देशद्रोह में फंसे IPS के सस्पेंशन के बाद अब गिरफ्तारी कभी भी….. केंद्र सरकार ने चीफ सिकरेट्री को लिखा पत्र….हर हाल में 7 अप्रैल तक फाइल करें इस अफसर के खिलाफ चार्जशीट….ये गंभीर आरोप है इस IPS पर

Update: 2020-03-08 08:18 GMT

नयी दिल्ली 8 मार्च 2020। देशद्रोह के आरोप में सस्पेंड हुए IPS एबी वेंकेटेश्वर राव की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के चीफ सिकरेट्री को पत्र लिखकर 7 अप्रैल तक चार्जशीट करने को कहा है। 7 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अवर सचिव राजीव कुमार निगम ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को इस संबंध में कार्रवाई तेज करने को कहा है। इससे पहले पिछले महीने पूर्व मुख्यमंत्री के बेहद खास IPS अफसर वेंकेटेश्वर राव को सस्पेंड कर दिया गया है। वो खुफिया डिपार्टमेंट एडीजी थे। 2017-2018 के दौरान पुलिस सेवा योजना के आधुनिकीकरण के तहत crore 25.50 करोड़ की लागत से एरोस्टैट और मानव रहित हवाई वाहनों की खरीद में अनियमितताएं हुई थीं।

1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी को सरकारी अनुमति प्राप्त किए बिना विजयवाड़ा नहीं छोड़ने का निर्देश दिया गया था। आपको बता दें कि एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सरकार के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस) के रूप में काम करते हुए राव ने अपने बेटे व अकासम अडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ चेतन साई कृष्णा को अवैध रूप से महत्वपूर्ण खुफिया और निगरानी अनुबंध देने के लिए इजरायल के रक्षा उपकरण निर्माता आरटी इंफ्लाटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर काम किया।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘यह आरोपी अधिकारी और एक विदेशी रक्षा निर्माण फर्म के बीच एक सीधा सह-संबंध साबित करता है। इस प्रकार नैतिक आचार संहिता और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के नियम (3) (ए) का प्रत्यक्ष उल्लंघन दिखाता है।’

यह पाया गया कि राव के कृत्य से राज्य और राष्ट्र के प्रति विश्वसनीय सुरक्षा खतरा पैदा हो गया। उन पर खुफिया प्रोटोकॉल और पुलिस की प्रक्रियाओं का विदेशी रक्षा विनिर्माण फर्म के सामने खुलासा करने का आरोप है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाने वाले राव को पिछले साल मई में वाईएस जगनमोहन रेड्डी के पद संभालने के बाद खुफिया प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। तब से वह पोस्टिंग के इंतजार में थे।

इससे पहले अप्रैल में चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) द्वारा दायर एक शिकायत के बाद खुफिया प्रमुख के स्थानांतरण का आदेश दिया था। तत्कालीन विपक्षी दल ने आरोप लगाया था कि चंद्रबाबू नायडू राज्य में चुनाव प्रक्रिया को विफल करने के लिए पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल कर रहे थे। वाईएसआरसीपी ने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी में करीब दो दर्जन वाईएसआरसीपी विधायकों के दलबदल के पीछे राव का हाथ था।

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