Krishna B Pathak Biography in Hindi: भारतीय हॉकी गोलकीपर कृष्णा बी पाठक का जीवन परिचय जानिए , कृष्णा बी पाठक की बायोग्राफी, उम्र, जीवनी, परिवार और व्यवसाय

कृष्णा बी पाठक: भारतीय हॉकी का उभरता हुआ सितारा

Update: 2023-06-02 18:53 GMT


कृष्णा बी पाठक: भारतीय हॉकी का उभरता हुआ सितारा

भारतीय हॉकी खिलाड़ी कृष्णा बी पाठक देश के प्रतिभाशाली और होनहार गोलकीपरों में से एक के रूप में उभरे हैं। जब मुख्य गोलकीपर श्रीजेश के जाने के बाद क्या होगा, सब इस शंका में थे, तब कृष्ण पाठक का गोलकीपर के रूप में उभरना राहत की सांस दे गया है। यह जीवनी उनकी यात्रा, उपलब्धियों और सफलता के रास्ते में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।

प्रारंभिक जीवन 

कृष्णा बी पाठक की माता तेज कुमारी पाठक और पिता टेक बहादुर, 1990 में नेपाल के एक गांव से रोजी-रोटी की तलाश में पंजाब के कपूरथला आए थे। यहीं  24 अप्रैल 1997 को उन्हें पुत्र रत्न के रूप में कृष्णा पाठक मिले।

कृष्ण बी पाठक का बचपन आसान नहीं था। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया है, उसकी जगह कोई और होता तो कब का टूट चुका होता और अपनी हार मान चुका होता। लेकिन कहा जाता है कि सोना आग में जलने के बाद ही कुंदन बनता है। और कृष्णा बी पाठक ने इसे बहुत अच्छे से दिखाया है। जीवन में इतने उतार-चढ़ाव झेलने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि हर बार खुद को विजेता बनाकर दिखाया है।

बचपन में खेलों में रुचि नहीं होने के बावजूद कृष्णा बी पाठक ने अपने पिता के बहुत जोर देने पर हॉकी खेलना शुरू किया और कुछ ही समय में उनके खेल स्तर में सुधार हुआ और फिर 12 साल की उम्र में उनका चयन सुरजीत हॉकी अकादमी, जालंधर में हो गया। दुर्भाग्य से, उनकी माँ की मृत्यु उसी समय हो गई जब पाठक केवल 12 वर्ष के थे। अपनी माँ की असामयिक मृत्यु के बाद, वह सुरजीत अकादमी में शामिल होने तक अपने चाचा के घर पर रहे। आज वो उस वक्त को अपने परिवार का सबसे बुरा वक्त बताते हैं।

फिर दुर्भाग्य से 2016 में उनके पिता टेक बहादुर, जो एक क्रेन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे, का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। और यह सब कृष्णा पाठक के भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण करने के सिर्फ दो दिन पहले हुआ। लेकिन इस असहनीय आघात के बावजूद कृष्णा बी पाठक ने अपने और अपने पिता के सपनों को नहीं छोड़ा और जैसे ही उन्हें राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

खेल जीवन


पहली बार कृष्णा बी पाठक का चयन कोच हरेन्दर सिंह के मार्गदर्शन में भारतीय जूनियर टीम में हुआ था, जिसने लखनऊ में  2016 पुरुष हॉकी जूनियर विश्व कप जीता था ।

जूनियर स्तर पर उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, कृष्णा बी पाठक की प्रतिभा और क्षमता ने 2017 मेन्स ऑस्ट्रेलियन हॉकी लीग के लिए इंडिया ए टीम में चुने जाने में मदद की।

फिर पहली बार उन्हें भारत की सीनियर टीम में जगह मिली जिसने जनवरी 2018 में न्यूजीलैंड में चार टीमों के आमंत्रण टूर्नामेंट में भाग लिया था।

2018 सुल्तान अजलन शाह कप में, जब भारत की पहली पसंद गोलकीपर पीआर श्रीजेश को आराम दिया गया तो उनकी जगह कृष्णा बी पाठक को मौका मिला। और इस अवसर का कृष्णा बी पाठक ने बखूबी उपयोग किया।

इसके बाद कृष्णा बी पाठक ने 2018 में ब्रेडा नीदरलैंड में आयोजित पुरुष हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में श्रीजेश के साथ रिजर्व गोलकीपर के रूप में खेला, जहां पर भारत ने रजत पदक जीता

वह 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य भी थे।

अपने उल्लेखनीय प्रदर्शन को जारी रखते हुए, कृष्णा बी पाठक ने मस्कट में आयोजित 2018 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की स्वर्ण पदक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कृष्णा बी पाठक  2021 के एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी ढाका में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे

2022 में बर्मिंगम में हुए कामनवेल्थ गेम्स के रजत पदक जीतने में उनका प्रदर्शन सराहनीय था।

आजकल कृष्णा बी पाठक पाठक भारतीय हॉकी टीम के साथ एफआई एच प्रो लीग 2022-23 खेलने के लिए लंदन में हैं।जहाँ पर आज दिनांक 2 जून 2023 को भारत ने ओलिमिक विजेता बेल्जियम 5-1 से हराया है । .

व्यक्तिगत जीवन


उनकी हाइट 5 फीट 7 इंच है, उनकी आंखों का रंग काला है और शरीर का रंग श्वेत है , 

वह वर्तमान में इंडियन आयल कारपोरेशन में कार्यरत हैं।



 



कृष्णा बी पाठक की शादी नुती राल्ते से हुई है

कृष्णा बी पाठक 26 साल के हो चुकें हैं और उनका हॉकी करियर अभी भी कई साल का बचा हुआ  है।

अब वह ओलंपिक खेलों सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखते हैं।

अपने हॉकी करियर के दौरान कृष्णा बी पाठक को कई चुनौतियों और असफलताओं का सामना करना पड़ा है । राष्ट्रीय टीम में एक स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा और व्यक्तिगत संघर्षों ने कई बार उनकी परीक्षा ली है। उसके दृढ़ संकल्प और दृढ़ता ने उसे इन बाधाओं को दूर करने और मजबूत बनने की ताकत दी है। कृष्णा बी पाठक का अपने लक्ष्यों पर अटूट ध्यान और असफलताओं से विचलित न होने की उनकी क्षमता, उनके मानसिक धैर्य को दर्शाती है।

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