"तुम नहीं समझोगे": लड़कों की जिंदगी के पांच अनकहे पहलू

लड़कियों और लड़कों की सोच और जीवन जीने का नजरिया काफी अलग होता है। अक्सर लड़के अपनी भावनाओं और जिम्मेदारियों को खुलकर साझा नहीं करते, लेकिन उनकी जिंदगी के कुछ पहलू ऐसे हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। यह लेख लड़कों की जिंदगी के उन पांच पहलुओं पर रोशनी डालता है, जो उनकी सोच और अनुभवों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे।

Update: 2024-11-23 22:30 GMT

"तुम नहीं समझोगे" - ये शब्द आपने कई बार सुने होंगे, खासकर जब बात लड़कों और लड़कियों के नजरिए की होती है। दोनों के सोचने और जिंदगी जीने का तरीका काफी अलग होता है। अक्सर लड़के अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में झिझकते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को चुपचाप निभाते हैं। लड़कों की जिंदगी के कुछ ऐसे अनकहे पहलू हैं जो उनके अनुभवों और सोच को दर्शाते हैं। आइए, जानते हैं लड़कों की जिंदगी के पांच अहम पहलुओं के बारे में।


1. घर की जिम्मेदारी बाय डिफॉल्ट उनकी होती है

भारतीय समाज में लड़कियों को छोटी उम्र से घर संभालने की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि परिवार की आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारी उनकी है। चाहे पैसा कमाना हो, बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना हो, या मेडिकल इमरजेंसी को संभालना हो, ये सब पुरुषों की जिम्मेदारी मानी जाती है।

एक लड़की अपने करियर या जॉब से ब्रेक ले सकती है, लेकिन लड़कों के लिए ऐसा सोचना भी मुश्किल है। उनके पास अपनी जिम्मेदारियों से भागने का विकल्प नहीं होता, क्योंकि समाज उनसे उम्मीद करता है कि घर चलाने का भार वही उठाएंगे।


2. मदद के मामले में हमेशा सेकंड ऑप्शन होते हैं

यह आम धारणा है कि लड़कियां दूसरों से अधिक सहानुभूति और मदद पाती हैं। एक उदाहरण लें - अगर सड़क पर एक लड़का और एक लड़की एक साथ गिर जाएं, तो सबसे पहले लोग लड़की की मदद करेंगे। लड़के के लिए शायद ही कोई आगे आए।

लड़कों ने अपने आसपास यह माहौल देखा है और इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। वो खुद को यह विश्वास दिलाते हैं कि उन्हें अपनी समस्याओं का हल खुद ही निकालना होगा।


3. थकान के बावजूद सहानुभूति की उम्मीद नहीं

पुरुषों की थकान को अक्सर इग्नोर किया जाता है। भले ही वे कितने ही थके हुए क्यों न हों, उन्हें बस, ट्रेन या वेटिंग एरिया में सीट मिलने की उम्मीद नहीं होती। इसके उलट, अगर उनके सामने कोई वृद्ध या महिला है, तो उन्हें अपनी सीट छोड़नी पड़ती है, चाहे वो खुद जमीन पर ही क्यों न बैठ जाएं।

यह स्थिति समाज के उस सोच को दर्शाती है जहां लड़कों की थकान और परेशानी को कम अहमियत दी जाती है।


4. इमोशन्स दिखाना कमजोरी मानी जाती है

"मर्द को दर्द नहीं होता" यह समाज का एक स्थापित विचार है। लड़कों से उम्मीद की जाती है कि वो अपने इमोशन्स को दबाएं और हर परिस्थिति में मजबूत बने रहें।

उदाहरण के लिए, अगर किसी लड़के के परिवार में किसी की मौत हो जाए, तो उससे कहा जाता है कि "बी स्ट्रॉन्ग। सब तुम्हें ही संभालना है।" इस दौरान वो अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की बजाय दूसरों का ख्याल रखने और चीजें व्यवस्थित करने में लगा रहता है।


5. दोस्ती में लॉजिक नहीं, केवल यारी चलती है

लड़कों की दोस्ती में लॉजिक का उतना महत्व नहीं होता जितना उनके दोस्त के प्रति वफादारी का। चाहे स्थिति कैसी भी हो, लड़के अपने दोस्तों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।

कॉमेडियन जाकिर खान ने अपने एक शो में कहा था, "मेरा दोस्त जानता है कि अगर मैं उसे किसी झगड़े के लिए बुला रहा हूं, तो वो भी पिटेगा। लेकिन फिर भी वो आएगा।" यही लड़कों की दोस्ती का मूल है, जिसे लड़कियां शायद ही समझ सकें।

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