Pitra Paksh 2023: पितृ पक्ष 2023 कब से शुरू हो रहा, जानिए नियम और श्राद्ध की तिथियां

Pitra Paksh 2023:पितृ पक्ष श्राद्ध की शुरुआत भाद्रपाद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्‍या तक होता है। जो 16 दिन का समय होता है।16 संस्कारों में एक मृत्यु के उपरांत किया जाने वाला श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की पूजा दान तर्पण किया जाता है।

Update: 2023-09-13 09:53 GMT

Pitra Paksh 2023पितृ पक्ष 2023 कब से शुरू हो रहा है : 29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जायेगया। इस दौरान पितृ घर में विराजमान रहते है या उनकी छाया रहती है। और अपने वंशज का कल्याण करते हैं। घर में सुख-शांति-समृद्धि प्रदान करने के लिए श्राद्ध कर्म करने की विधि होती है ताकि इसमें कोई भूल न हो।

मान्यता है कि अगर  श्राद्ध न हो या श्राद्ध कर्म निष्फल हो तो पूर्वजों की आत्मा अतृप्त ही रहती है। शास्त्रसम्मत मान्यता यही है कि किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।

सनातन धर्म के 16 संस्कारों में एक मृत्यु के उपरांत किया जाने वाला श्राद्ध पक्ष है। जो 15 दिनों का होता है। इस दौरान पितरों की पूजा दान तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध की शुरुआत भाद्रपाद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्‍या तक होता है। जो 16 दिन का समय होता है। इस बार 29 सितंबर, श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है। जो14 अक्टूबर तक चलेगा।


पितृ पक्ष 2023 की तिथियांं 

    • पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितंबर 2023 शनिवार
    • प्रतिपदा श्राद्ध30 सितंबर 2023रविवार
    • द्वितीया श्राद्ध1 अक्टूबर 2023सोमवार
    • तृतीया श्राद्ध2 अक्टूबर 2023मंगलवार
    • महा भरणी3 अक्टूबर 2023बुधवार
    • पंचमी श्राद्ध4 अक्टूबर 2023गुरूवार
    • षष्ठी श्राद्ध5 अक्टूबर 2023शुक्रवार
    • सप्तमी श्राद्ध6 अक्टूबर 2023रविवार
    • अष्टमी श्राद्ध7 अक्टूबर 2023सोमवार
    • नवमी श्राद्ध8 अक्टूबर 2023मंगलवार
    • दशमी श्राद्ध9अक्टूबर 2023 बुधवार
    • एकादशी श्राद्ध10 अक्टूबर 2023गुरूवार
    • द्वादशी श्राद्ध11 अक्टूबर2023शुक्रवार
    • चतुर्दशी श्राद्12 अक्टूबर 2023शनिवार
    • सर्व पितृ अमावस्या13 अक्टूबर 2023रविवार

पितृ पक्ष के नियम

पितृ पक्ष के समय ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर करवाएं, क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं। जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें। श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए। श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल का होना जरूरी है। सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है। जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते।

श्राद्ध करने के लिए सबसे पहले जिसके लिए श्राद्ध करना है उसकी तिथि का ज्ञान होना जरूरी है। जिस तिथि को मृत्यु हुई हो उसी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए।  कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है कि हमें तिथि पता नहीं होती तो ऐसे में आश्विन अमावस्या का दिन श्राद्ध कर्म के लिए श्रेष्ठ होता है, क्योंकि इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। दूसरी बात यह भी महत्वपूर्ण है कि श्राद्ध करवाया कहां पर जा रहा है। यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए.भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें। श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।

श्राद्ध पितृ पक्ष 2023का महत्व

पितृ पक्ष या श्राद्ध अपने पितर,भगवान, परिवार और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का शुभ समय है। इस दौरान अपने पूर्वजों को याद करें और उनका तर्पण करवा कर उन्हें शांति और तृप्ति दें। ऐसा करने उनका आशीर्वाद सदा बना रहता है। पितृ पक्ष एक धार्मिक अनुष्ठान है जो पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करता है।श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद बना रहता है। श्राद्ध से जुड़े नियम कायदे-कानून को बहुत कम लोग जानते हैं। मगर इसे जानना जरूरी भी होता है। जो विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं करते वो अपने पूर्वजों के कोप का भाजन बनते हैं। पितरों को पिंडदान के साथ कुशा चावल, तिल, जल और जौ आटे से तर्पण किया जाता है।


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