोर्ट ने दिया FIR का आदेश, पुलिस की भूमिका सवालों में...
CG Land Scam News: विधवा महिला की जमीन हड़पने के केस में CJM कोर्ट ने पुलिस को भाजपा और कांग्रेस नेता, सहित पांच अन्य के ख़िलाफ़ विधवा की जमीन हड़पने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। आरोप ये कि विधवा ने जिस वकील को मामला लड़ने के लिए दस्तावेज दिया था, उसी ने धोखाधड़ी करते हुए जमीन हड़प ली। सीजेएम कोर्ट ने अंबिकापुर थाना प्रभारी को मामले की जांच कर एफआईआर करने का निर्देेश दिया है। दो सप्ताह के भीतर कोर्ट को जानकारी देने कहा है।
CG Land Scam News: बिलासपुर। विधवा की जमीन हड़पने के आरोप में आरोपी की पुनरीक्षण अपील को षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश अंबिकापुर ने खारिज कर दिया है। धोखाधड़ी के आरोपी दिनेश सिंह ने षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश, सरगुजा, अम्बिकापुर के समक्ष आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पेश की थी। मामले की सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश ने पुनरीक्षण अपील को खारिज कर दिया है।
ऐसे हुआ घोटाला
विधवा महिला ने अपनी जमीन के मुकदमा लड़ने के लिए जिस वकील को दस्तावेज सौंपी थी, वकील ने ही धोखाधड़ी करते हुए महिला की जमीन हड़प ली है। मामले की सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने अंबिकापुर थाना प्रभारी को जिला भाजपा और कांग्रेस नेता सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर का निर्देश दिया था। इस केस में चन्द्रमणी देवी कुशवाहा पुत्री स्वर्गीय लक्ष्मण कुशवाहा, पत्नी स्वर्गीय ददन राम कुशवाहा व कलावती कुशवाहा पुत्री ददनराम कुशवाहा देवलापारा, भैयाथान, थाना पोस्ट तहसील-भैयाथान, जिला-सूरजपुरने परिवार दायर किया था।
ये है मामला
आवेदक की ओर से पेश आवेदन अंतर्गत धारा 156 (3) द.प्र.सं. के संबंध में तर्क किया गया है कि चंद्रमणी देवी कुशवाहा गांधीनगर, अम्बिकापुर व कलावती कुशवाहा भैयाथान, जिला-सूरजपुर, छ.ग. की निवासी हैं जो देहाती और अनपढ़ महिला हैं तथा गृहणी हैं। सातों अभियुक्तगणों के साथ मिलकर जमीन खरीद-बिक्री का काम करता है।
सभी का मुख्य व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों के जमीनों का पता करना कि किस भूमि पर मुकदमा चल रहा है और उन भूमियों के स्वामियों से सम्पर्क कर उन्हें गुमराह कर उनकी जमीनों को कम दाम में खरीदकर, प्लाटिंग कर उसे अधिक दामों में बेचने का कार्य किया जाता है। सभी पेशे से काफी धनाढ्य हैं और राजनीति में भी एक अच्छी पैठ है। शासन किसी का भी हो, इन सभी की अच्छी-खासी पहुंच है। साथ ही सरगुजा जिले के दबंग लोगों में इनका नाम है।
दोनों महिलाओं की पैतृक भूमि ग्राम भगवानपुरखुर्द, तहसील-अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छ.ग. में स्थित है। जिसका खसरा नंबर 44/1, 55/1, 119/2, 122/4, 125/2, रकबा क्रमशः 0.07, 0.060, 0.0480, 0.680, 0.300, 0.090, 0.050, 0.340, 0.500 तथा 0.300 हे. कुल रकबा 2.870 हेक्टेयर है। यह भूमि आवेदकगण की पैतृक भूमि है। राजस्व अभिलेखों में आवेदकगण के भाई रघुवर कुशवाहा और छतरू कुशवाहा का नाम दर्ज था, आवेदकगण का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं था।
राजस्व अभिलेखों में आवेदकगण अपना नाम, अपने भाईयों के साथ दर्ज कराकर, बंटवारा भी कराना चाहती थी, जिसे लेकर आवेदकगण के भाई सहमत नहीं थे। जिस हेतु आवेदकगण, उस अधिवक्ता के पास गए। विश्वास कर अपने सभी कागजात उन्हे सौंप दिए, और पूरे प्रकरण की जबाबदारी भी उन्हें दे दिया। अधिवक्ता ने आवेदकगण के प्रकरण को समझकर, नाम दर्ज करने तथा बंटवारा के प्रकरण में अपना वकालतनामा पेश कर पैरवी करना शुरू किया। कुछ दिनों के बाद जब आवेदकगण वकील के पास आई तब वकील ने दोनों महिलाओं को झांसा देकर जमीन का एग्रीमेंट करा लिया। इसके बाद वकील ने अपने भू-माफिया साथीगणों से बातचीत कर दोनों महिलाओं को बुलाकर उनके हिस्से की सम्पूर्ण भूमि का विक्रय अनुबंधपत्र कांग्रेस नेता के नाम करा लिया।
दोनों महिलाओं से वकील ने दोबारा एक भूमि बिक्रीनामा अनुबंध 21 नवंबर .2016 को करा लिया। उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में एग्रीमेंट कराया। यह अनुबंधपत्र 1,13,00,000 रूपए में प्रथमपक्ष की सम्पूर्ण उक्त भूमि के संबंध में निष्पादित हुआ है। जिसमें 5,50,000 रूपए की राशि देना लिखा गया है और राशि की पावती के रूप में इसी अनुबंध को माना गया है। जबकि आवेदकगण को मात्र 50,000 रूपए की राशि अनुबंध के समय प्रदान की गई है।
चेक के जरिये करना था भुगतान
कानून के मुताबिक उक्त राशि को चेक के माध्यम से दिया जाना चाहिए था, चेक के माध्यम से राशि का भुगतान न किया जाना इस बात का प्रमाण है कि अनुबंध में दर्शित राशि का भुगतान आवेदकगण को नहीं किया गया है।
वकील ने किया धोखाधड़ी
अभियुक्तगण ने प्रथम अनुबंधपत्र 1,75,000,00/-रूपये में तथा उसी भूमि का द्वितीय अनुबंधपत्र 1,13,00,000/- रूपए में करवाया, जबकि ये आवेदकगण अशिक्षित हैं और अपने अधिवक्ता पर अटूट विश्वास रख रहे थे, जिसका नाजायज फायदा उठाकर अधिवक्ता ने अपने अन्य सहयोगी अभियुक्तगणों के साथ मिलकर पूरी साजिश को अंजाम दिए हैं।
भरोसे का उठाया फायदा, वकील ने जहां कहा कर दिया दस्तखत
आवेदकगण के अधिवक्ता जहां कहते गए वहां आवेदकगण अपना हस्ताक्षर कर देते थे। प्रथम विक्रयपत्र के बाद 25 सितंबर 2017 को चन्द्रमणि कुशवाहा से दो प्लाट खसरा नंबर 55/1 और 122/4 रकबा क्रमशः 0.06 व 0.59 आरे भूमि का विक्रयपत्र निष्पादित करवाया जो उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में पंजीकृत हुआ। इस अनुबंधपत्र में अनुबंधित दो प्लाटों का कीमत 11,50,000/-रूपए चेक क्रमांक 0524 के माध्यम से भुगतान किया गया।
एक जमीन का दो बार कराया एग्रीमेंट
अभियुक्तगण ने प्रथम बार में अनुबंध पूरे प्लाटों का एक करोड़ 75 लाख रूपए में करवाया उसके बाद उसी प्लाट का एक करोड़ तेरह लाख रूपए में अनुबंध करवाया उसके बाद विक्रयपत्र निष्पादित करते समय अभियुक्तगण ने कुल चालीस लाख सोलह हजार रूपए ही भुगतान किए हैं। जिस भूमि का अनुबंध किया गया है और जिस भूमि की रजिस्ट्री अभियुक्तगण के द्वारा आवेदक को धोखा देकर करवाई गई है उस भूमि पर कब्जा आवेदकगण का नहीं है। उक्त भूमि पर आज भी आवेदकगण के भाईयों तथा उनके परिवार का कब्जा है।
कोर्ट ने की टिप्पणी, अधिवक्ता पेशे के विपरीत किया कृत्य
दोनों महिलाओं से एक और अनुबंधपत्र पंकज श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति को गुमराह करके कराया गया था। पंकज श्रीवास्तव को जब पूरे मामले की जानकारी हुई तब पंकज श्रीवास्तव ने आवेदक सहित अभियुक्तगणों के विरूद्ध थाने में शिकायत की थी। जिस पर आवेदक सहित अभियुक्त पर अपराध दर्ज हुआ है। अभियुक्तगण, आवेदकगण से उनके हक व स्वामित्व की भूमि का 1,75,00,000/- रूपए में अनुबंध कराकर, मात्र 40,16,000/ रूपए का भुगतान कर बेईमानी और धोखाधड़ी किया है। इसके अतिरिक्त अभियुक्त जो पेशे से अधिवक्ता है जिसे आवेदकगण ने अपना अधिवक्ता नियुक्त कर बंटवारा और नामांतरण कराने हेतु कहा, लेकिन इसने सारी बातों को समझकर, कार्य को कराने में काफी पैसा खर्च होने और राजनीतिक हस्तक्षेप की बात कहकर आवेदकगण को गुमराह कर कम दाम में पूरी जमीन को विक्रय करा दिया जो एक अधिवक्ता के कृत्य के ठीक विपरीत है।
जिस पर भरोसा किया उसी ने दिया दगा
अनुबंध और विक्रयपत्र के समय में कुल 28,08,000/ रूपए तथा धीरे-धीरे 12,08,000 रूपए दिए। इस तरह कुल 40,16,000/- रूपए का ही भुगतान किया है।
आईजी से लेकर थाना प्रभारी तक शिकायत, किसी ने नहीं की कार्रवाई
आवेदकगण को जब अभियुक्तगणों के कृत्यों की जानकारी मिली तब आवेदकगण ने पुलिस थाना अम्बिकापुर में 10 जून 2018, 16. फरवरी 2019, 07 जुलाई 2023 तथा पुलिस अधीक्षक को 06 जुलाई 2023, 21 अगस्त 2023 तथा पुलिस महानिरीक्षक को 14.सितंबर 2018, 16.फरवरी .2019 07 जुलाई .2023 को शिकायत की थी। आवेदकगण की शिकायत पर न तो थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिरीक्षक किसी के द्वारा कोई जांच की कार्यवाही नहीं की गई। अभियुक्तगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 का अपराध पंजीबद्ध कर अभियुक्तगण के विरूद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत किये जाने का निवेदन किया था।
सीजेएम कोर्ट ने 18 जून 2025 को थाना प्रभारी की दिया था आदेश
मामले की सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने थाना प्रभारी अंबिकापुर को पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने 18 जून 2025 को आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा है कि सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीबद्ध कर नियमानुसार विवेचना किया जाना सुनिश्चित करें। प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति दो सप्ताह के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।