Bilaspur High Court: हाई कोर्ट की नहीं सुनी, अब आईएएस मैडम को झेलनी पड़ रही अवमानना, जानिये.. कितनी हो सकती है सजा

Bilaspur High Court: मामला अविभाजित जांजगीर-चांपा जिले का है। वर्तमान में यह सक्ती जिले का हो गया है। जमीन अधिग्रहण के मामले में हाई कोर्ट ने सक्ती कलेक्टर को चार महीने के भीतर याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद भी फाइल आगे नहीं सरकी। याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर कर पूर्व कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना को ही प्रमुख पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर सुनवाई प्रारंभ कर दी है। पूर्व कलेक्टर सहित आधा दर्जन अफसरों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश दिया है।

Update: 2024-08-20 05:45 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिना अधिग्रहण किए पीडब्ल्यूडी ने दो किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया और सड़क भी बना दी। किसानों ने जब भू अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के मुआवजे की मांग की तो अफसरों ने उनकी नहीं सुनी। इस पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पीडब्ल्यूडी की मनमानी की शिकायत की। किसानों ने बताया कि बिना सहमति जमीन ले ली और सड़क भी बना दिया। कृषि की जमीन लेने के बाद मुआवजा भी नहीं दे रहे हैं। हाई कोर्ट ने कलेक्टर सहित संंबंधित अधिकारियों को चार महीने के भीतर प्रकरण का निराकरण का निर्देश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद भी अफसरों ने फाइल आगे नहीं सरकाई।

किसानों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पूर्व कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना सहित आधा दर्जन अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। दायर याचिका में किसानों ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी अफसरों ने मुआवजा राशि का वितरण नहीं किया है। ऐसा कर कलेक्टर सहित अधिकारियों ने न्यायालयीन आदेश की अवेहलना की है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अधिकारियों को अवमानना को दोषी माना है। कोर्ट ने पूर्व कलेक्टर सहति आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस जारी कर 3 September को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

क्या है मामला

अविभाजित जांजगीर चाम्पा जिला के ग्राम अंडी पोस्ट किरारी निवासी नेतराम भारद्बाज व भवानीलाल भारद्बाज की जमीन पर बिना अधिग्रहण पीडब्ल्यूडी ने सड़क निर्माण कर दिया। भू स्वामियों ने कलेक्टर जांजगीर के समक्ष विधिवत जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा दिलाने आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने से उन्होंने अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका पेश की। याचिका में सचिव लोक निर्माण विभाग, कलेक्टर सह प्रभारी अधिकारी भूमि अर्जन जांजगीर चाम्पा, अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व एवं भूमि अर्जन सक्ती, अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग चांपा संभाग, तहसीलदार मालखरौदा को पक्षकार बनाया गया। नवंबर 2022 में जस्टिस आरसीएस सामंत ने सुनवाई में पाया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि 2012 में ली गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 15 दिवस के अंदर अभ्यावेदन देने एवं उत्तरवादी कलेक्टर एवं भू अर्जन अधिकारी को चार महीने के भीतर अनिवार्य रूप दावे की जांच करने अधिग्रहण के लिए कार्यवाही शुरू कर यथाशीघ्र एक समय सीमा के भीतर मुआवज़ा निर्धारित कर भुगतान का आदेश दिया।

ये अफसर अवमानना के दोषी

पूर्व कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना, राकेश द्बिवेदी अनुविभागीय अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) सक्ती, रूपेंद्र पटेल अनुविभागीय दंडाधिकारी मालखरौदा, रेना जमील मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, एवं प्रज्ञा नंद, कार्यकारी अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) ब्रिज जगदलपुर को नाम सहित पक्षकार बनाया गया है। बता दें कि अवमानना मामले में छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान हाई कोर्ट ने किया है।

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