Ayodhya Ram Temple: बदल गई रामलला की मूर्ति: चमत्कार से सभी हैरान, प्राण प्रतिष्ठा के बाद आंखे जीवंत और होठों पर आई मुस्कान

Ayodhya Ram Temple: प्राण प्रतिष्ठा के बाद अरुण योगीराज जब भगवान रामलला को देखे तो हैरान रह गए। उन्होंने कहा है, ‘मैंने जो मूर्ति बनाई, गर्भगृह के अंदर जाकर उसके भाव बदल गए, आंखें बोलने लगीं’। रामलला की जो प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई, उसकी आंखें देखिए और जो प्रतिमा विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित होकर सामने आईं, उसकी आंखें देखिए।

Update: 2024-01-31 08:14 GMT
Ayodhya Ram Temple: बदल गई रामलला की मूर्ति: चमत्कार से सभी हैरान, प्राण प्रतिष्ठा के बाद आंखे जीवंत और होठों पर आई मुस्कान
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Ayodhya Ram Temple अयोध्या। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान राम की मूर्ति का स्वरूप बदल गया है। गर्भगृह में विराजमान रामलला की आंखे जीवंत हो गई हैं और होठों पर भी मुस्कान आ गई है। भगवान राम के देवत्व भाव को देखकर मूर्ति गढ़ने वाले योगिराज अरुण के साथ हर कोई हैरान है।

दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया पर रामलला की दो छवि वायरल हो रही है।` एक प्राण प्रतिष्ठा से पहले की दूसरी प्राण प्रतिष्ठा की है। दोनों में रामलला के अलग अलग भाव और अंतर देखे जा सकते हैं। गर्भ गृह में भगवान राम की आंखें सजीव जैसे दिखने लगी और होठों में मुस्कान भी है। मूर्ति को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे उसमें प्राण आ गए हो।

मालूम हो कि रामलला की मूर्ति को बनाने के लिए तीन मूर्तिकारों को चुना गया था। तीनों को ही इस मूर्ति को बनाने का काम दिया गया था। जिनमें से एक मूर्ति को मंदिर में लगाने के लिए चुना गया है, वो फेमस मूर्तिकार अरुण योगीराज हैं जिनकी बनाई गई प्रतिमा को फाइनल किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अरुण योगीराज जब भगवान रामलला को देखे तो हैरान रह गए। उन्होंने कहा है, ‘मैंने जो मूर्ति बनाई, गर्भगृह के अंदर जाकर उसके भाव बदल गए, आंखें बोलने लगीं’। रामलला की जो प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई, उसकी आंखें देखिए और जो प्रतिमा विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित होकर सामने आईं, उसकी आंखें देखिए। योगीराज ने जो प्रतिमा बनाई, वह निश्चित रूप से जीवंतता की पर्याय है।

उन्होंने पूरी कुशलता से रामलला के अंग-उपांग गढ़े। वह न केवल पांच वर्षीय बालक के अनुरूप रामलला के उभरे गाल और राजपुत्र की तरह सुडौल चिबुक गढ़ने में, बल्कि प्रतिमा की श्यामवर्णी शिला को पंचतत्व से निर्मित सतह का स्वरूप देने में भी सफल रहे। अरुण योगीराज ने 5 साल के राम के रूप की मूर्ति को तराशा है, जिसकी ऊंचाई 51 इंच है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि एक कलाकार भक्त के हृदय में भगवान कैसे उतरते हैं और मतिष्क तक जाते है। फिर पत्थर में समाहित होते और मूर्ति भगवान का आकार लेती है।

अरुण योगी राज कहते हैं कि हमारा परिवार 300 साल से मूर्ति तराशने का काम करता आ रहा है। मैं पांचवीं पीढ़ी का आर्टिस्ट हूं। राम की कृपा से ही काम मिलते हैं. पूर्वजों का आदर्श है। मेरे पिता ही मेरे गुरु हैं। 300 साल से काम कर रहे थे, भगवान ने बोला कि आओ और मेरा काम करो। मैं दुनिया का बहुत भाग्यशाली इंसान हूं। अरुण योगीराज इसे बनाने के लिए आधी-आधी रात तक जगते रहे। पांच साल के रामलला को बनाने के लिए बारीकियों का ध्यान रखा। इसके बाद भी वर्कशॉप में रखी मूर्ति की छवि और प्राण-प्रतिष्ठा के बाद विग्रह के स्वरूप में फर्क साफ नजर आया।


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