Bilaspur High Court: महिला शिक्षा कर्मी की ऐसे चली अदालती लड़ाई: अपने अधिकार के लिए इस महिला ने 11 साल लड़ा मुकदमा, हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा जारी किया आदेश

Bilaspur High Court: फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षा कर्मी की नौकरी हासिल करने के आरोप में सीईओ जनपद पंचायत लोरमी ने बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया था। दरअसल सीईओ को जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर इस तरह का आदेश देने का अधिकार ही नही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने संविधानिक मुद्दों को कोर्ट के सामने रखा। हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह सुनाया फैसला।

Update: 2024-09-26 07:20 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षा कर्मी बनने का बीते 11 वर्षों से आरोप झेल रही एक महिला को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से राहत मिली है।

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश के अलावा कलेक्टर मुंगेली के अपील आदेश तथा आयुक्त बिलासपुर संभाग के पुनरीक्षण आदेश को निरस्त करते हुए शिक्षा कर्मी के पद पर बहाल करने का आदेश जारी किया है।

जनपद पंचायत लोरमी के शासकीय प्राथमिक शाला रतियापारा में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर पदस्थ सविता काटले को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत लोरमी ने एक आदेश जारी कर 4 नवंबर 2011बर्खास्त कर दिया था। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप के कार्रवाई की थी। सीईओ के आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता सविता काटले ने याचिका में कहा है उसकी नियुक्ति शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर प्राथमिक शाला रतियापारा में वर्ष 2007 में हुई थी। नियुक्ति के बाद उसके विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षाकर्मी के पद पर नियुक्ति की शिकायत प्राप्त होने पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत लोरमी द्वारा बर्खास्त कर दिया गया। सीईओ के बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ कलेक्टर मुंगेली के समक्ष अपील पेश की। कलेक्टर मुंगेली ने 27 सितंबर 2012 को सविता काटले के अपील को निरस्त कर दिया।

कमिश्नर कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए सविता आयुक्त बिलासपुर संभाग के कोर्ट में पुनरीक्षण अपील पेश की। मामले की सुनवाई के बाद कमिश्नर ने पुनरीक्षण अपील को खारिज कर दिया।

कमिश्नर कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में दी चुनौती, मिली राहत

कमिश्नर कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सविता काटले ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडे के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत लोरमी को जाति संबंधित विवाद होने पर बर्खास्त का अधिकार नहीं है। कार्रवाई से पहले मामला उच्च स्तरीय जांच समिति को भेजना चाहिए थाई कार्रवाई से पहले सीईओ ने याचिकाकर्ता काटले को न ही कारण बताओं नोटिस जारी किया गया ना ही उसे सुनवाई का अवसर दिया गया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश के अलावा कलेक्टर मुंगेली के अपील आदेश तथा आयुक्त बिलासपुर संभाग के पुनरीक्षण आदेश को निरस्त करते हुए शिक्षा कर्मी के पद पर बहाल करने के आदेश जारी किया है।

Tags:    

Similar News