राजनांदगांव स्पेशल: भूपेश सरकार की पहल से लोधी बुनकारी कला को मिली नयी जिंदगी…..छुईखदान और गंडई से निकलकर देशभर में बिखरने लगा है हाथों का हुनर….लाखों की हो रही है आमदनी

Update: 2020-12-19 03:44 GMT

राजनांदगांव 21 नवम्बर 2020। ना हुनर की कमी थी…और ना हौसले की…बस जरूरत थी एक सहयोग की….और जब भूपेश सरकार के आह्वान पर जिला प्रशासन ने उम्मीद की राह दिखायी तो राजनादगांव में हाथकरघा उद्योग फिर से बहुरने लगा। आज फिर से राजनांदगांव जिले के बुनकरों के हाथों का हुनर देश में पहचान बिखेरने लगा है। यूं तो छत्तीसगढ़ की समृद्ध हाथकरघा दशकों से अपनी विविधता, गुणवत्ता एवं सुन्दरता के लिए चर्चित रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में ये उद्योग अपनी पहचान खोने लगा था। लेकिन जब से भूपेश बघेल सत्तासीन हुए, उन्होंने इस उद्योगों को फिर से समृद्ध करना शुरू कर दिया।

लिहाजा छत्तीसगढ़ी परंम्परागत लोधी बुनकारी कला आज फिर से अपनी पहचान पाने लगी है। छुईखदान एवं गंडई के बुनकर मोहक डिजाइन के लोधी साड़ी का निर्माण कर रहे हैं, जिसकी अभी मार्केट में अच्छी डिमांड है। लोधी साड़ी को बड़े भौराई साड़ी भी कहा जाता है। जिसमें खाप का प्रयोग करते हुए सिंघोलिया बूटी, मेयूर बूटी एवं डमरू की डिजाइन बनी हुई है, साथ ही पंचोलिया एवं प्रताप पर डिजाइन से सुसज्जित किया गया है। यह साड़ी शादी-विवाह के अवसर पर बहुतायत उपयोग किया जाता है।

छुईखदान बुनकर सहकारी समिति मर्यादित के तहत निर्मित हाथकरघा उत्पाद फेब इंडिया नई दिल्ली में निर्यात किये जा रहे हैं। अनोखे रंग संयोजन से बने उम्दा फेब्रिक लोगों की पसंद बन रही है। इस वर्ष 150 बुनकरों को 70 लाख 64 हजार राशि की प्राप्त हुई है, जिनसे उनकी आर्थिक स्थिति सशक्त हुई है। शासन द्वारा बेडशीट एवं गणवेश के लिए वस्त्र क्रय किया गया है, वहीं कोरोना संक्रमण के बावजूद 10 लाख वस्त्र तैयार किए गए हैं, जो फेब इंडिया को भेजे जा रहे हैं। वहीं वस्त्रों का शासकीय कार्यों के लिए सप्लाई किया गया है।

छुईखदान, गंडई एवं खैरागढ़ में डोंगरगढ़ एवं राजनांदगांव में कुशल बुनकरों द्वारा खुबसूरत डिजाइनदार साड़ी, ऊलन, स्पायडल चादर, जेकार्ड चादर, साल, रंगीन चेक, प्लेन चादर, प्रिटेंड चादर, पिलो कव्हर, फर्श दरी, फर्निशिंग क्लाथ, शर्ट क्लाथ, पेसेंट डे्रस, सर्जन गाउन, ग्रीन वर्दी, यूनिफार्म, डे्रस के लिए वस्त्र, धोती, गमछा, पंछा, नेपकीन, रूमाल एवं उपयोगी वस्त्र तैयार किये जा रहे है। उप संचालक हाथकरघा इन्द्रराज सिंह ने बताया कि विलुप्त हो रही परम्परागत लोधी साड़ी का वेल्यू एडीशन करने के साथ ही इसमें नया प्रयोग करते हुए नई डिजाइन का समावेश भी किया जा रहा है।

छुईखदान बुनकर सहकारी समिति मर्यादित के प्रबंधक लालचंद देवांगन ने बताया कि

“छुईखदान प्रदेश में एकमात्र संस्था है, जिसे जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित से 54 लाख रूपए की ऋण स्वीकृति प्राप्त है। जिससे संस्था अपना व्यवसाय करती है।संस्था के जीर्णोद्धार के लिए शासन की ओर प्रस्ताव भेजा गया है जो प्रक्रियाधीन है”

बुनकर लोधी साड़ी का निर्माण करने वाले ईश्वर राम ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि

“यह अंचल की परंपरागत प्राचीन कला है, जिसे शासन के प्रयासों से संरक्षण मिला है। धागा रंगाई का कार्य मेहनत का कार्य है, जिसे खैरागढ़ में किया जा रहा है। चरखा चलाकर महिलाएं बाबिन भरने का कार्य कर रही है। वही मशीन से भी बाबिन भरने का कार्य छुईखदान में किया जा रहा है”

बुनकर रामखिलावन देवांगन हरे एवं स्लेटी रंग का समन्वय करते हुए नया प्रयोग कर रंगीन बार्डर की साड़ी बना रहे थे। मयाराम देवांगन किसानों के लिए पटका बना रहे है। वही श्री सीताराम कुर्ते का कपड़ा बना रहे है।
उल्लेखनीय है कि छुईखदान, खैरागढ़, डोंगरगढ़, कबीरधाम, गंडई, मलाजखंड, राजनांदगांव, घुमका में हथकरघा के शो रूम है। वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 45 लाख 62 हजार रूपए की राशि प्राप्त हुई। वर्ष 2018-19 में 25 लाख रूपए के कपड़े फेब इंडिया में निर्यात किए गए। वहीं 2019-20 में 56 लाख रूपए के कपड़े निर्यात किए गए। इस वर्ष कोरोना के बावजूद 10 लाख वस्त्र तैयार किए गए है, जो फेब इंडिया में भेजे जा रहे हैं।

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