Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा-जान चाहे मानव की हो या जानवर की होती है कीमती
Bilaspur High Court: बिजली करंट से वन क्षेत्र में हाथियों की हो रही मौत को रोकने दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कुछ इस अंदाज में की टिप्पणी।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौत को रोकने दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने राज्य शासन के उस जवाब को लेकर हैरानी जताई जिसमें बताया गया है कि बीत तीन साल के दौरान जंगलों में बिजली करंट से 21 हाथियों की मौत हो गई है। इस पर
कोर्ट ने कहा जान, चाहे मानव की हो या जानवर की, जान कीमत होती है। डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन्स का पालन करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने ती अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।
हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौत को लेकर नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका दायर की है। दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच को राज्य शासन ने बताया कि बीते तीन साल के दौरान 21 हाथियों की मौत बिजली करंट से हुई है।
राज्य शासन के जवाब के बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या सब ऐसे ही खत्म हो जाएंगे। वाइल्ड लाइफ को नहीं बचाएंगे तो गए काम से। इनकी सुरक्षा और संरक्षा की जिम्मेदारी हम सबको उठानी ही पड़ेगी। जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी।
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की तरफ से बताया गया कि जून 2024 में सूरजपुर के पास जंगल में एक खेत में लगे 11 केवी के पोल से एक हाथी टकरा गया और पोल झुक गया, जिससे दूसरा हाथी झुके तार के करंट के संपर्क में आने से वहीं मर गया। फोटो देख कोर्ट ने कहा पोल को सरसरी तौर पर लगाया गया और ऐसे पोल एक झटके में निकल जाएंगे।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि 26 जून 2024 को ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों के उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि 11 केवी लाइन, 33 केवी लाइन और एलटी लाइन के झुके हुए तारों को ठीक करने का काम, तार की ऊंचाई बढ़ाने का काम तथा वन क्षेत्र, हाथी रहवास, हाथी विचरण क्षेत्र में भूमिगत बिजली की लाइन बिछाने अथवा इंसुलेट केबल लगाने का कार्य तथा स्पाई युक्त खंबो का प्रयोग करने का कार्य ऊर्जा विभाग और छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी करेगी।
26 जून 2024 की बैठक में केंद्र के बनाए गए दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है। जिसके अनुसार विद्युत कंपनी को सभी झुकी हुई लाइनों को ठीक करना है, तार को वन क्षेत्र में जमीन से कम से कम 20 फीट ऊंचाई पर करना है और 11 केवी और एलटी लाइन के कंडक्टर को बदलकर कवर्ड कंडक्टर लगाना है।
भारत सरकार के फारेस्ट कंजर्वेशन डिवीजन की अनुशंसा के अनुसार तो बिजली लाइन की ऊंचाई हाथियों की अधिकतम ऊंचाई जो भी ज्यादा के हो उसके अनुसार होगी, गौरतलब है कि पिछले पांव पर खड़े होने पर और सूंड ऊपर करने पर हाथी 20 फीट तक पहुंच सकता है।