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Monk fasting : इंटरमिटेंट फास्टिंग का वेरिएशन "Monk fasting" इन दिनों चर्चा में, जानें क्या होता है और क्या है फायदें

यह इंटरमिटेंट फास्टिंग का वेरिएशन है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है इसमें साधुओं की तरह फास्टिंग किया जाता है। यह एक बहुत ही खास तरह का उपवास होता है जो 5:2 डाइट पर आधारित होता है।

Monk fasting : इंटरमिटेंट फास्टिंग का वेरिएशन Monk fasting इन दिनों चर्चा में, जानें क्या होता है और क्या है फायदें
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By Meenu

वजन मेंटेन करने के लिए लोग एक से बढ़कर एक डाइट फॉलो करते हैं। कोई दिन भर कुछ नहीं खाता है तो कोई सीमित मात्रा में खाता है। बीते कुछ सालों से स्वस्थ और फिटनेस की दुनिया में इंटरमिटेंट फास्टिंग चर्चा का विषय बना हुआ था।

आज भी लोग इसे बखूबी फॉलो करते हैं, लेकिन इन दोनों फिटनेस की दुनिया में एक नया नाम चर्चा में बना हुआ है। जी हां इन दिनों मोंक फास्टिंग Monk फास्टिंग लोगों का ध्यान खूब खींच रहा है।


क्या होता है मोंक फास्टिंग?



यह इंटरमिटेंट फास्टिंग का वेरिएशन है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है इसमें साधुओं की तरह फास्टिंग किया जाता है। यह एक बहुत ही खास तरह का उपवास होता है जो 5:2 डाइट पर आधारित होता है। इसमें व्यक्ति हफ्ते में 5 दिन सामान्य रूप से खाना खाता है और बचे हुए दोनों में 36घंटे का उपवास करता है। इस फास्टिंग में किसी भी तरह का सॉलि़ड फूड नहीं खाया जाता है। सिर्फ पानी,चाय और कैलोरी फ्री ड्रिंक का ही सेवन किया जाता है।

यानी जब 36 घंटे की फास्टिंग होती है तब इस दौरान कैलोरी इंटेक लिमिट में लिया जाता है। इस तरह से शरीर में जो फैट्स इकट्ठा होता है वह जलता है और इससे वजन कम होता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक उपवास के दौरान जितनी कैलोरी लिमिट की जाती है,ठीक उसी तरह गैर उपवास वाले दिन भी कैलोरी का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।यह डाइट वजन घटाने में मदद करती है। वहीं इससे हेल्दी सेल्स को बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर तरह-तरह की बीमारियों से बचा रहता है।


हेल्दी सेल्स बनाने की प्रोसेस होती है तेज

इस तरह के उपवास को मोंक फास्ट Monk फास्टिंग भी कहा जाता है। यह डाइट वजन घटाने में मदद करती है और नेचुरल सेलुलर प्रक्रिया ऑटोफैगी को भी एक्टिव करती है। ऑटोफैगी प्रोसेस डैमेज हुए सेल्स को खत्म कर हेल्दी सेल्स बनाने में मदद करते हैं। जिसकी मदद से शरीर कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है। इस डाइट पर की एक स्टडी के मुताबिक, इस तरह की फास्टिंग करने से शरीर फिजिकली और मेंटली दोनों तरीकों से रिलैक्स होता है। उपवास से वजन कम करने की जर्नी आसान हो सकती है क्योंकि व्रत के दौरान आपकी फैट बर्निंग प्रोसेस तेज हो जाती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग से ज्यादा फायदेमंद

जब आप फास्टिंग नहीं कर रहे हो, तो उन दिनों हेल्दी और प्रोटीनयुक्त भोजन करना बेहद जरूरी है। अगर आप हाई कार्ब डाइट ले रहे हैं या फास्ट फूड खा रहे हैं, तो फास्टिंग उतनी कारगर नहीं होगी। डाइटीशियन नेहा भटनागर कहती हैं कि 5:2 डाइट वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग से ज्यादा प्रभावी है। जिन दिनों खा रहे हैं, उन दिनों में भी क्या खा रहे हैं उस पर ध्यान देना जरूरी है। उपवास के दौरान आपने कैलोरी कम की और बाकी दिनों में ज्यादा ले ली, तो आपकी बॉडी को कोई फायदा नहीं मिलने वाला। गैर उपवास वाले दिन इसकी अति न करें।

ऐसे करें शुरुआत

शुरू में हो सकता है कि इतनी लंबी फास्टिंग लेने से आपको प्रोपर नींद न आए, सिरदर्द हो या पाचन सही तरह से न हो पाए। इसलिए आप 5:2 की जगह इसे 4:3 करके शुरू कर सकते हैं और फिर धीरे धीरे समय बढ़ा लें। दरअसल, मॉन्क फास्टिंग मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मददगार है, जिससे आप अधिक कैलोरी कम समय में बर्न कर पाते हैं।


हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों से बचाव

इस तरह की डाइट से शरीर के सेल्स की रिपेयर अच्छी तरह से होती है। इससे आप स्ट्रोक, हृदय रोग, अल्जाइमर रोग, कैंसर और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों से बचे रहते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग की तरह यह डाइट वजन घटाने और मसल मास बढ़ाने में मदद करती है और मेटाबॉलिज्‍म को तेज करती है। इससे वजन तेजी से कम होता है।

कई स्टडी बताती हैं कि इस तरह का उपवास करने से शरीर में सूजन कम हो जाती है और साथ ही ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में भी सुधार होता है। यही नहीं, ब्रेन की कार्यक्षमता में भी यह डाइट सुधार करती है। इसके अलावा, उम्र बढ़ने को बढ़ावा देने वाले हार्मोन के स्तर को कम करने में भी इस डाइट का योगदान रहता है।

अल्जाइमर से छुटकारा

स्टडी के मुताबिक, शरीर में एराकिडोनिक एसिड एक प्रकार का अणु है, जो फास्टिंग के दौरान बढ़ता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सूजन घटाने के साथ ही इन बीमारियों के जोखिम को कम करने में भी लाभकारी होते है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्लेयर ब्रायंट के मुताबिक, यह एसिड मोटापा, इन्फ्लामासोम और एथेरोस्क्लेरोसिस पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसी कई बीमारियों में फायदेमंद है।


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