BEO के मैसेज पर मचा बवाल :….फेयरवेल के नाम पर शिक्षकों से चंदा वसूला गया….और फिर चुपके से कर ली पार्टी……शिक्षकों के एतराज पर बीईओ ने दिया ऐसा जवाब कि….मच गया बवाल… पढ़िये ये खबर

Update: 2020-03-01 04:52 GMT

दंतेवाड़ा 29 फरवरी 2020। शिक्षा विभाग में आये दिन कुछ ना कुछ ऐसा होता जो विवादों से रंग जाता है। अब कटेकल्याण का ही मामला देखिये….जहां BRC के फेयरवेल का मामला ही विवादों में उलझ गया। यहां फेयरवेल के नाम पर शिक्षकों से चंदे तो लिये गये, लेकिन फेयरवेल चुपके से दे दिया गया….हद तो ये कि जिन्होंने फेयरवेल का चंदा दिया था, उन्हें भी कानों-कान खबर नहीं हुई। अब मामला तूल पकड़ा तो व्हाट्सएप ग्रुपों में बवाल और बहस शुरू हो गया।

दरअसल विवाद की शुरुआत एक वीडियो के साथ हुई, जिसमें फेयरवेल के नजारे कैद थे। वीडियो के साथ बीआरसी सर का फेयरवेल का मैसेज लिखा था। इस वीडियो पर शिक्षकों ने ये कहकर टिप्पणी करनी शुरू कर दी कि बीआरसी का फेयरवेल था और शिक्षकों को ही खबर नहीं दी गयी। इस टिप्पणी पर बीईओ ने मैसेज में ये लिख दिया गया कि ये आफिस की तरफ से था, आपलोगों को शौक था तो पहले दिया जाना चाहिये था। बीईओ के इस जवाब पर शिक्षक बिदक गये और बहस का सिलसिला ग्रुपों में शुरू हो गया।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन जिलाध्यक्ष उदयप्रकाश शुक्ला व जिला उपाध्यक्ष दिनेश गवेल ने बताया कि कटेकल्याण ब्लॉक के ब्लॉक ग्रुप में जिसमे विकासखंड शिक्षा अधिकारी बीआरसी,लिपिक व ब्लॉक के समस्त शिक्षक संकुल समन्वयक है जिसमे पूर्व बीआरसी कटेकल्याण के विदाई समारोह को लेकर जिस तरह की बातें बीईओ ने कही, उससे वो काफी आहत थे। लिहाजा शिक्षक अब ग्रुप से लेफ्ट होकर अपना विरोध जता रहे हैं।

कटेकल्याण के शिक्षकों ने बताया कि विभिन्न संकुलों के शिक्षकों से विदाई के नाम पर पैसे मांगे गए थे विदाई के नाम पर शिक्षकों ने पैसा भी जमा कर दिया, लेकिन उन शिक्षकों को अंधेरे में रख कर व उन्हें बिना बताए विदाई दे दी गयी व उन सहयोग करने वाले शिक्षकों को मालूम ही नहीं चला। बीईओ से जब पूछा गया तो उनके द्वारा ग्रुप में ही लिखा दिया गया कि ये बिदाई समारोह कार्यालय के द्वारा थी आप लोगो को शौक है तो आप सभी के द्वारा आज पर्यन्त तक आयोजन किया जाना था।

शिक्षकों द्वारा बताया गया कि हमेशा उनका यही रवैया रहता है जिससे शिक्षक आहत होते है व हर कार्य के लिए शिक्षकों को परेशान किया जाता है शिक्षकों ने आगे कहा कि हम सिर्फ उनके आदेश पढ़ने के लिए ही ग्रुप में नही रहना चाहते जब हमारी बातों को ग्रुप में सुना ही नही जाता व जवाब भी बेतुका दिया जाता है।

 

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