Emergency Pills: क्या ये फर्टिलिटी और हार्मोनल असंतुलन पर असर डाल सकती हैं?
आजकल महिलाएं असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए एमेरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सहारा लेती हैं। हालांकि, कई बार यह सवाल उठता है कि इन पिल्स का लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से क्या महिला की फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है या फिर इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है?
इस सवाल का जवाब देने के लिए प्रसिद्ध गायनेकोलॉजिस्ट, डॉ. नंदिता पालशेटकर ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में स्पष्ट किया है कि एमेरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल एक आपातकालीन उपाय के रूप में किया जाना चाहिए। वह इस बारे में विस्तार से बताती हैं कि इन पिल्स का ज्यादा सेवन महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
एमेरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का प्रभाव
डॉ. पालशेटकर के अनुसार, यदि आपने असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं और आपको गर्भधारण से बचना है, तो आप एमेरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का एक या दो बार इस्तेमाल कर सकती हैं। हालांकि, यह बहुत जरूरी है कि इसे बार-बार न लिया जाए। एक महीने में अगर आप इसे तीन से चार बार से ज्यादा लेते हैं, तो यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, जो महिला की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है।
हार्मोनल असंतुलन
एमेरजेंसी पिल्स में उच्च मात्रा में हार्मोन होते हैं, जो महिला के शरीर में हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। हार्मोनल असंतुलन होने पर ओव्यूलेशन में रुकावट आ सकती है, जिससे महिला की फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, इन पिल्स का अधिक इस्तेमाल गर्भावस्था को रोकने के बजाय महिला के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
कैसे काम करती हैं एमेरजेंसी पिल्स?
एमेरजेंसी पिल्स में सिंथेटिक प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होता है, जो ओव्यूलेशन को रोकता है या उसे देरी से होने का कारण बनता है। यह गर्भधारण की प्रक्रिया को रुकवाने में मदद करता है। हालांकि, यह पिल्स पहले से हो चुकी गर्भावस्था को समाप्त नहीं कर सकती। गर्भावस्था के बाद इसका कोई प्रभाव नहीं होता है, और इसलिए यह केवल गर्भधारण को रोकने के लिए असरदार होती हैं।
संभावित नुकसान
एमेरजेंसी पिल्स का बार-बार सेवन शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ओव्यूलेशन और फर्टिलाइजेशन में रुकावट आ सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक इन पिल्स का सेवन करने से सर्विकल म्यूकस पर भी असर पड़ सकता है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy) का खतरा भी बढ़ सकता है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।