Bilaspur High Court: CG के बड़े सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था- चीफ जस्टिस ने कहा, क्या फायदा ऐसे सरकारी अस्पताल का जहां जरुरतमंदों को समय पर इलाज ना मिले

Bilaspur High Court: जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नाराज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था और डाक्टर सहित स्टाफ की लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई। उनको यहां तक कहना पड़ गया कि क्या फायदा ऐसे सरकारी अस्पताल बनाने का जहां इमरजेंसी में समय पर बीमार व्यक्ति को इलाज ना मिल पाए। पढ़िए छत्तीसगढ़ के किस बड़े सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर सीजे ने नाराजगी जताते हुए तल्ख टिप्पणी की।

Update: 2024-10-01 15:20 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। राजधानी के बाद छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े शहर में न्यायधानी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले बिलासपुर शहर का नाम आता है। यहां के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जिला अस्पताल में अव्यवस्था को लेकर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई है। बीते दिनों मीडिया में प्रकाशित खबर को स्वत:संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड कराने के बाद सुनवाई प्रारंभ की है।

मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने दोटूक कहा कि हम अपनी तरफ से कितना प्रयास कर रहे हैं कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सुधर जाए। जरुरतमंदों को चिकित्सा सुविधाएं समय पर मिले। पर कोई सुनने वाला नहीं है। नाराज सीजे ने यहां तक कह दिया कि ऐसे अस्पताल चलाने का फायदा ही क्या जब जरुरतमंदों को समय पर इलाज ना मिल पाए। अगर कोई इमरजेंसी में इलाज कराने भरोसे के साथ गया है उसके साथ क्या इसी तरह का व्यवहार होना चाहिए। यह तो समझ से परे है। गजब हो गया है। कोई सुनने और समझने को तैयार ही नहीं है।

 मीडिया ने तो इमोशन को निकाल कर सामने ला दिया है

पीआईएल की सुनवाई के दौरान सीजे ने कहा कि मीडिया ने तो इमोशन को निकालकर सामने लाग दिया है। धरातल पर जाएंगे तो और भी गड़बड़ी सामने आएगी। निश्चित रूप से कुछ अलग ही तस्वीर सामने आएगी।

 सरकार रोज सस्पेंड कर रही है,इसके बाद भी व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है

सरकारी अस्पतालों के अलावा अन्य विभागों में फैली अव्यवस्था को लेकर सीजे ने टिप्पणी की। उनका कहना था कि सरकार लगातार कड़ाई बरत रही है। कामकाज को पटरी पर लाने की कोशिश भी कर रही है। इसके चलते रोज किसी ना किसी विभाग के कर्मचारी,अधिकारी व शिक्षक को सस्पेंड कर रही है। अचरज की बात ये कि इसके बाद भी व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है। सब तरफ से चौतरफा प्रयास के बाद भी सरकारी महकमा समझने को तैयार ही नहीं है।

 क्या है मामला

दयालबंद के पास सड़क हादसे में घायल युवक को कुछ लोगों की मदद से रात 10.30 बजे इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर गए। इस दौरान युवक दर्द से चिखता चिल्लाता रहा। डाक्टर ने ना तो इलाज किया और ना ही मेडिकल स्टाफ भी मदद के लिए आगे आए। बेटे की सड़क दुर्घटना की सूचना मिलने पर रात में बुजुर्ग पिता अस्पताल पहुंचा और इलाज के लिए मेडिकल स्टाफ से मिन्नतें करता रहा। पर किसी ने एक नहीं सुनी। मेडिकल स्टाफ ने बिना इलाज के लिए ही घायल को सिम्स रिफर कर दिया।

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