Sakar Vishwa Hari Bhole Baba Biography:कौन है भोले बाबा? जिनके सत्संग में भगदड़ से हुआ बड़ा हादसा, कोरोना काल के समय में भी आये थे सुर्ख़ियों में...

Sakar Vishwa Hari Bhole Baba Biography: सिकंदराराउ से एटा रोड पर स्थित फुलरई में सत्संग के खत्म होने के बाद मची भगदड़ में अबतक के 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। ऐसे में जानिए कौन हैं भोले बाबा, जिनके सत्संग में उमड़ी थी भीड़...

Update: 2024-07-02 13:57 GMT

Sakar Vishwa Hari Bhole Baba Biography हाथरस। उत्तरप्रदेश के हाथरस के सिकंदराराउ से एटा रोड पर स्थित फुलरई में सत्संग के खत्म होने के बाद मची भगदड़ में अबतक के 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। सभी लोग भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम को सुनने आये थे। सत्संग खत्म होने के बाद सभी लोग निकल रहे थे। इसी दौरान अचानक भगदड़ मच गई और कई लोगों की हादसे में मौत हो गई। अब ऐसे में हर कोई जानना चाहता हैं कि आखिर कौन है (Sakar Vishwa Hari Bhole Baba Biography) भोले बाबा? जिसके सत्संग को सुनने के लिए भीड़ पहुंची थी।

सब इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ बने बाबा

दरअलस, उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली गांव के रहने वाले सूरज पाल उर्फ साकार विश्व हरि बाबा को उनके अनुयायी भोले बाबा के नाम से भी जानते हैं। उनके अनुयायी राजस्थान सहित मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में हैं। और सत्संग की व्यवस्था भी उनके अनुयायी ही संभालते है। सत्संग करने से पहले सूरज पाल उर्फ साकार विश्व हरि बाबा उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर नौकरी कर रहे थे। नौकरी करने के दौरान ही उन्होंने सत्संग शुरू किया। बाबा का दावा हैं कि पुलिस पोस्टिंग के दौरान वो राज्य के अलग अलग थाने व इंटेलिजेंस में भी पदस्थ रह चुके हैं। 26 साल तक पुलिस विभाग में नौकरी करने के बाद त्यागपत्र देकर साकार विश्व हरि बाबा बन गये। भोले बाबा कहते हैं कि उनका झुकाव शुरू से ही अध्यात्म में रहा है। वो कहते हैं कि बचपन में अपने पिता के साथ खेती बाड़ी का काम करते थे।

अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहने लगे

नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद भोले बाबा अपने ही गांव में छोपड़ी बनाकर रहने लगे थे और उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों में घूम कर सत्संग करने लगे। धीरे धीरे उनके समर्थकों की संख्या बढ़ गई और बड़ी संख्या में वो सत्संग करने लगे। बाबा जहां जाते हैं वहां उन्हें सुनने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है। बताया जाता हैं कि सत्संग सुनने के लिए 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में पहुँचते थे। श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे रहते ही रहते हैं।

मेरा कोई गुरू नहीं

भोले बाबा अकसर अपने सत्संग में ये कहते हैं कि उनका कोई गुरू नहीं, उन्हें तो सिर्फ मानवता से ही लगाव है। और वही लोग उनके लिए सब कुछ हैं। साथ ही वो ये भी कहते हैं कि उनकी पूरी जिंदगी मानव कल्याण के लिए ही हैं।

कोरोना काल के दौरान हुआ था यातायात व्यवस्था ध्वस्त

भोले बाबा उस वक्त काफी चर्चा में आये थे जब देश में कोरोना का आतंक छाया हुआ था। भोले बाबा ने उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में मई 2022 में सत्संग का आयोजन किया था। इस दौरान आयोजकों ने जिला प्रशासन से 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन सत्संग में भीड़ काफी ज्यादा उमड़ गई थी। जिसकी वजह से शहर में यातायात व्यवस्था चरमरा गई थी।

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