Every Man Marries Twice : इस गांव में हर मर्द करता है दो शादी, पहली पत्नी ही करती है सौतन का स्वागत... वहीँ इन्स्टा-फेसबुक में भी छाया डबल वाइफ कपल

आजकल डबल वाइफ कपल की सोशल मीडिया में लाइन लगी हुई है. हर दूसरे दिन एक नई ट्रिपल जोड़ी प्यार भरे रील बनाने में लगी हुई है. ऐसे लोगों की फेसबुक और इन्स्टा में लाइन लगी हुई है. ऐसे ट्रिपल कपल आपको हर एक स्लाइड में देखने को मिल जाती है.

Update: 2024-04-19 08:03 GMT

भारत में कई ऐसे समुदाय हैं जो समय के साथ आए बदलावों से दूर ही रहना पसंद करते हैं. ये लोग आज भी सदियों पुराने रिवाजों के बंधन में जकड़े हुए हैं. ऐसे ही लोग हैं राजस्थान के जैसलमेर के रामदेयो गांव के. जहां भारत में एक शादी ही लीगल है, वहीं इस गांव में हर मर्द दो शादियां करता है. आमतौर पर महिलाएं अपनी सौतन को बर्दाश्त नहीं कर पाती. जैसे ही किसी महिला को अपने पत्नी के एक्स्ट्रा अफेयर या रिश्ते के बारे में पता चलता है, वो चंडी का रुप ले लेती है. लेकिन इस गांव में ऐसा कुछ नहीं होता. इस गांव में पहली पत्नी ही अपनी सौतन का स्वागत करती है. इसके बाद उसके साथ जिंदगी भर बहन की तरह रहती है. आखिर क्यों?

वहीँ दूसरी तरफ आजकल डबल वाइफ कपल की सोशल मीडिया में लाइन लगी हुई है. हर दूसरे दिन एक नई ट्रिपल जोड़ी प्यार भरे रील बनाने में लगी हुई है. ऐसे लोगों की फेसबुक और इन्स्टा में लाइन लगी हुई है. ऐसे ट्रिपल कपल आपको हर एक स्लाइड में देखने को मिल जाती है.  और ये सिर्फ रील बनाने के लिए ही नहीं असल जिंदगी में भी है.



 गाँव में असलियत या फ़साना?

रामदेयो गांव में हर मर्द दो शादियां करता है. इसके पीछे अजीबोगरीब कारण है. कहा जाता है कि जो भी मर्द इस गांव में एक शादी करता है, उसकी पत्नी कभी प्रेग्नेंट नहीं होती. अगर गलती से उसका बच्चा हो भी जाए तो वो बेटी ही जनती है. ऐसे में अपना वंश चलाने के लिए मर्द को दूसरी शादी करनी ही पड़ती है. लोगों का कहना है कि दूसरी शादी करने पर सबके बेटे ही पैदा होते हैं.


बहन की तरह रहती हैं सौतनें

जब कभी इस गांव में कोई मर्द दूसरी शादी करता है तो उसकी पहली पत्नी ही शादी की सारी तैयारियां करती है. अपने हाथ से वो अपनी सौतन को घर के अंदर लाती है. इतना ही नहीं, सुहागरात की तैयारी भी पहली पत्नी ही करती है. इसके बाद जिंदगीभर दोनों सौतनें बहनों की तरह रहती है. हालांकि, अब इस गांव के युवा इस रिवाज का विरोध करने लगे हैं. कई का कहना है कि मर्दों ने अपने फायदे के लिए ये रिवाज शुरू किया, जिसे बेचारी महिलाओं ने अपनी किस्मत समझ अपना लिया.

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