दुखित विधायक ने पुलिस कप्तान को लिखी पाती…वीडियो क्लिप भेज पूछा, क्या यही पुलिस का राजकुमार है, जिसके लिए कांग्रेस नेता को जेल भेज दिया गया

Update: 2021-06-27 01:06 GMT

बिलासपुर, 27 जून 2021। सत्ताधारी पार्टी के नेता मोती ठारवानी को जेल भेजने से व्यथित कांग्रेस विधायक शैलेश पाण्डेय ने पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को पत्र लिख एकतरफा कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की है। विधायक ने जिस यातायात सिपाही से कांग्रेस नेता का विवाद हुआ था, उसका एक वीडियो क्लिप भेजा है, जिसमे सिपाही लोगों से गाली-गलौज और मारपीट करते दिख रहा।

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पढिये विधायक का एसपी के नाम पत्र

”क्या एसे होते है कानून के रखवाले, बेगुनाह गरीबों पर अत्यचार करने वाले।शान्ती और अमन के बिलासपुर मे यही आपकी पुलिस कर रही है। इस आरक्षक जिसके लिये पुलिस पूरे बचाव मे दिख रही है अपने पुलिस वाले की गंदी कर्तुतों को छुपाने का कार्य कर रही है जो सरे आम जनता से गंदी गंदी गालियां दे रहा है ये वही आरक्षक है जिसने हमारे साथी मोती थावरानी से उसकी पत्नी के सामने गलियां दिया लेकिन कानून ने केवल मोती को ही आरोपी बनाया क्यों ? इस आरक्षक को देख कर नही लगता है कि इसने मोती को गाली नही दिया होगा फिर पुरा वीडियो जनता के सामने क्यों नही लाया गया केवल वही हिस्सा जिसमे मोती ने गाली दिया उतना ही क्यों दिखाया गया ? ये आरक्षक अगर शराब के नशे मे था तो उसका डॉक्टरी मूलयजा क्यों नही करवाया गया ? थाना सिविल लाईन मे जब समझौता हुआ तो उसके कागज कहां गये ?”

दामिनी ( मोती थाव रानी की पत्नी ) की शिकायत क्यों नही लिया और उस पर कार्यवाही क्यों नही किया गया। उसके छोटे भाई क्यों पुलिस की दहशत से थाने से डर के मारे क्यों चले गये उनकी बात क्यों नही सुनी गयी ?

उक्त बाते और वीडियो पुलिस की कारवाही पर अविश्वास पैदा करती है। और ये वर्दी वाले गुंडे अगर इसी तरह कार्यवाही करते गये तो शहर मे पुलिस का आतंक हौ जायेगा।

मोती की गलती है तो उसपर पुलिस ने कार्यवाही किया लेकिन कार्यवाही एक पक्षीय दिख रही है सभी को पुलिस सम्मान करना चाहिये मै भी मानता हुँ इसलिये मोती की गलती पर खेद व्यक्त करता हुँ लेकिन पुलिस ने भी न्याय नही किया।।मोती कोई अद्तन अपराधी नही है शहर का कोई गुण्डा नही है एक कांग्रेस का कार्यकर्ता है और समाज सेवी है उस पहलू को शायद पुलिस भुल गयी है या उसको देखना नही चाहती है। और ये वीडियो आरक्षक के व्यव्हार का एक ठोस सबूत है।

फिर अन्याय क्यों हुआ ??

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