Mobile Privacy : अरे... अभी जो सोचा वो ही मोबाइल पर, क्या मोबाइल सच में हमारी बातें सुनता है या फिर पढ़ लेता हैं मन की बातें, जानें क्या है माजरा
Mobile Privacy : जब किसी ऐप को माइक एक्सेस मिलता है, तब वो आपकी आवाज सुन सकता है। खासतौर से जब वॉइस कमांड या फीचर चालू हो। कई बार बैकग्राउंड में भी ये ऐप डेटा कलेक्ट करती रहती हैं।
Mobile Privacy : अरे अभी तो मैंने इस बारे में बात की थी अभी ये मोबाइल में दिखने लग गया. मन में सोचा ही था की सारी रिलेटेड चीजे सामने आ गई. कही मोबाइल मेरी बातें तो नहीं सुन रहा न या फिर मन तो नहीं पढ़ रहा. कहीं हमारी प्राइवेसी ख़त्म तो नहीं हो रही, तो चलिए फिर आपके इस सवाल का जवाब हमारे पास है और हम आपको बताते हैं
अगर आपने फोन को अनावश्यक माइक एक्सेस दी हो, तो प्राइवेसी का खतरा बढ़ सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब तक एप्स को परमीशन नहीं देंगे, वे आपकी बातें नहीं सुन सकतीं। फिर भी सुरक्षा के लिए ऐप परमिशन सेटिंग्स में जाएं और माइक, कैमरा सिर्फ उन्हीं एप्स के लिए ऑन रखें, जिनकी जरूरत हो। अनचाहे ऐड को कम करने के लिए personalization ऑन/ऑफ करें या एड सेटिंग्स में बदलाव करें।
आज कल स्मार्टफोन में कई ऐसी एप्लिकेशन (जैसे गूगल असिस्टेंट, सिरी, फेसबुक आदि) होती हैं, जिन्हें इंस्टॉल करते समय माइक्रोफोन, कैमरा या लोकेशन एक्सेस की परमिशन दी जाती है। जब किसी ऐप को माइक एक्सेस मिलता है, तब वो आपकी आवाज सुन सकता है। खासतौर से जब वॉइस कमांड या फीचर चालू हो। कई बार बैकग्राउंड में भी ये ऐप डेटा कलेक्ट करती रहती हैं।
जब आप मोबाइल पर कोई बात करते हैं और उसी से जुड़ा ऐड दिखने लगता है, तो ऐसा लगता है जैसे फोन आपकी बातें सुन रहा है। लेकिन असल में ऐसा नहीं होता। वैज्ञानिकों का कहना है कि मोबाइल हर वक्त आपकी आवाज रिकॉर्ड नहीं करता। दरअसल, आपके फोन में मौजूद कई ऐप्स आपकी सर्च हिस्ट्री, ब्राउजिंग पैटर्न, लोकेशन और ऐप इस्तेमाल करने का तरीका ट्रैक करती हैं। इसी डेटा के आधार पर आपको ऐसे ऐड दिखाए जाते हैं जो आपकी रुचि से जुड़े होते हैं।
माइक्रोफोन की परमिशन तो नहीं दिए
कभी-कभी अगर आपने किसी ऐप को माइक्रोफोन की परमिशन दी है, तो वो आपके बोले गए शब्दों या चैट के कंटेंट को समझने की कोशिश करता है। एल्गोरिद्म यानी कंप्यूटर प्रोग्राम आपके व्यवहार को पढ़कर अंदाजा लगाते हैं कि आप क्या चाहते हैं। इसलिए अगर आपने हाल ही में किसी प्रोडक्ट या जगह का जिक्र किया है, तो मोबाइल आपकी पिछली एक्टिविटी और सर्च को मिलाकर आपको उससे जुड़ा ऐड दिखा सकता है। तो कुल मिलाकर, ये ऐड आपकी बातों की वजह से नहीं बल्कि आपके ऑनलाइन व्यवहार और डेटा एनालिसिस की वजह से दिखते हैं। आपकी आदतों को समझकर ही कंपनियां आपको वही दिखाती हैं जो शायद आप खरीदना या जानना चाहते हैं।