Bilaspur News: फ्री के सरकारी चावल का दुकानदार और व्यापारी मिलकर ऐसे कर रहे खेला

Bilaspur News: केंद्र व राज्य शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक पीडीएस के चावल का जमकर खेला हो रहा है। बीपीएल कार्डधारकों को राशन दुकान के जरिए फ्री में मिलने वाले चावल को बेहद चालकी से मशीन के जरिए पतला किया जाता है और फिर ओपन मार्केट में उसे ऊंची कीमत पर बेचने का खेल चल रहा है। आप अंदाज नहीं लगा सकते ही फ्री के इस चावल का व्यापारी कितना बना रहे हैं। एक मशीन के जरिए इसे एक झटके में लाखों का बना दे रहे हैं।

Update: 2024-10-10 13:54 GMT

Bilaspur News: बिलासपुर। बिलासपुर जिले के राशन कार्डधारकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो चार लाख 75 के करीब कार्डधारक हैं। इनमें ढाई लाख से ज्यादा बीपीएल राशन कार्डधारी हैं। शेष एपीएल हैं। खाद्यान्न वितरण का मापदंड भी अलग-अलग है। बीपीएल को उचित मूल्य दुकान से चावल फ्री में मिलता है। एपीएल को प्रति किलोग्राम 10 रुपये के हिसाब से दिया जाता है। एक कार्ड में अगर तीन लोग हैं तो बीपीएल को 35 किलोग्राम चावल मिलता है। तीन से ज्यादा सदस्य हैं तो प्रति सदस्य सात किलोग्राम के हिसाब से चावल का वितरण किया जाता है। बीपीएल के लिए फ्री आपूर्ति है।

चावल की अफरा-तफरी में दोनों ही तरह के कार्डधारकों को राशन दुकानदार और व्यापारी के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी जिसे दलाल भी कह सकते हैं,जरिया बनाते हैं। बीपीएल व एपीएल दोनों ही तरह के कार्डधारकों से ये सीधे संपर्क में रहते हैं। हर महीने कार्ड के अनुसार मिलने वाला चावल सीधे दलाल के माध्यम से राशन दुकान से सीधे व्यापारी के गोदाम में पहुंच जाता है। कार्डधारकों को प्रति किलोग्राम 20 रुपये के हिसाब से दुकान में ही पेमेंट कर दिया जाता है। कार्डधारक भी मुफ्त के माल के एवज में प्रति किलोग्राम 20 रुपये के हिसाब राशि गिनकर खुशी-खुशी घर की ओर लौट जाता है। राशन दुकान से सीधे व्यापारी के गोदाम में जाने के बाद सरकारी मोटे चावल को पतला बनाने का खेल शुरू हाेता है।

फ्री के चावल को यह मशीन बनाता है लाखों का

व्यापारियों के गोदाम में शार्टेक्स मशीन आपको मिल ही जाएगा। पहले ये मोटा चावल या फिर पुराने चावल को चमकाने के लिए इसी मशीन का उपयोग करते थे। अब इसका दूसरे तरीके से इस्तेमाल होने लगा है। शार्टेक्स मशीन में जैसे ही चावल को डाला जाता है,वह अपना काम शुरू कर देती है। चावल में मिले कंकड़ के अलावा चावल के खराब व काले दाने को निकालकर अलग करने का काम करती है। शार्टेक्स में लगा सेंसर बेहतर क्वालिटी के दानों को अलग करने का काम करती है। उसके बाद मोटे चावल को छीलकर पतला चावल में बदल देती है। क्वालिटी बेस्ड बनाने के साथ ही चमकदार और उपयोगी दानों में बदल देती है। शार्टेक्स की सफाई के बाद राशन दुकान का मोटा चावल,पतले दानों में बदल जाता है। एकबारिगी आप पहचान नहीं पाएंगे।

मुफ्त के चावल की कीमत कुछ ऐसा

शार्टेक्स की सफाई और चमक के आगे आंखें भी धोखा खा जाती है। व्यापारी राशन के इसी फ्री चावल को तब डिमांड के अनुसार 40 से 42 रुपये किलो के हिसाब से सौदा करते हैं और टनों में चावल बाहर भेजा जाता है। व्यापारी शार्टेक्टस मशीन के जरिए मिस ब्रांड को ब्रांडेड बनाने का खेल कुछ इस अंदाज में कर रहे हैं।

छापेमारी में मशीन की बनाई है जब्ती

बुधवार को कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर खाद्य विभाग व जिला प्रशासन के अफसरों ने व्यापारी के प्रतिष्ठान में छापा मारा था। जहां राशन दुकान के चावल के अलावा शार्टेक्स मशीन की जब्ती भी बनाया है।

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