Farmer news: बेटी की शादी और कर्ज का बोझ… धान न बिकने से टूटा किसान, सरकारी केंद्र के बाहर फसल में लगा दी आग, पढ़ें पूरा मामला!

Uttarakhand farmer news: उधमसिंह नगर के किसान ने सरकारी केंद्र के बाहर अपनी ही फसल में आग लगा दी। धान खरीद ठप होने से परेशान किसान ने कहा धान नहीं बिक रही, बेटी की शादी कैसे करूं?

Update: 2025-11-11 12:58 GMT

Uttarakhand farmer news: धान की बोरियों के बीच खड़ा एक किसान, आंखों में आंसू, और सामने अपनी ही फसल जलती हुई ये तस्वीर किसी फिल्म की नहीं, बल्कि हकीकत है। उधमसिंह नगर के दरऊ गांव में किसान चंद्रपाल ने सरकारी खरीद केंद्र के बाहर अपने धान के ढेर को आग के हवाले कर दिया। वजह केंद्र बंद पड़े हैं, और उसकी मेहनत की फसल किसी काम नहीं आ रही। सिर पर बेटी की शादी और बैंक के कर्ज का बोझ था, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उसने यह कदम उठा लिया।

धान नहीं बिक रही, बेटी की शादी कैसे करूं?
ग्राम दरऊ निवासी चंद्रपाल की बेटी की शादी महज़ 15 दिन बाद होनी है। रिश्ता तय हो चुका है, तैयारियां भी चल रहीं थीं। उम्मीद थी कि धान बेचकर शादी का खर्च निकल आएगा। लेकिन दरऊ क्रय केंद्र पिछले एक महीने से बंद पड़ा है। केंद्र प्रभारी हर बार लिमिट पूरी होने का बहाना बनाकर तौल से मना कर देता है। रोज़ की तरह सोमवार को भी जब चंद्रपाल खाली हाथ लौटा, तो उसने खुद के धान के ढेर में आग लगा दी। गनीमत रही कि पास मौजूद किसानों ने उसे रोक लिया और आग बुझा दी।
60 कुंतल धान खुले आसमान के नीचे
किसान ने लगभग 60 कुंतल धान बेचने के लिए जमा किया था। अब यह सारा अनाज खुले आसमान के नीचे सड़ने की कगार पर है। दरऊ केंद्र अक्टूबर में खुला था, लेकिन महज़ 9 दिन ही खरीद हो पाई। तब से अब तक सैकड़ों किसान रोज़ लाइन लगाकर लौट रहे हैं।
49 किसान, 4000 कुंतल धान का संकट
पूरे जिले में सरकारी खरीद लगभग ठप है। कुमाऊं मंडल के 296 केंद्रों में से 254 केंद्र अकेले उधमसिंह नगर में हैं, लेकिन इनका हाल सबसे खराब है। दरऊ केंद्र पर करीब 49 किसानों का 4000 कुंतल से ज्यादा धान धूप–बारिश में पड़ा है। कोई व्यवस्था नहीं, कोई जवाब नहीं।
बेटी की शादी और बैंक कर्ज ने तोड़ा हौसला
चंद्रपाल पर बैंक का पुराना कर्ज है। उम्मीद थी कि धान बिकेगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन महीनों से जब कुछ नहीं हुआ, तो टूट चुका किसान खुद को संभाल नहीं पाया। उसने कहा, मैं सरकार से मदद मांगते-मांगते थक गया हूं। मेरी फसल सड़ रही है, बेटी की शादी कैसे करूं?
सरकारी तंत्र की सुस्ती पर सवाल
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्रों पर खरीद बंद होने की असली वजह भुगतान प्रक्रिया और विभागीय देरी है। कई केंद्रों को बजट आवंटन नहीं मिला, जबकि किसान लगातार अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन किसानों के सब्र का बांध टूट चुका है।
सिर्फ एक किसान नहीं, पूरे सिस्टम की कहानी
यह कहानी सिर्फ चंद्रपाल की नहीं है। यह हर उस किसान की आवाज़ है जो मेहनत करता है, उम्मीद लगाता है और फिर व्यवस्था के इंतज़ार में टूट जाता है। खेत में लहलहाती फसल से लेकर केंद्र पर सड़ती बोरियों तक हर मंज़र एक सवाल छोड़ जाता है कि क्या किसानों की मेहनत सिर्फ आंकड़ों में गिनी जाएगी?
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