Pitru Paksha 2023: श्राद्ध में इन 5 को क्यों कराया जाता है भोजन, जानिए पंच ग्रास का महत्व और नियम मंत्र

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2029 दिन शुक्रवार से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2023को खत्म हो रहे हैं ।p

Update: 2023-10-13 03:45 GMT

Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रमास की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे अपने स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में सच्चे श्रद्धा से पूजा करने से पितरों का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हिंदू पंचांग के मुताबिक़ पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2029 दिन शुक्रवार से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2023को खत्म हो रहे हैं । बता दें कि इसी दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि भी पड़ रही है। पितृ पक्ष में अपने पितरों और देवताओं को प्रसन्न करने के कई तरह के नियम और उपाय किये जाते है। 

पितृ पक्ष में क्या है पंचबली?

16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध में पंच ग्रास का विशेष महत्व माना जाता है, इसे ही पंचबली के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों ब्राह्मण भोजन कराने के अलावा गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों आदि को श्राद्ध का भोजन खिलाने की भी बहुत पौराणिक परंपरा है। मान्यता है कि पंचबली के भोजन से पितरों की आत्मा तृप्त होकर प्रसन्न हो जाती है और उन्हें सभी दोषों से मुक्ति भी मिलकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

पितृ पक्ष का महत्व

 पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद कर श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध उसी तिथि को किया जाता है, जिस तिथि को पितर परलोक गए हों। पौराणिक शस्त्रों के अनुसार श्राद्ध न केवल पितरों की मुक्ति या उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए किया जाता है बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान और आदर प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। हिन्दू धर्म में 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष में पंच ग्रास का विशेष महत्व माना जाता है, इसे पंचबली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों ब्राह्मण को भोजन कराने के अलावा गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों आदि को श्राद्ध का भोजन खिलाने बेहद आवश्यक है। धार्मिक मान्यता है कि पंचबली के भोजन से पितरों की आत्मा तृप्त होकर प्रसन्न हो जाती और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मान्यता तो यह भी है कि अगर पंचबली को भोग न लगाया जाय तो इससे पितर नाराज भी हो जाते हैं।

पितृ पक्ष में नियम

हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में पंचबली के माध्यम से पांच विशेष प्रकार के जीवों को श्राद्ध का बना भोजन कराने का विशेष नियम है। मान्यता है कि इन जीवों को भोग लगाने से पितरों की आत्मा तृप्त होने के साथ परिजनों द्वारा पालन किए जा रहे नियमों को देखकर पितर बेहद प्रसन्न होकर आशीर्वाद भी देते हैं। धर्मशास्त्रों के मुताबिक ऐसा करने पितृ दोष दूर होका पितरों द्वारा सुख-समृद्धि और आरोग्यता का आशीर्वाद भी मिलता है।

 इसके लिए सबसे पहले ब्राह्मणों के लिए पकाए गए भोजन को पांच पत्तल में निकालकर सभी पत्तल में भोजन रखें। फिर सभी के अलग-अलग मंत्र बोलते हुए एक-एक भाग पर अक्षत छोड़कर पंचबली समर्पित करने की परंपरा है।

  • पितृ पक्ष में सबसे पहला ग्रास या भोजन गाय के लिए निकाला जाता है, जिसे गो बलि के नाम से जाना जाता है।धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ पितरों की श्राद्ध तिथि पर सबसे पहला ग्रास गाय के लिए ही निकाला जाता है। मान्यता है कि पत्तल पर श्राद्ध का भोजन निकालते समय गाय माता का ध्यान अवश्य करें। इसका बेहद सावधानी से ध्यान रखें कि गाय को भोजन अपने हाथों से ही खिलाएं उसे गाय की तरफ फेंके नहीं।गाय को खाना खिलाते समय इस मंत्र का करें जप

    'ओम सौरभेयः सर्वहिताः, पवित्राः पुण्यराशयः।। प्रतिगृह्णन्तु में ग्रासं, गावस्त्रैलोक्यमातरः॥ इदं गोभ्यः इदं न मम्।।'

  •  दूसरा ग्रास कुत्ते को दिया जाता है , जिसको श्वान बलि के कहते हैं। फिर तीसरा ग्रास कौआ के लिए निकाला जाता है जिसे काक बलि कहते हैं।श्राद्ध का दूसरा ग्रास कुत्ते के लिए ही निकाला जाता है, जिसे शास्त्रों में कुक्कुर बलि कहा जाता हैं।कुत्ते को भोजन खिलाते समय इस मंत्र का करें जप

    'ओम द्वौ श्वानौ श्यामशबलौ, वैवस्वतकुलोद्भवौ ।। ताभ्यामन्नं प्रदास्यामि, स्यातामेतावहिंसकौ ॥ इदं श्वभ्यां इदं न मम ॥'

  • चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या फिर गाय को खिला दिया जाता हैकाक बलि के तौर पर कौए को भोजन सीधे पितरों को प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म में कौआ को यमराज का प्रतीक माना जाता है और शास्त्रों में इसे देव पुत्र भी कहा गया है। मान्यताओं के मुताबिक़ कौआ के ग्रास को छत पर रख दिया जाता है या फिर कौओं को बुलाकर भूमि पर रख दें, ताकि वे भोजन ग्रहण कर सकें।

    कौवे को भोजन कराने के समय इस मंत्र का करें जप

    'ओम ऐन्द्रवारुणवायव्या, याम्या वै नैऋर्तास्तथा ।। वायसाः प्रतिगृह्णन्तु, भुमौ पिण्डं मयोज्झतम् ।। इदं वायसेभ्यः इदं न मम ॥'

  • पांचवा ग्रास चीटियों के लिए सुनसान जगह पर रख देना चाहिए, जिसे पिपीलिकादि बलि के नाम से भी जाना जाता है।पांचवा ग्रास पिप्ल्किा यानी चीटियों के लिए निकाला जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार चीटियों को सामूहिकता का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रियों के अनुसार इस ग्रास के निकालने के बाद ब्राह्मणों को अवश्य भोजन करवाएं।

    चीटियों को भोजन देते समय इस मंत्र का करें जप

    'ओम पिपीलिकाः कीटपतंगकाद्याः, बुभुक्षिताः कमर्निबन्धबद्धाः।। तेषां हि तृप्त्यथर्मिदं मयान्नं, तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु॥ इदं अन्नं पिपीलिकादिभ्यः इदं न मम।।'

 इस पंचबलि के बाद ही ब्राह्मण को आदर पूर्वक भोजन कराकर दान-दक्षिणा देकर विदा करें व् बाद में खुद भोजन करें।पितृ पक्ष के समय ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर करवाएं, क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं। जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें। श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध की तिथियांं

पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितंबर 2023 शनिवार

प्रतिपदा श्राद्ध30 सितंबर 2023रविवार

द्वितीया श्राद्ध1 अक्टूबर 2023सोमवार

तृतीया श्राद्ध2 अक्टूबर 2023मंगलवार

महा भरणी3 अक्टूबर 2023बुधवार

पंचमी श्राद्ध4 अक्टूबर 2023गुरूवार

षष्ठी श्राद्ध5 अक्टूबर 2023शुक्रवार

सप्तमी श्राद्ध6 अक्टूबर 2023रविवार

अष्टमी श्राद्ध7 अक्टूबर 2023सोमवार

नवमी श्राद्ध8 अक्टूबर 2023मंगलवार

दशमी श्राद्ध9अक्टूबर 2023 बुधवार

एकादशी श्राद्ध10 अक्टूबर 2023गुरूवार

द्वादशी श्राद्ध11 अक्टूबर2023शुक्रवार

चतुर्दशी श्राद्12 अक्टूबर 2023शनिवार

सर्व पितृ अमावस्या13 अक्टूबर 2023रविवार



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