16 साल बाद शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा घर, तो पहली बार पापा को देखकर फफक पड़ी बेटी, बोली….मैं भी सेना ज्वाईन करूंगी, पैदा नहीं हुई थी कि पिता हो गए थे शहीद

Update: 2021-09-29 01:42 GMT
16 साल बाद शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा घर, तो पहली बार पापा को देखकर फफक पड़ी बेटी, बोली….मैं भी सेना ज्वाईन करूंगी, पैदा नहीं हुई थी कि पिता हो गए थे शहीद
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गाजियाबाद, 29 सितंबर 2021। मुरादनगर के हिसाली गांव में अजीब दृश्य था….शहीद जवान अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर 16 साल बाद घर पहुंचा। पापा को पहली बार देखकर बेटी ईशू फफक कर रो पड़ी। दरअसल, उसने पहली बार अपने पिता को देखा था। जब वो गर्भ में ही तो 2005 में अमरीश त्यागी शहीद हो गए थे। अमरिश की शहादत के बाद ईशू का जन्म हुआ। वो फोटो में पिता को देखी थी या फिर मां ने जैसा बताया, वो छबि उसके दिलोदिमाग में थी। ईशू को पहली बार पिता को देखने का मौका भी मिला तो पार्थिव शरीर के रूप में।

सालों तक घर वालों की उम्मीद रही कि शायद अमरिश एक दिन घर आ जाएंगे। लेकिन, एक-एक साल करके जब 10 साल गुजर गए तो लगा कि अब वे नहीं आएंगे। भारतीय सेना ने भी शहीद मानकर अमरिश के परिवार को मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया था। फिर भी अमरिश की पत्नी और बेटी को लगता था कि एक दिन वे जरूर आएंगे। वाकई, 16 साल बाद ही अमरिश आए मगर तिरंगा में लिपटे हुए।

अमरीश 23 अक्टूबर, 2005 को सियाचीन से लौटते समय उत्तराखंड के हरशील की खाई में गिर गए थे। उनके साथ हादसे में शहीद हुए 3 जवानों के शव तो मिल गए थे लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया था। अब 2 दिन पहले बर्फ पिघलने से एक शव दिखा था। इसके बाद कपड़े और कुछ पेपरों के आधार पर शव की पहचान अमरीश के रूप में की गई।

परिवार वालों का कहना है कि सेना के लोग और रिश्तेदार कहते थे कि अमरीश अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह जिंदा होगा और दुश्मन के चंगुल में फंस गया होगा, इसलिए उन्होंने पितृपक्ष में कभी श्राद्ध नहीं किया और ना ही मृत्यु के बाद संस्कार किया। अब सेना अमरीश का शव लेकर आएगी। उसके बाद ही संस्कार किया जाएगा।

अमरीश त्यागी वर्ष 1995-96 में मेरठ में सेना में भर्ती हुए थे। कई जगह तबादले के बाद 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती लेह लद्दाख में हुई थी। अमरीश का हवाई जहाज से सबसे ज्यादा ऊंचाई से कूदने के मामले में देशभर में नाम था।

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