Panchak Start Date In March 2023: मार्च में 2023 कब से कब तक रहेगा पंचक ? , भूलकर भी न करें ये सारे काम....

Update: 2023-03-16 09:39 GMT

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Panchak Start Date In March 2023: पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता। पंचक 5 दिनों का अशुभ समय है। जो अशुभ नक्षत्रों से मिलकर बनता है। इन 5 दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इस दौरान स्थिति यह होती है कि यदि परिवार में कोई बच्चा जन्म ले ले, तो भी पंचकों की शांति करवाई जाती है।

हिंदू धर्म में नए और शुभ कार्य से पहले मुहूर्त देखा जाता है, ऐसे इसलिए की शुभ मुहूर्त में किए काम सफल और समृद्धि लाते हैंतो अशुभ मुहूर्त खराब करता है। पंचक में मांगलिक कार्य निषेध है, इसमें नया व्यापार, नौकरी में बदलाव आदि नहीं करना चाहिए। इस बार मार्च में इस साल का तीसरा पंचक लगने वाला है। जानते हैं मार्च में पंचक कब से शुरू होगा और इस दौरान किन कार्यों को करने की मनाही है।

मार्च में 2023 कब से कब तक पंचक ?

19 मार्च 202.3, रविवार को सुबह 11.17 मिनट पर शुरू होंगे और इसका समापन 23 मार्च 2023 को दोपहर 02 08 मिनट पर होगा। ज्योतिष में रविवार से शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है।

पंचक में भूलकर भी न करें ये काम

रोग पंचक में हर तरह के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। अपने नाम स्वरूप ये पांच दिन तक शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ा देने वाला माना गया है। ऐसे में रोग पंचक की अवधि में पांच दिन तक सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें, क्योंकि इसके प्रभाव से बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ सकता है।

पंचक में न करें ये काम

पंचक के दौरान नई चारपाई, पलंग आदि नहीं बनवाने चाहिए और निबाड़ वाली चारपाई की बुनाई भी न करवाएं। पांच दिन दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, इसे यम की दिशा माना गया है। घर की छत न डलवाएं, न ही घर का निर्माण कार्य शुरु करें। मान्यता है कि पंचक में बनवाए गए घर में अशांति का माहौल रहता है।

पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अच्छा नहीं माना जाता है।

यदि किसी के घर में किसी की मृत्यु हो गई है, तो उसका दाह संस्कार तक इस दौरान नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन माना जाता है कि यदि किसी परिजन की मृत्यु पंचक में होती है तो, चन्दन की पांच लकड़ी को शव के साथ पूरे विधि-विधान के साथ दाह संस्कार क समय रख दें। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है और उसके बाद अंतिम संस्कार किया जा सकता है।

  • पंचक के समय लकड़ी काटना वर्जित माना गया है।
  • इस दौरान पेड़ के पत्ते तोडऩा भी वर्जित माना गया है।
  • पीतल, तांबा और लकड़ी का संचय करना भी अशुभ माना गया है।
  • पंचक के समय मकान की छत डालना, चारपाई बनाना, कुर्सी बनाना, चटाई आदि बुनना, गद्दियां बनाना या बनवाना भी वर्जित है।

'पंचक' कब लगता है

ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर गोचर करता है तब पंचक लगते हैं। जिस दिन से पंचक शुरू होता है उसी के आधार पर पंचक का नाम तय होता है जैसे रविवार से शुरू होने वाला रोज पंचक कहलाता है, सोमवार के दिन होने वाले पंचक को राज पंचक कहते हैं। मंगलवार के दिन से शुरू हो रहा अग्नि पंचक कहलाता है, बुधवार और गुरुवार से शुरू होने वाले पंचक दोषमुक्त कहलता हैं यानी इन्हें अशुभ नहीं माना जाता है। शुक्रवार को चोर पंचक और शनिवार से मृत्यु पंचक शुरू होता है। धनिष्ठा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती और शतभिषा नक्षत्र पर जब चंद्रमा गोचर करता है, तब पंचक काल लगता है।

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