Bilaspur News: डीकेएस में होगा लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट: पढ़िये.. उस महिला के संषर्घ की कहानी, जो बनी इस फैसले की बड़ी वजह..
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Bilaspur News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका ने छत्तीसगढ़ में निवासरत गंभीर मरीजों के लिए केडेवर ट्रांसप्लांट का रास्ता खोल दिया है। किडनी की बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित बिलासपुर निवासी एक महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम सेस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मांगी थी। जिस पर राज्य शासन ने प्रक्रिया जल्द पूरी करने का आश्वासन हाई कोर्ट को दिया था। बुधवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की मौजूदगी में किडनी व लिवर ट्र्रांसप्लांट के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदने डीकेएस अस्पताल को छह करोड़ की मंजूरी दे दी है।
वर्ष 2022 में बिलासपुर निवासी आभा सक्सेना ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ में केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मांगी थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वह खुद किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित है। छत्तीसगढ़ में ही केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि राज्य में यह कानून ना होने के कारण देश के अन्य राज्यों में जहां ट्रांसप्लांट की सुविधा व कानून है वहां भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ती है।
राज्य में यह सुविधा मिलने से उनके अलावा गंभीर बीमारी से पीडित मरीजों को राहत के साथ ही सुविधा मिल जाएगी। राज्य शासन ने पहली ही सुनवाई में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को जानकारी दे दी थी कि जल्द ही केडेवर ट्रांसप्लांट के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। राज्य शासन ने 2022 में ही छत्तीसगढ़ में केडेवर ट्रांसप्लांट को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया था।
राज्य शासन ने अगस्त 2022 में छत्तीसगढ़ में केडेवर ट्रांसप्लांट यानी मृतकों के अंगों के दान को राज्य शासन ने अनुमति दे दी थी। तय प्रावधान के अनुसार अब राज्य में किडनी लीवर, लंग्स, हार्ट और पैंक्रियाज के अलावा मृत व्यक्ति की त्वचा जस्र्रतमंदों को मिल सकेगी। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जिन्हें मानव अंगों की जरुरत है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने प्रावधानों के अनुरूप ऐसे अस्पतालों का निरीक्षण कर चिन्हित भी किया है, जहां अंग प्रत्यारोपण की सुविधा है।
स्वास्थ्य संचालनालय ने 16 अगस्त 2022 को इस संबन्ध में आदेश जारी किया था। तय प्रावधान के अनुसार जीवित रहते हुए व्यक्ति अपने अंगदान का घोषणा पत्र भरकर स्वास्थ्य विभाग में जमा करता है। संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके शरीर के विभिन्न् अंगों को परिजनों की सहमति से निकाला जाता है।
ब्रेन डेथ कमेटी करेगी फैसला
केडेवर ट्रांसप्लांट को लेकर शासन की अनुमति के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में ब्रेन डेथ कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की अनुशंसा के बाद ही मृत व्यक्ति के विभिन्न् अंगों को निकालने और जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
प्रदेश में गंभीर बीमारी से ग्रसित 250 से ज्यादा मरीज
एक जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में गंभीर बीमारी से ग्रसित 250 से ज्यादा मरीज हैं। ये ऐसे मरीज हैं जिनको ट्रांसप्लांट के लिए किडनी, लंग्स,लीवर और हार्ट की जरूरत है। इस तरह के अंग दो व्यक्ति ही दे सकते हैं। रक्त संबंधी या फिर ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति। ब्रेन डेड व्यक्ति आठ अलग-अलग लोगों को जीवन दे सकता है।
ये है प्रक्रिया
स्टेट आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) में शामिल चिकित्सा विशेषज्ञ उन अस्पतालों का निरीक्षण करेंगे, जिन्होंने केडेवर ट्रांसप्लांट के लिए आवेदन पेश करते हुए अनुमति मांगी है। तकनीकी विशेषज्ञों की टीम तय प्रावधानों के तहत स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर का निरीक्षण करेगी। प्रावधानों के अनुरुप सुविधा मिलने की स्थिति में संबंधित अस्पताल प्रबंधन को अंग प्रत्यारोपण की अनुमति दी जाती है।
दो तरह से होगी ट्रांसप्लांट की प्रकिया
केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मिलने के बाद अब अंगदान की प्रक्रिया दो तरह से होगी। व्यक्ति जीवित रहते अपने अंगदान करने की घोषणा पत्र भरकर स्वास्थ्य विभाग में जमा करता है। संबंधित व्यक्ति के मृत होने के बाद उनके शरीर के विभिन्न् अंगों को जरुतमंदों को दान करने के लिए परिजन की सहमति अनिवार्य होगी। उनकी सहमति के बाद ही अंग निकाले जाते हैं।
राज्य में अभी लाइव डोनर ट्रांसप्लांट
केंद्र सरकार ने वर्ष 1994 में पारित ट्रांसप्लांट ऑफ ह्युमन ऑर्गंस एक्ट को वर्ष 2011 में जरुरी शर्तों के साथ संशोधित किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे स्वीकृत कर सिर्फ लाइव डोनर ट्रांसप्लांट की अनुमति दी है। ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान के लिए अलग से सेल बनाना होगा। राज्य सरकार ने सोटो का गठन कर दिया है।