Bilaspur High Court: छत्‍तीसगढ़ के इन 2 IAS सहित 4 अफसरों पर चलेगा अवमानना का मुकादम: हाईकोर्ट ने 21 अगस्‍त को किया तलब

Bilaspur High Court: छत्‍तीसगढ़ के 2 आईएएस सहित 4 अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलेगा। 21 अगस्त को इन अफसरों को कोर्ट के सामने उपस्थित होकर देना होगा जवाब।

Update: 2024-07-23 12:29 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। भू अर्जन की कार्रवाई किए बिना किसान के खेत पर कब्जा कर सड़क का निर्माण करा दिया है। हाई कोर्ट के आदेश के चार साल बाद भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया है। नाराज कोर्ट ने जांजगीर-चांपा जिले के तत्कालीन कलेक्टर यशवंत कुमार व जितेंद्र शुक्ला व दो अन्य अफसरों के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में चार्ज फ्रेम कर व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने 21 अगस्त की तिथि तय कर दी है।

जांजगीर-केरा रोड निवासी कमलेश सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जिला प्रशासन के साथ ही पीडब्ल्यूडी व भूअर्जन अधिकारी द्वारा उसकी जमीन पर जबरिया कब्जा कर सड़क बनाने की शिकायत दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ता किसान ने अपनी याचिका में बताया था कि ग्राम कोसा में खसरा नंबर 108/1 में उसकी जमीन है। उक्त जमीन में बिना भूमि अधिग्रहण किये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कर दिया गया है।

कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर विधिवत भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई कर मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। कलेक्टर के समक्ष शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में हुई। वर्ष 2001 में कलेक्टर जांजगीर-चांपा को नोटिस जारी कर छह महीने के भीतर याचिकाकर्ता भूमि स्वामी के जमीन का अधिग्रहण कर नियमों के अनुसार मुआवजा का वितरण करने का निर्देश दिया था।

कलेक्टर ने नहीं सुनी बात,तब हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

हाई कोर्ट के निर्देश के छह महीने बाद भी जब कलेक्टर कार्यालय से किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई तब किसान ने एक बार फिर कलेक्टर को हाई कोर्ट के आदेश की कापी के साथ आवेदन पेश कर मुआवजे की मांग की। लगातार जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट के आदेश के चार साल बाद भी जब मुआवजा नहीं मिला तब किसान ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दो आइएएस अफसर व दो अन्य अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। दो आइएएस सहित सभी चारों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।

भुगतनी पड़ सकती है छह महीने की सजा

न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए नया नियम लागू कर दिया है। आदेश की अवहेलना करने वाले अफसरों को छह महीने की सजा व दो हजार रुपये जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

जस्टिस गौतम भादुड़ी ने 2021 में कलेक्टर जांजगीर को याचिकाकर्ता को 6 माह के अंदर मुआवजा देने का आदेश दिया। आदेश का पालन नहीं होने पर उन्होंने अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका पेश की। कोर्ट ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कोर्ट ने अधिकारियों के जवाब से असंतुष्ट होने पर इनके विरुद्ध अवमानना का चार्ज फ्रेम किया व जवाब देने 21 अगस्त को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

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