Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के दो फैसलों पर डिवीजन बेंच ने लगाई रोक, डिप्टी कलेक्टर व तहसीलदारों को मिली राहत
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में सिंगल बेंच के उन दो आदेशों पर रोक लगा दी है जिसके तहत पूर्व मंत्री के ओएसडी व डिप्टी कलेक्टर के अलावा सरपंच को न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में अवमानना नोटिस जारी किया था। पढ़िए सिंगल बेंच का वह दो आदेश जिस पर डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के दो महत्वपूर्ण फैसले जिसमें सरकारी जमीन की अफरा-तफरा में हाथ काला करने वाले तब के अतिरिक्त तहसीलदार और वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर व एक सरपंच के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इन दोनों फैसले पर जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। बता दें कि सिंगल बेंच द्वारा जारी अवमानना नोटिस को याचिकाकर्ताओं ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील पेश की थी। दोनों मामलों की डिवीजन बेंच में सुनवाई के बाद कुछ इस तरह का फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर त्रुटि पाते हुए इस तरह का आदेश जारी किया है।
लक्ष्मी वैष्णव ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए पेश अपील में डिवीजन बेंच के समक्ष जानकारी देते हुए बताया कि सिंगल बेंच ने न्यायालयीन अवमानना का दोषी पाते हुए उसे सरपंच पद से हटाते हुए अमरिका बाई अजगले को ग्राम पंचायत का कार्यवाहक सरपंच नियुक्त करने का निर्देश जारी किया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि ऐसा आदेश या निर्देश न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत पारित नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता को बहुमत से कार्यवाहक सरपंच के रूप में विधिवत चुना गया था और 16.01.2024 से वह बिना किसी चूक के अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है। इसलिए 18.09.2024 को सिंगल बेंच द्वारा जारी विवादित आदेश के प्रभाव और संचालन पर अन्य पक्षों को नोटिस दिए जाने तक रोक लगाई जाए। अमरिका बाई अजगले के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना का पुरजोर विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता अवमानना मामले में पक्षकार नहीं है और अवमानना मामले में अवमाननाकर्ता ने 23.04.2024 को पारित सिंगल बेंच के आदेश का पालन नहीं किया है, इसलिए अवमानना न्यायालय ने सही ढंग से आरोपित आदेश पारित किया है और यह अपील स्वीकार्य नहीं है और खारिज किए जाने योग्य है।
कोर्ट की टिप्पणी
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि हमने याचिकाकर्ता और प्रतिवादी अमरिका बाई अजगले के अधिवक्ताओं को सुना, और कोर्ट द्वारा पारित 18.09.2024 के विवादित आदेश का भी अवलोकन किया है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि अवमाननाकर्ता को सरपंच पद से हटाने का निर्देश जारी किया गया था और याचिकाकर्ता के अनुसार, वह जनवरी, 2024 से काम कर रही है, विशुद्ध रूप से अंतरिम उपाय के रूप में, यह निर्देश दिया जाता है कि 18.09.2024 के आदेश का प्रभाव और संचालन सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा।
डिप्टी कलेक्टर जय शंकर उरांव के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता उस समय उस पद पर तैनात नहीं था, जब सिंगल बेंच द्वारा 12.08.2024 को आदेश पारित किया गया था। यहां तक कि अवमानना मामले में 25.10.2024 को विवादित आदेश पारित करने के समय भी याचिकाकर्ता कहीं और पदस्थ था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि सरकारी मजीन की हेरा-फेरी के संबंध में मुख्य आरोप संबंधित न्यायालय के रीडर के खिलाफ है कि उसने संबंधित रिकॉर्ड को गलत जगह रख दिया है। इसलिए याचिकाकर्ता को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, प्रतिवादियों को नियमानुसार पीएफ. के भुगतान पर साधारण और पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस जारी किया जाता है। इस बीच 25.10.2024 के उस आदेश को देखते हुए, जिसमें अपीलकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था, डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई तक उक्त आदेश का प्रभाव और संचालन पर रोक लगा दिया है।
क्या है मामला
पौंसरा की 2.15 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री 2013-14 में की गई थी। तब इसे लेकर जमकर विवाद हुआ था। विवाद सुलझने के बाद जमीन का नामांतरण कर दिया गया। नामांतरण आदेश में तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जय शंकर उरांव के हस्ताक्षर हैं। पेखन लाल शेंडे ने रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण आदेश के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने. की मांग करते हुए 31 अगगस्त 2024 को तहसीलदार बिलासपुर के समक्ष आवेदन पेश किया. लगातार स्मरण करने के बाद भी जब दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराया गया तब पेखन लाल शेंडे ने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने तहसीलदार बिलासपुर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को पूरे प्रकरण के दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कोर्ट के निर्देश के बाद भी याचिकाकर्ता को दस्तावेज नहीं मिले।
डिप्टी कलेक्टर व दो तहसीलदार के खिलाफ दायर की है अवमानना का मामला
निर्धारित समय में अफसरों द्वारा दस्तावेज उपलब्ध न कराये जाने पर पेखन लाल ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए एसडीएम बिलासपुर पीयूष तिवारी, तहसीलदार अतुल वैष्णव, तहसीलदार मुकेश देवांगन के खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। राजस्व अफसरों ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट से मोहलत मांगी थी।