पर्यावरण स्वीकृति मिलने से एसईसीएल उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने की ओर अग्रसर

Update: 2020-01-23 14:18 GMT

बिलासपुर 23 जनवरी 2020 राष्ट्र के विकास में कोयला उत्पादन की अहम भूमिका है।ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति हेतु कोयला ही मुख्य स्त्रोत होने के कारण कोयला खनन आवश्यक हो जाता है, इसमें कोल इण्डिया का महत्वपूर्ण योगदान है।कोल इण्डिया अंतर्गत इसकी अनुषंगी कम्पनी एसईसीएल के कुसमुण्डा खुली खदान को हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 40 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 50 मिलियन टन प्रतिवर्ष (नार्मेटिव) और 62.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (पीक) की स्वीकृति दी है

इससे कोयला उत्पादन को बल मिलेगा।कुसमुण्डा खुली खदान को पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में पर्यावरण स्वीकृति दोबार एमओयूएफ द्वारा बढ़ायी गयी थी जिसमें पहली बार 26 मिलियन टन प्रतिवर्षसे बढ़ाकर 36 मिलियन टन प्रतिवर्ष कर दी गयी थी जिसे दूसरी बार आगे बढ़ाकर 40 मिलियन टन प्रतिवर्ष कर दिया गया था।
इसी प्रकार सोहागपुर क्षेत्र के खैरहा भूमिगत खदान की 0.819 मिलियन टन प्रतिवर्ष की पर्यावरण स्वीकृति अगले 30 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।इन खदानों की पर्यावरण स्वीकृति होने से एसईसीएल की खनन गतिविधियों में तेजी आएगी एवं एसईसीएल अपने अपेक्षित उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकेगा।

पिछले 11 दिनों से एसईसीएल द्वारा 5 लाख टन प्रतिदिन कोयला उत्पादन के आॅंकड़े को पार कर रहा है।दिनांक 22.01.2020 को एसईसीएल द्वारा 5,30,814 टन कोयला उत्पादन कियाहै। एसईसीएल अपने कोयला उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव समेकित रूप से प्रयास कर रहाहै।

 

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