Rakhi Ka Tyohar Kab Hai: रक्षाबंधन 2023 का त्योहार कब है, इस साल कब से कब तक है भद्राकाल और राखी बांधने का शुभ समय

Rakhi Ka Tyohar Kab Hai: रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच अटूट प्रेम और पवित्रता के रिश्ते का प्रतीक है। पंचांग के अनुसार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है।

Update: 2023-06-27 12:30 GMT

Rakhi Ka Tyohar Kab Hai: 

2023 में रक्षा बंधन की तिथि 30 अगस्त, बुधवार होगी।धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो यमुना ने अपने भाई यमराज की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था, जिसके बाद यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। इस बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा।रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी, रक्षासूत्र या मौली बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। साथ ही भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच अटूट प्रेम और पवित्रता के रिश्ते का प्रतीक है। पंचांग के अनुसार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है।

2023 रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त

2023 में रक्षा बंधन के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • रक्षा बंधन मुहूर्त: 06:30 से 08:58 तक
  • रक्षा बंधन भद्रा काल मुहूर्त: 06:30 से 07:46 तक
  • रक्षा बंधन शुभ चौघड़िया मुहूर्त: दोपहर 01:18 से दोपहर 02:30 तक
  • रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त – 05:50 से 18:03
  • रक्षा बंधन समय अवधि – 12 घंटे 11 मिनट
  • प्रदोष काल – 20:08 से 22:18
  • प्रदोष समय अवधि – 02 घंटे 08 मिनट
  • अपराह्न समय – 13:44 से 16:23
  • अपराह्न समय अवधि – 2 घंटे 40 मिनट
  • रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय – रात 09:01
  • रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ – शाम 05:30 – शाम 06:31
  • रक्षा बन्धन भद्रा मुख – शाम 06:31 – रात 08:11

रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन भारत में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को श्रद्धापूर्वक मनाने से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और भाईचारे का अनुभव होता है। रक्षा बंधन को भाई-बहन के प्रेम के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है जो बहन की रक्षा के लिए संकेत होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु राजा बलि को वचन देकर पाताल लोक चले गए। तब माता लक्ष्मी से राजा बलि को धागा बांधकर भगवान विष्णु को राजा बलि से मांगा था। जिस दिन यह हुआ वह श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। इसी वजह से बहनों द्वारा बहनों को राखी बांधने की परंपरा इसी दिन से शुरू हुई थी।

ग्रंथों के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इंद्र देवता और उनकी पत्नी इंद्राणी की प्रार्थना पर गुरु बृहस्पति ने भगवान इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था। वहीं मां लक्ष्मी ने बाली को राखी बांधकर भाई बनाया था। यह भी माना जाता है कि द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ पर लगी चोट पर पट्टी बांध दी थी। और इसके बाद श्रीकृष्ण को द्रौपदी को अपना भाई मान लिया।

भद्राकाल में न बांधे राखी

 भद्रकाल में राखी बांधना अशुभ होता है। दरअसल, राहुकाल और भद्रा के दौरान शास्त्रों में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बांधने का कारण यह है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और और एक साल के भीतर ही उसका विनाश हो गया।इसलिए इस समय को छोड़कर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं। वहीं यह भी कहा जाता है कि भद्रा शनि महाराज की बहन हैं। उन्हें ब्रह्माजी ने श्राप दिया था कि जो भी भद्रा में शुभ कार्य करेगा उसे अशुभ फल मिलेगा। इसके अलावा राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती है।

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