प्रदेश की जेलों से बीते कोरोना काल में पेरोल पर निकले 36 क़ैदियों का अब तक पता नहीं..8 की बाहर मौत……..जबकि सात बंदी पैरोल अवधि के पहले नए अपराध के बंदी बन जेल पहुँचे..

Update: 2021-05-11 00:10 GMT
प्रदेश की जेलों से बीते कोरोना काल में पेरोल पर निकले 36 क़ैदियों का अब तक पता नहीं..8 की बाहर मौत……..जबकि सात बंदी पैरोल अवधि के पहले नए अपराध के बंदी बन जेल पहुँचे..
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रायपुर,11 मई 2021। कोरोना काल के पहले चरण में प्रदेश की केंद्रीय जेलो से पेरोल पर छोड़े गए 36 क़ैदियों का कोई पता नहीं है। याने यह 36 क़ैदी फ़रार हो चुके हैं। जेल में भीड़ को कम करने का फ़ैसला पिछले साल इसलिए किया गया ताकि कोरोना को लेकर हालात नियंत्रित रहें, इसके लिए कई क़ैदियों को पेरोल पिछले वर्ष मिली, लेकिन पेरोल अवधि समाप्त होने के साल भर बाद जबकि कोरोना की दूसरी वेव क़हर बरपा रही है और सर्वोच्च अदालत ने जेल के भीतर भीड़ कम करने की व्यवस्था किए जाने की बात कही है, इन 36 बंदियों का कोई पता नहीं लग पाया है।

हालाँकि पेरोल पर निकलने वालों के आँकड़े दिलचस्प हैं जबकि यह पता चलता है कि सात बंदी पेरोल अवधि पर निकले और पेरोल अवधि समाप्ति के पहले ही नए अपराध के आरोपी बन पुलिस के हत्थे चढ़े और पुलिस ने उन्हें जेल दाखिल करा दिया। पेरोल पर निकले 8 अन्य बंदी इसलिए नहीं लौटेंगे क्योंकि जेल के बाहर ही उनकी मौत हो गई है।

जेल प्रशासन की मुसीबत वो 36 बंदी है जो फ़रार हैं। नियमों के अनुसार ऐसे बंदी जो पेरोल की अवधि तक वापस नहीं लौटते उनके उतने दिन सजा में बढ़ जाते है, वहीं पुलिस में प्रकरण दर्ज होता है। इसमें धारा 224 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। इसमें छ माह की सजा होती है।
हालाँकि इससे एक और बड़ा नुकसान जो क़ैदी को होता है वो यह कि, उसे पेरोल या कि माफी का लंबे समय तक लाभ नहीं मिलता।पेरोल केवल उन बंदियों को हासिल होता है जो सजायाफ्ता होते हैं, यह विचाराधीन बंदी को हासिल नहीं होता।

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