Bilaspur News: दो आईएएस अफसरों ने बैगा आदिवासी छात्रा के साथ कैरम बोर्ड पर आजमाए हाथ

Bilaspur News: स्कूली बच्चों के घुलना मिलना कोई बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण से सीखे। स्कूल हो या फिर हास्टल वहां पहुंचकर बच्चों के बीच बैठना, पढ़ाई के बारे में पूछना और मन लगाकर अध्ययन अध्यापन की सीख देना। 10वीं व 12 वीं के छात्रों के बीच परीक्षा परिणाम से पहले खूब मिले। छात्रों को डिप्रेशन से निकालने की कोशिशें भी खूब की। बच्चों के मन में किसी प्रकार का भय ना रहे और रिजल्ट को लेकर कोई गलत कदम ना उठाए इसके चलते वे अपना परीक्षा परिणाम बेझिझक बताते भी रहे हैं।

Update: 2024-08-06 11:55 GMT

Bilaspur News: बिलासपुर। दोपहर के वक्त कलेक्टर अवनीश शरण निगम आयुक्त के साथ शहर में संचालित आदिवासी बच्चों के छात्रावास का निरीक्षण करने निकले। बारिश का मौसम है। छात्रावास में रहने वाले आदिवासी बच्चों की सुविधा पर उनकी नजर थी। लिहाजा जरहाभाठा स्थित बैगा कन्या परिसर एवं प्री मेट्रिक आदिवासी छात्रावास पहुंचे। हास्टल में आदिवासी परिवार के 100 बच्चे रहते हैं। शहर की विभिन्न स्कूलों में कक्षा छठवीं से 10 वीं तक की पढ़ाई करते हैं। हास्टल की खासियत ये कि बैगा आदिवासी बेटियां यहां रहकर पढ़ाई कर रही है। बैगा आदिवासी जंगलों में निवास करते हैं।

खास बात ये कि घनी आबादी से दूर रहने और झोपड़ी में जंगलों के बीच जीवन गुजारने में ज्यादा भरोसा रखते हैं। ऐसे परिवार की बेटियां जंगलों से दूर न्यायधानी में आकर पढ़ाई कर रही है। इन्हीं बेटियों के बीच कलेक्टर अवनीश शरण पहुंचे। बैगा परिवार की बेटी चन्द्रमणि पैकरा से मिले। बैगा बेटियों को पढ़ाई के साथ खेल के प्रति भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। हास्टल परिसर में स्मार्ट क्लास एवं इंडोर गेम कक्ष भी बनाया गया है। टेबल में एक किनारे से जमे कैरम बोर्ड को देखकर कलेक्टर अवनीश शरण ने चंद्रमणि से पूछा कैरम खेलती हो। चंद्रमणि ने बताया कि वह खूब अच्छे से कैरम खेलती है। बस फिर क्या था। टेबल खींचकर कलेक्टर अवनीश शरण बैठ गए।

सामने के टेबल पर चंद्रमणि को और बाजू के टेबल पर निगम कमिश्नर अमित कुमार को बैठने का इशारा किया। शुरुआत निगम कमिश्नर अमित कुमार ने किया। अब बारी कलेक्टर की थी। कलेक्टर ने स्ट्राइकर को जमाया और सीधे गोल पर निशाना साधा। सफेद गोली कैरम के होल के भीतर चली गई। अब बारी चंद्रमणि की थी। चंद्रमणि ने कुशल खिलाड़ी की तर्ज पर हाथ दिखाना शुरू किया। देखते ही एक, दो और तीन व्हाइट गोलियों को अंदर किया। कलेक्टर ने इंद्रमणि से पढ़ाई के बारे में पूछा। किसी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं यह भी जानकारी मांगी।

रसोई घर में चखा परवल का स्वाद

बैगा बेटियों से चर्चा के दौरान कलेक्टर ने भोजन की गुणवत्ता पूछना नहीं भूले। तब उन्होंने हास्टल के अधिकारी व कर्मचारियों को अपने से दूर रखा था। बेटियों ने बताया दोनों समय खाना अच्छा मिलता है। बेटियों को साथ लेकर वे सीधे रसोई में पहुंचे। वहां दोपहर का भोजन बन रहा था। परवल की सब्जी बन रही थी। कलेक्टर ने परवल का स्वाद चखा।



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