UP IAS, IPS Transfer 2024: यूपी में मेजर प्रशासनिक सर्जरी, लोकसभा चुनाव में हार के बाद सरकार 100 से अधिक डीएम, एसपी, आईजी और मैदानी अधिकारियों को बदलेगी

UP IAS, IPS Transfer 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में करारी पराजय का ठीकरा प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों पर भी फूटेगा। क्योंकि, सवाल यह है कि जिलों में सरकार विरोधी हवा को आखिर सिस्टम भांप क्यों नहीं पाया। सरकार के करीबी सूत्रों की मानें तो बड़़ी संख्या में कलेक्टर, एसपी समेत दीगर आईएएस अधिकारियों को बदला जाएगा।

Update: 2024-06-07 07:11 GMT

UP IAS, IPS Transfer 2024: लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में अगर भाजपा को अगर किसी राज्य में सबसे अधिक धक्का लगा तो वह है देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश। बीजेपी को इसी राज्य से सबसे अधिक भरोसा था। यूपी में विकास के साथ ही लॉ एंड ऑडर के मोर्चे पर आउटस्टैंडिंग काम हुए हैं। सड़कों की जाल बिछ गई है। वाराणसी में काशी कारिडोर बना तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना। इसके बाद भी भाजपा को सर्वाधिक निराश किया तो यूपी ने। जाहिर है, यूपी के सीएम योग आदित्यनाथ इससे बेहद नाराज हैं। उपर बैठे लोगों को लग रहा कि बीजेपी के खिलाफ अगर लोगों में ऐसा रोष था तो मैदानी सिस्टम इसे समझ क्यों नहीं सका। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महज डेढ़ लाख वोट से जीत पाए। यूपी में अगर लोकसभा चुनाव 2019 का परफारमेंस नहीं दोहराता मगर कम-से-कम 10 सीटें और मिल गइ्र्र होती तो देश का सियासी समीकरण आज अलग होता।

मेजर सर्जरी

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार मंथन कर रही कि चुनाव प्रचार में चूक कहां हो गई...कहां कमी रह गई। पता चला है कि जिन जिलों में पार्टी प्रत्याशी की करारी पराजय हुई, उनमें से अधिकांश जिलों में प्रशासन और पुलिस के चेहरे बदले जाएंगे। सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो तीन दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टर, एसपी बदले जा सकते हैं।

बोर्ड और कारपोरेशन में भी बदलाव

मंत्रालय, जिलों, नगर निगमों और जिला पंचायतों के अलावा राजधानी के विभिन्न बोर्डों और कारपोरेशनों में बड़ी संख्या में आईएएस पोस्टेड हैं। उनमें से भी कई को बदला जाएगा। इनमें से कुछ को प्रमोट कर जिलों में कलेक्टर बनाए जाने की खबरें आ रही हैं।

संगठन की शिकायत

कुछ कलेक्टर, एसपी समेत मैदानी अधिकारियों के खिलाफ बीजेपी संगठन के नेताओं की शिकायतें हैं। इनमें लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्ष के प्रत्याशियों को मदद करने का आरोप भी शामिल है। कई जिलों के सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं से इसकी शिकायतें की हैं। पता चला है, सरकार अपने स्तर पर इसकी जांच करा रही है। कुछ के खिलाफ ठोस साक्ष्य भी मिले हैं, जिन्होंने विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों के प्रचार में मदद की। सूत्रों का कहना है कि ऐसे अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।

मंत्रियों से तालमेल नहीं!

कुछ मंत्रियों के साथ उनके सचिवों के साथ समन्वय न बैठने की भी शिकायतें हैं। कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात की है। सीएम को बताया गया है कि फलां सचिव उनकी सुनते नहीं या फिर फाइलों में हीलाहवाला करते हैं। सीनियर अफसरों का कहना है कि बिना मंत्री और सचिव के तालमेल के बिना योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो सकता। लिहाजा, जिन विभागों में मंत्रियों और सचिवों के बीच तालमेल नहीं, उन विभागों में सचिवों को बदल देना चाहिए। कुछ मंत्री अपने पसंद के सचिव भी चाह रहे हैं। सरकार इस पर विचार कर रही है।

एसपी, आईजी भी बदलेंगे

लोकसभा चुनाव के बाद पुलिस मुख्यालय में सीनियर लेवल पर कुछ आईपीएस अधिकारियों को इधर-से-उधर किया जाएगा। वहीं, कुछ पुलिस रेंज के आईजी और जिलों के एसपी भी बदले जाएंगे। खासकर, जिनका दो साल के आसपास कार्यकाल हो गया है या फिर उनके खिलाफ शिकायत है या परफारमेंस के बारे में सरकार के पास फीडबैक ठीक नहीं है, उन्हें हटाया जाएगा।

तबादला सामान्य प्रक्रिया

आमतौर पर विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद सभी राज्यों में पुलिस और प्रशासनिक तबादले होते हैं। किसी राज्य में ज्यादा होते हैं, किसी राज्य में कम। वैसे, प्रशासनिक तबादले चुनाव में मिली सफलता पर निर्भर करते हैं। चुनाव में अगर सत्ताधारी पार्टी को अच्छी सफलता मिली तो छिटपुट ट्रांसफर होते हैं, जैसे कोई कलेक्टर, एसपी अच्छा काम किया हो तो उसे पारितोषिक के तौर पर अच्छे जिलों में पोस्ट किया जाता है। मगर सत्ताधारी पार्टी को अगर झटका मिला तो फिर बड़ी संख्या में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए जाते हैं।


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