Relationship Test : रील्स की दिवानी महिलाएं रील्स देखकर कर रहीं ‘रिलेशनशिप टेस्ट’

सोशल मीडिया सहित कई दूसरे मंचों पर भले ही आपको अपने रिश्ते में प्यार को मापने के कई पैमाने बताए जाएं, लेकिन इनको कभी दिल से न लगाएं। ये आपके रिश्तों को खराब कर सकते हैं.

Update: 2024-06-25 09:26 GMT

आजकल हर महिला सोशल मीडिया की दीवानी हो चुकी हैं. इसमें सबसे ज्यादा है रील्स देखना और उसे कॉपी करना. रील के हर टॉपिक को मानना. रील्स में जो दिखाया जाता है, उसे वे आंख बंद करके सच मान लेती हैं। इन्हीं रील्स और सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ न कुछ चलता ही रहता है, जिनमें से एक है- ‘रिलेशनशिप टेस्ट’। इसमें कभी बर्ड टेस्ट तो कभी ‘नेम अ वूमेन’ या ‘हस्बैंड टेस्ट’ वायरल होते रहते हैं, जिनको हम मस्ती-मजाक में आजमाने भी लगते हैं। मगर कई बार यही टेस्ट रिश्तों पर गलत असल भी डालते हैं।

सोशल मीडिया सहित कई दूसरे मंचों पर भले ही आपको अपने रिश्ते में प्यार को मापने के कई पैमाने बताए जाएं, लेकिन इनको कभी दिल से न लगाएं। ये आपके रिश्तों को खराब कर सकते हैं या फिर रिश्तों की मिठास को कम कर सकते हैं।

टेस्ट के परिणाम मनमाफिक हों, यह जरूरी तो नहीं! और जब ये परिणाम आपके पक्ष में नहीं आते तो आपको अंदर ही अंदर खोखला कर देते हैं। आप दोनों के बीच गलतफहमियां होने लगती हैं। इस कारण आपका रिश्ता देर-सवेर तार-तार होना शुरू हो जाता है।


टेस्ट का बढ़ता ट्रेंड

सोशल मीडिया का सबसे नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्तों पर पड़ता है। यह बात आपने कई जगहों पर पढ़ी और सुनी होगी, लेकिन इसे जानने का प्रयास कभी नहीं किया होगा। इन दिनों सोशल मीडिया पर अजीबो-गरीब रिलेशनशिप टेस्ट छाए हुए हैं। इनमें से लोकप्रिय रिलेशनशिप टेस्ट हैं- इमेज टेस्ट, ऑरेंज पील टेस्ट, केचप टेस्ट आदि। इसके अलावा लोग रिलेशनशिप के लिए टैरो कार्ड रीडिंग, ऑरेकल कार्ड रीडिंग, एंजेल नंबर, कैंडल वैक्स रीडिंग, रूम्स रीडिंग, नंबर सिलेक्शन आदि को सोशल मीडिया पर सुनते हैं।

कमाल की बात यह है कि ये रिलेशनशिप टेस्ट और रीडिंग सब लोगों के लिए एक समान ही होते हैं। ऐसे में इन पर विश्वास करना कहां की समझदारी होगी? आप पढ़ी-लिखी हैं, समझदार हैं, अच्छा-बुरा सब समझती हैं, फिर क्यों इन टेस्ट या रीडिंग्स में उलझकर अपने रिश्तों को खराब करती हैं?

सोशल मीडिया महज नाम से ही सोशल है। इसे वास्तविक रिश्तों से कभी मत तौलिए। सोशल मीडिया के भीतर सुख-दुख, क्रोध, अपमान, निराशा का एक वृहद संसार भी रचा जाता है। आप वहां जो देखती हैं, वो आपको वही दिखाने लगता है। आप दुखी हैं तो आपको केवल दुख भरा कंटेंट ही दिखाता है, जिससे आप जुड़ा हुआ महसूस करती हैं। इस कारण आप नकारात्मक भी होती जाती हैं।




जरूरी है सतर्कता

सोशल मीडिया आज ज्यादातर लोगों के जीवन का हिस्सा-सा बन गई है। यदि आपको इस परीक्षण से पता चलता है कि आपके रिश्ते को कुछ काम की आवश्यकता है तो मदद मांगने में संकोच न करें और रिश्ते में सुधार लाने का प्रयास करें। कई बार नकारात्मक परिणाम मिलते ही आप साथी से लड़ना शुरू कर देती हैं। बस, यहीं से रिश्तों में दरार आना शुरू हो जाती है, जबकि आप इस रिलेशनशिप टेस्ट का सकारात्मक रूप देखें तो यह आपके रिश्ते में परामर्शदाता के रूप में भी सामने आता है और आपको यह बताता है कि जोड़े के रूप में आपको अपने रिश्ते में क्या सुधार करने की जरूरत है। इसलिए उनसे लड़ाई-झगड़ा न करें। टेस्ट को गंभीरता से लेने से अच्छा है कि आप उनसे बात करें। अगर कोई परेशानी है तो मिलकर उसका समाधान निकालें।


समर्पण और टेस्ट में अंतर

आपका रिश्ता कुछ महीनों, साल, दो साल या बहुत सालों का है। ऐसे में रिश्ते की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह कोई टेस्ट नहीं बता सकता है। अगर आप अपनी मर्जी से इन टेस्ट को आजमाती हैं तो इसके सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के परिणामों के लिए तैयार रहें। फिर चाहे परिणाम कुछ भी हो, इसका असर आपके रिश्ते पर नहीं पड़ना चाहिए। वहीं जितना हो सके, इन फिजूल के टेस्ट, रीडिंग के चक्करों में न पड़ें। याद रखें कि जो आपका है, वह आपका ही रहेगा। एक स्वस्थ रिश्ते में सबसे ज्यादा जरूरी है बातचीत, आपसी सम्मान और प्यार को बनाए रखना। याद रखें, आपके प्यार को जताने के लिए आपको किसी रिलेशनशिप टेस्ट की जरूरत नहीं है। बस जरूरत है, रिश्तों को पनपने के लिए समर्पण की भावना रखने की।




धोखे भी है

हो सकता है, आपको इन टेस्ट को करना अच्छा लग रहा हो, लेकिन आपने इनके परिणामों के बारे में कभी सोचा है? शायद नहीं, तभी तो आपको अपने रिश्ते में इन फिजूल के टेस्ट की आवश्यकता पड़ रही है। दरअसल, ये सब आपको बहलाने के तरीके हैं। साथी के साथ अच्छी खबरें और खुशी के पल साझा करना अनमोल होता है। उनकी प्रतिक्रिया आपके रिश्ते की गुणवत्ता को बढ़ा या बाधित कर सकती है। एक साथी द्वारा सराहना की भावना, जो अक्सर सकारात्मक प्रतिक्रिया का परिणाम होती है, आपको उनकी अधिक सराहना करने के साथ-साथ जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील और उनके प्रति प्रतिबद्ध रहने की संभावना बनाती है। यह रिश्ते की संतुष्टि पर सबसे सकारात्मक प्रभाव डालती है। लेकिन इसका नकारात्मक होना आपके दिल को ठेस पहुंचा सकता है। आपको इसके नकारात्मक परिणामों से डरना नहीं, सचेत रहना चाहिए।

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रिश्ते न हों खराब

आपका रिश्ता अच्छा चल रहा हो या फिर बुरे दौर से गुजर रहा हो, लेकिन आप सोशल मीडिया में मन तोड़ने वाले इन टेस्ट के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें। यदि आपके रिश्ते में कोई दिक्कत आ रही है तो साथी से सीधी बात करें और बिना घबराए अपना पक्ष रखें। अगर वह आपसे किसी बात से नाराज है तो उसे जानने का प्रयास करें, न कि लड़ाई करने के नए-नए बहाने खोजें।

 ‘फेस टू फेस’ बात करें

रिलेशनशिप काउंसलर के अनुसार रिश्ते की उम्र कुछ भी हो, आपके रिश्ते भरोसे पर ही टिके होते हैं। आजकल के रिलेशनशिप टेस्ट में फेल होने का मतलब यह नहीं है कि आपका रिश्ता कमजोर है, लंबा नहीं चल पाएगा या फिर मन में यह बात रखना कि आपका साथी आपको धोखा दे देगा। ये सब आपके मन का वहम है, जो ये रिलेशनशिप टेस्ट आपके मन में डाल देते हैं। अगर टेस्ट के परिणाम नकारात्मक हैं तो उन को दिल पर न लें। अगर रिश्ते में किसी भी तरह की कोई समस्या आ रही है तो यहां-वहां भटकने से बेहतर है, दिल खोलकर साथी से ‘फेस टू फेस’ बात करें। अगर रिश्तों में परेशानी ज्यादा बढ़ती दिख रही है तो इन टेस्ट पर भरोसा करने की जगह अपने प्रियजनों और बड़ों से सलाह लें। रिश्ता कोई भी हो, बेहतर होगा कि उसमें घुटन महसूस होने पर उससे निकल जाएं। आखिर आपकी खुशियों का आसमान असीमित नहीं है।

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