Breaking News: परसा कोल ब्लाक- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को जारी किया नोटिस

Breaking News: हसदेव अरण्य को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की सिफारिश के अनुसार खनन मुक्त करने और संरक्षित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है। अगली सुनवाई चार सप्ताह होगी।

Update: 2024-11-05 14:24 GMT

Breaking News: बिलासपुर। हसदेव अरण्य को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की सिफारिश के अनुसार खनन मुक्त करने और संरक्षित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अडानी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भूयान की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की जनहित याचिका के अलावा परसा कोल ब्लॉक में खनन प्रारंभ न करने के आवेदन पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। जिसमें यह बताया गया है कि पहले से चालू खदान द्वारा उत्पादन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की वार्षिक आवश्यकता को पूरा कर रहा है और इस कारण भी किसी नए खदान को खोलने की आवश्यकता नहीं है। बता दें कि हाल ही में इस नई परसा कोयला खदान को खोलने के सरकारी प्रयास के विरोध में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था।

 केंद्र के दिशा निर्देशों का उल्लंघन

मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने डिवीजन बेंच को बताया कि उक्त पूरा क्षेत्र केंद्र सरकार के द्वारा ही नो गो क्षेत्र घोषित किया गया था। बाद में केंद्र सरकार द्वारा ही इस क्षेत्र को खनन के लिए निश्चित क्षेत्र इन वायलेट भी घोषित किया गया। इसके बाद भी राजस्थान विद्युत उत्पादन और अडानी समूह के खनन के लिए यहां खदानें आवंटित की गई।

 पीईकेबी में खनन हुआ तो चार लाख पेट कटेंगे

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने डिवीजन बेंच को बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के द्वारा भी इस क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की सिफारिश की गई है। उसके बाद भी छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार में पीईकेबी (परसा ईस्ट केतेबासन) खदान के चरण दो और परसा कोयला खदान की अनुमतियां जारी की है। जिसे जनहित याचिका में चुनौती दी गई है। इस क्षेत्र में खनन होने से चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे।

 दो याचिकाओं पर एकसाथ हो रही सुनवाई

सुनवाई के दौरान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नादकर्णी और अडानी समूह की कंपनियों की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने जनहित याचिका के औचित्य पर सवाल उठाया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उसे आवेदन पर भी नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि पीईकेबी खदान से कोयले की पूरी सप्लाई होने के बाद भी नई खदान बिना किसी कारण खोली जा रही है। जवाब पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया गया है।

 एक पीआईएल पहले से है लंबित

जनहित याचिका के साथ अंबिकापुर के अधिवक्ता दिनेश सोनी की याचिका भी लंबित है जिसमें राजस्थान और अडानी समूह के बीच हुए अनुबंधों को गैरकानूनी बताते हुए कहा गया है कि राजस्थान को अपने ही खदान का कोयला बाजार दर से महंगे में मिल रहा है और पूरा मुनाफा और लाभ अदानी समूह ले जा रहा है, जो की सरकारी कंपनियों को कोल ब्लॉक दिए जाने की पॉलिसी के उद्देश्यों के खिलाफ है, साथ ही राजस्थान बिजली कंपनी द्वारा कुल उत्पादन का लगभग 29 फीसदी कोयला अडानी समूह को मुफ्त में दिए जाने को भी एक बड़ा घोटाला बताया गया है। ऐसे ही अनुबंधों को सुप्रीम कोर्ट पहले कोल ब्लॉक घोटाले वाले मुख्य मामले के समय निरस्त कर चुका है फिर भी इस प्रकरण में केंद्र सरकार ने राजस्थान और अडानी के बीच पुराने अनुबंध को चालू रखने की छूट दी है जो कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और स्वयं सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के खिलाफ है।

Tags:    

Similar News