Vat Savitri Vrat 2023 Date: वट सावित्री व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या-किस रंग का कपड़ा पहनना चाहिए सुहागिनों के इस दिन जानिए...

Vat Savitri Vrat 2023 Date: सौभाग्य और सुहाग से जुड़ी वट सावित्री व्रत की पूजा से जुड़े नियमो का पालन इस तरह करें, जानिए क्या क्या है....

Update: 2023-05-18 05:04 GMT

 Vat Savitri Vrat 2023

वट सावित्री व्रत 2023

वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलायें अपने अखंड सौभाग्य व सुख-समृद्धि की प्राप्ति की मनौती के साथ करती है। इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। बता दें कि वट सावित्री व्रत प्रत्येक साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को ही रखा जाता है। बता दें कि वट सावित्री व्रत  19 मई  शुक्रवार के दिन रखा जायेगा। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर इस दिन मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा आराधना करती है। मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र दिन महिलाओं द्वारा वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस पूजन में वट सावित्री व्रत कथा सुनने की भी परंपरा है।

कब है वट सावित्री व्रत ?

हिंदू पंचांग के मुताबिक-ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत  18 मई  09:43 PM से 19 मई 09:23 PM

 इस तिथि का समापन 09:23 PM 19 मई

वट सावित्री व्रत के दिन शुभ योग भी बन रहें हैं

हिन्दू पंचाग के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन शोभन योग 06:16 PM तक, उसके बाद अतिगण्ड योग रहेगा। इसलिए इस दिन सौभाग्यशाली महिलाओं द्वारा व्रत करना उनके लिए अति पुण्य फलदायी माना जा रहा है। 

वट सावित्री व्रत में क्या चाहिए खाना

आमतौर पर महिलायें वट सावित्री व्रत के पूजन के बाद अपना व्रत खोल लेती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं इस व्रत को पूरे दिन भी रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत के पूजन में जिन भी चीज़ों को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है, पूजन के उपरांत उन्हीं चीजों को महिलायें परिवार वालों को प्रसाद देने के बाद खाती है। बता दें कि वट सावित्री व्रत के पूजन में आम, चना, पूरी, खरबूजा, पुआ आदि सभी चीजों या पकवानों से वट वृक्ष की पूजा -आराधना की जाती है। व्रत समाप्ति के बाद इन्हीं चीज़ों को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

वट सावित्री व्रत में क्या पहनें

 हिंदू धर्म में किसी भी शुभ मौके पर लाल रंग (Red Color) का विशेष बहुत महत्‍व माना जाता है। फिर चाहे वो पूजा-पाठ के दौरान भगवान की मूर्ति के नीचे वस्‍त्र बिछाने की हो या सुहाग के रंग की हो या फिर अन्‍य शुभ कार्यों में प्रमुख रंगों के उपयोग की हो, सभी में लाल रंग का उपयोग ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए वट सावित्री व्रत के पूजन में भी अधिकतर महिलायें लाल रंग के वस्त्र को ही पहनती हैं। इसके साथ ही लाल चुन्नी, बिंदी, लाल चूड़ी और सिंदूर का भी इस दिन विशेष महत्त्व बताया गया है।

बता दें कि हिन्दू धर्म में लाल रंग के अलावा पीले और नीले रंग को विशेषता की प्रमुखता दी गई है। गौरतलब है कि इन्‍हीं तीन रंगों में हरा, केसरिया, नारंगी आदि रंग भी समाहित हैं। उल्लेखनीय है कि पंच तत्‍वों में से एक अग्नि की लौ में भी यही तीन मुख्य रंग नजर आने के जरिये भी इनके अहमियत को समझा जा सकता है। लेकिन बावजूद इसके लाल रंग को शुभ कार्यों हेतु विशेष दर्ज़ा प्राप्त है।

गौरतलब है कि दुल्हन का शुभ जोड़ा विशेषतः लाल रंग का ही होता है। ऐसा क्यों ये प्रश्न अभी भी अगर परेशान कर रहा है तो आइये जानते हैं लाल रंग की क्‍या खात बातों को :

- लाल रंग को अग्नि, रक्त और मंगल ग्रह का भी प्रतिक माना जाता है। क्योंकि इन सब का रंग भी लाल ही होता है।

- उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नए जीवन का प्रतीक लाल रंग को माना जाता है। वैसे ज्योतिषशास्त्र में लाल रंग को उग्रता का भी प्रतीक माना गया है। जिस कारण अधिक क्रोध करने वाले लोगों को लाल रंग के कपड़े नहीं या कम पहनने की सलाह दी जाती है।

- हिन्दू शास्त्रों के अनुसार लाल रंग को सुहाग का प्रतिक माना गया है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य में विवाहित महिलाएं लाल रंग की साड़ी और लाल सिंदूर जरूर लगाती हैं।

- बता दें लाल रंग प्रकृति (Nature) का भी प्रतिक माना जाता है। यूँ तो दुनिया में कई रंग -बिरंगे फूल मौजूद हैं लेकिन देखा जाए तो इनमें से अधिकतर फूल लाल रंग के होते हैं।

- प्रकृति की अजीब माया है। जीवन में रौशनी भरने वाले सूरज के सूर्योदय और सूर्यास्त का भी रंग लाल और केसरिया ही है।

- मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी को लाल रंग बेहद पसंद है। इसलिए मां लक्ष्मी के वस्त्र भी लाल हैं औरवे लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं। यहाँ तक के उनके पूजनके दौरान भी लाल रंग का कपड़ा बिछाकर ही उस पर उनकी प्रतिमा रखकर पूजा की जाती है।

- रामभक्त हनुमान को भी लाल और सिन्दूरी रंग अति प्रिय माना जाता हैं। बता दें कि हनुमान जी के पूजन में उन्हें सिन्दूर अर्पित करना बेहद शुभ होता है।

-शक्ति की प्रतिक मां दुर्गा के मंदिरों में भी लाल रंग का ही उपयोग सबसे ज्‍यादा किया जाता है। क्योंकि लाल रंग शक्ति का भी प्रतीक माना जाता है।

- पौराणिक कथाओं के अनुसार लाल रंग चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग होता है।

- हिंदू धर्म में शादी के जोड़े के रूप में दूल्‍हा-दुल्हन के लिए लाल रंग को ही प्रमुखता दी जाती है. मान्यता है कि यह रंग उनके भावी जीवन को खुशियों से भर देगा। 

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