Shani ka Badalav : शनि का बदलाव, इन लोगों को देगा मान-सम्मान और धन, इन विशेष मंत्रों के जाप से आप भी बने शनिदेव के कृपा पात्र...
Shani ka Badalav किसी जातक की कुंडली में ढैय्या या साढ़ेसाती आती है तब इस प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए बहुत से उपाय करने पड़ते हैं। ऐसा नहीं करने पर शनि के प्रकोप से बचना मुश्किल होता है ज्योतिष के अनुसार जब भी उनकी चाल में बदलाव होता है तो उसका असर पूरी सृष्टि चक्र पर देखने को मिलता है।
Effects OF Shani: शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दंड देते हैं। यही वजह है कि जब किसी जातक की कुंडली में ढैय्या या साढ़ेसाती आती है तब इस प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए बहुत से उपाय करने पड़ते हैं। ऐसा नहीं करने पर शनि के प्रकोप से बचना मुश्किल होता है। ज्योतिष के अनुसार जब भी उनकी चाल में बदलाव होता है तो उसका असर पूरी सृष्टि चक्र पर देखने को मिलता है। 9 मार्च को शनि देव का उदय हो रहा हैं। वे उस दिन कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। उसके प्रभाव से 4 राशियों के जीवन में तरक्की और धनलाभ के योग बन रहे हैं। इसमें वृष, सिंह, मकर और कुंभ भाग्यशाली राशियां है।
- वृष राशि शनि कर्मफल और भाग्य के स्वामी हैं। उनके उदय होना आपके लिए बहुत भाग्यशाली होने जा रहा है। नौकरीपेशा लोगों को जॉब के नए अवसर मिल सकते हैं। आपकी आमदनी बढ़ सकती है।
- सिंह राशि शनि आपकी राशि के सप्तम भाव में विराजमान हैं। इस शुभ प्रभाव से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। आप किसी नए काम की शुरू कर सकते हैं। आपकी मैरिड लाइफ अच्छी बीतेगी।
- तुला राशि शनि के उदय से नौकरी-कारोबार में तरक्की मिलने के योग बन रहे हैं। व्यापार और राजनीति से जुड़े लोगों को करियर में नई सफलता मिल सकती है।
- मकर शनि देव आपकी कुंडली के दूसरे भाग में उदित होने जा रहे हैं। इसके चलते आप जो भी कार्य करेंगे, उसमें आपको सफलता मिलेगी। अविवाहित लोगों को शादी के प्रस्ताव आ सकते हैं।
इसके अलावा जिनके लिए शनि का प्रभाव अच्छा नहीं है वो भी इस दौरान ये मंत्र जाप करें तो शनि की कृपा उन पर भी बरसेगी। जानते हैं वो कौन से मंत्र है... शनिदेव के कुछ मंत्र हैं इन विशेष मंत्रों के जाप से यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं। यदि किसी भी मंत्र की कम से कम 1 माला 108 बार इसका जाप करें।
बीज मंत्र-
- ॐ शं शनैश्चराय नम:
- शनि का वेदोक्त मंत्र-
- ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:
- श्री शनि व्यासविरचित मंत्र-
- ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।
- छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।
शनिचर पुराणोक्त मंत्र-
- सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय: द
- मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: