Sawan Ka Pahla Din सावन का पहला दिन मंगलागौरी व्रत हो रहा शुरू, जानिए महत्व पूजा विधि और व्रत रखने की वजह

Sawan Ka Pahla Din: सावन का पहला दिन मां पार्वती की पूजा की जाएगी। इस दिन मंगलवार है। और धर्मानुसार सावन के मंगलवार शिव की शंक्ति की पूजा का विधान है जो मंगलागौरी के व्रत से जाना जाता है इससे सौभाग्य बढ़ता है

Update: 2023-07-03 12:43 GMT

Sawan Ka Pahla Din: सावन का पहला दिन मंगलागौरी व्रत:  मंगलवार 4 जुलाई से शुरू हो रहा सावन के पहले दिन मंगलागौरी का व्रत होगा। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पूजा का विधान है। इससे सौभाग्य की वृद्धि  होती है।

 सावन शिव भक्ति के लिए जाना जाता है। इसलिए सब पूरी तरह से शिव की साधना में लीन होते हैं। कहा जाता हैं कि माता पार्वती ने भी शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए सावन महीने में ही कठोर तप किया था तथा उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। वही सावन में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है तथा विवाह में आ रही दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं.

साल 2023  सावन का पहला दिन मंगला गौरी व्रत है। इसी दिन से सावन महीने की शुरुआत भी हो जाएगी। सावन में अधिकमास लगने की वजह से सावन दो महीने का होगा और सावन में 9 मंगलवार पड़ेंगें। इस प्रकार से इस वर्ष सावन में कुल 9 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे, जिसमें सावन मास के चार और अधिकमास के 5 मंगला गौरी व्रत होंगे।

शुभ योग में सावन की शुरूआत मंगलागौरी व्रत

  • सावन का पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार 4 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन सावन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है।
     पहले मंगला गौरी व्रत पर इंद्र योग तथा त्रिपुष्कर योग भी रहेगा।
    मंगला गौरी व्रत की पूजा के लिए प्रातः 08:57 से दोपहर 02:10 तक का समय शुभ रहेगा।
    सुबह 10:41 तक लाभ मुहूर्त और 12:25 से 2:10 तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा
      •  सावन के पहले दिन ही मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को है।
      • सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई को है।
      • श्रवण अधिक मास का पहला मंगला गौरी व्रत 18 जुलाई को है।
      • श्रावण अधिक मास का दूसरा मंगला गौरी व्रत 25 जुलाई को है।
      • श्रावण अधिक मास का तीसरा मंगला गौरी व्रत 1 अगस्त को है।
      • श्रावण अधिक मास का चौथा मंगला गौरी व्रत 8 अगस्त को है।
      • सामान्य श्रावण का तीसरा मंगला गौरी व्रत 15 अगस्त को है।
      • सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त को है।

मंगला गौरी व्रत क्यों रखा जाता है?

सावन में पड़ने वाले सभी मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की मनोकामना से व्रत रखकर पूजा करती हैं। मान्यता है कि, कुंवारी कन्याएं अगर इस व्रत को करती हैं तो उन्हें उत्तम व योग्य वर की प्राप्ति होती है। साथ ही शीघ्र विवाह के योग भी बनते हैं

जिन लोगों का विवाह मंगल दोष या किसी अन्य वजहों से नहीं हो रहा है, वो मंगला गौरी व्रत के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। पूजा में श्री मंगला गौरी मंत्र ‘ॐ गौरीशंकराय नमः’ का 108 बार जाप करें। जब पूजा समाप्त हो जाए तो मां गौरी के चरण में सिंदूर चढ़ाएं तथा ऊंगली में बचा हुआ सिंदूर अपने माथे पर लगा लें। इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

सावन के महीने में मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठें। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद गुलाबी, नारंगी, पीले और हरे रंग के स्वच्छ सुंदर वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके पूर्वोत्तर दिशा में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछआएं।इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसमें माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।साथ ही एक बर्तन लें और उसमें पानी भरकर उसमें अक्षत का सिक्का, कुमकुम और हल्दी डालें। अब कलश के भीतरी भाग को पान के पत्तों से सजाएं और बर्तन के मुंह पर कुमकुम और हल्दी वाला नारियल लगाएं। कलश को ट्रे या प्लेट में रखने से पहले रंगोली बनाएं और उस पर कच्चे चावल फैलाएं।मंगला गौरी व्रत के दिन एक समय ही शुद्ध एवं शाकाहारी भोजन ग्रहण करना चाहिए। मंगलवार के दिन बंधुजनों को मिठाई का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।

 कहते है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने हेतु अत्यंत कठोर तपस्या की थी और वर्षों की तपस्या के पश्चात भगवान उन्हें प्राप्त होते हैं। इस प्रकार जिस प्रकार देवी पार्वती को अपना प्रेम प्राप्त होता है उसी प्रकार मंगलगा गौरी पूजन द्वारा सभी को उनका प्रिय अवश्य प्राप्त होता है। यह व्रत शुभ फल देता है। जो लोग सावन के महीने में रोजाना भगवान शिव एवं देवी पार्वती की पूजा नहीं कर सकते हैं। उन्हें सावन सोमवार-मंगलवार का व्रत करते हुए पूजा करनी चाहिए। इन दो दिनों का विशेष फल आपको अपने जीवन को सुखमय बनाने में सहायक होता है।

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