Navratri Me Kanya Pujan kyu Jaruri Hai: नवरात्रि में कन्या पूजन जरूरी क्यों है?, जानिए कन्या की सही उम्र और किसे मिलता है विशेष लाभ

Navratri Me Kanya Pujan kyu Jaruri Hai:कन्या पूजन से मां बेहद प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनााओं को कर देती हैं। इतना ही नहीं देवी पुराण के अनुसार मां को हवन और दान से अधिक प्रसन्नता कन्या भोज से मिलती है।कन्या पूजन को बेहद फलदायी मानाते हुए कहा गया है

Update: 2023-03-29 09:21 GMT

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Navratri Me Kanya Pujan kyu Jaruri Hai

नवरात्रि में कन्या पूजन जरूरी क्यों है? 

नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।  रामनवमी  और  कन्या पूजन के साथ  चैत्र नवरात्रि का समापनन होगा। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर 9 कन्याओं के पूजन से देवी मां दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं।

मां दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग दिन वंदना की जाती है।  नवरात्रि आद्याशक्ति की आराधना का पर्व है। संसार को संचालित करने वाली माँ दुर्गा सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं। भारतीय संस्कृति में कुंवारी कन्याओं को को मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना गया है, इसीलिए नवरात्रि व्रत कन्या पूजन के बिना को पूरा नहीं माना जाता है। 

कन्या पूजन से इन लोगों को विशेष लाभ

मान्यतों के अनुसार कन्या पूजन से मां बेहद प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनााओं को कर देती हैं। इतना ही नहीं देवी पुराण के अनुसार मां को हवन और दान से अधिक प्रसन्नता कन्या भोज से मिलती है।कन्या पूजन को बेहद फलदायी मानाते हुए कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में बुध ग्रह बुरा फल दे रहा है, तो लोगों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। बता दें कि बुध की मित्र राशियां वृष, मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ होने के कारण इन राशियों के जातकों को कन्या पूजन का विशेष लाभ मिलता है। माता रानी के भक्त अष्टमी और नवमी के दिन छोटी-छोटी कन्याओं को माता का अवतार मान कर उनका पूजन कर उन्हें भोजन करा कर कुछ भेंट देते हैं। गौरतलब है कि इन कन्याओं के बीच एक लड़का भी अवश्य बिठाया जाता है ,जिसे लांगुर कहते हैं। कहा जाता है कि उसके बिना कन्या पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कन्याओं के पूजन में दो से दस वर्ष तक की कन्याओं को बिठाना उचित होता है । इसके लिए कन्याओं की संख्या नौ होना सर्वोत्तम बताया गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कन्याओं की संख्या के अनुसार ही कन्या पूजन का फल प्राप्त होता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन में 9 कन्याओं और एक लड़के का पूजन करना बेहद शुभ होता है।


धर्मा नुसार किस उम्र की कन्या पूजन किया जाए तो इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस उम्र की कन्या का पूजन करने से मिलता है कौन सा लाभ:

जानें किस उम्र की कन्या में कौन सी देवी

  • 2 वर्ष की कन्या- दरअसल दो वर्ष की कन्या को मां कुंआरी का स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से धन से जुड़े संकट दूर हो जाती हैं और धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • 3 वर्ष की कन्या- बता दे तीन साल की कन्या को देवी त्रिमूर्ति का स्वरूप मानते हैं। मां के इस स्वरूप का आराधना करने से धन, धान्य और जीवन में सकारात्मकता आती है.
  • 4 वर्ष की कन्या-चार वर्ष की कन्या की देवी कल्याणी का स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से परिवार के सदस्यों का कल्याण होता है और जीवन सुखमय बनता है।
  • 5 वर्ष की कन्या- पांच साल की कन्या देवी रोहिणी का रूवरूप मानी जाती है। मां के इस स्वरूप का पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है और परिवार के सदस्य सेहतमंद रहते हैं।
  • 6 वर्ष की कन्या- छह साल की कन्या का मां कालिका के रूप में पूजा किया जाता है। मां का यह स्वरूप देवी शक्ति और विजय का प्रतीक हैं और इनकी पूजा करने से शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है।
  • 7 वर्ष की कन्या- 7 साल की बालिका को मां चंडिका का रूप समझा जाता है और उनका विधिपूर्वक पूजन करते हैं। दरअसल यह देवी का उग्र स्वरूप है और इनकी पूजा करने से विजय, धन, ऐश्वर्य सबकुछ प्राप्त होता है।
  • 8 वर्ष की कन्या-बता दे आठ साल की कन्या देवी शांभवी का स्वरूप होती है। मां के इस स्वरूप का पूजन करने से कोर्ट कचहरी या वाद विवाद से जुड़े मामलों की सफलता प्राप्त होती है।
  • 9 वर्ष की कन्या-दरअसल नौ वर्ष की कन्या को साक्षत् मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है। दरअसल इस कन्या का पूजन करने से शत्रु पराजित होते हैं और सफलता प्राप्त होती है। साथ ही पुराने कार्य भी बनते हैं।
  • 10 वर्ष की कन्या- 10 साल की बच्ची को देवी सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है। बता दे कि मां की इस स्वरूप का पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और कष्ट दूर होते हैं।

कन्या पूजन 2023 की अष्टमी मुहूर्त

अष्टमी तिथि 09:07 PM तक उपरांत नवमी

अभिजीत मुहूर्त: नहीं है

अमृत काल - 09:02 AM से 10:49 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:50 AM से 05:38 AM

विजय मुहूर्त: 02.27 PM से 03.14 PM

गोधूलि मुहूर्त: 06.13 PM से 06.37 PM

कन्या पूजन 2023 की नवमी मुहूर्त

नवमी तिथि 11:30 PM तक उपरांत दशमी

 पूजा का समय 11:18 AM - March 30, 1:44 PM

अभिजीत मुहूर्त - 12:07 PM से 12:55 PM

अमृत काल - 08:18 PM से 10:05 PM

गोधूलि मुहूर्त: 05.58 PM से 06.22 PM

ध्यान रहें सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को विदा करते समय पैसा, अनाज या वस्त्र दक्षिणा स्वरूप देकर उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। उसके बाद अपना व्रत समाप्त कर भोजन ग्रहण करें।

कन्या पूजन की कथा

कथानुसार जम्मू कश्मीर के कटरा जिले के पास एक हंसाली गांव में श्रीधर नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह एक पंडित था जो मां दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था और अक्सर उनकी पूजा में लीन रहा करता था। श्रीधर की एक भी संतान नहीं थी जिसकी वजह से वह काफी दुखी रहा करता था। एक दिन उसने नवरात्रि का व्रत किया और कन्या पूजन के लिए कन्याओं को आमंत्रित किया। इन्हीं कन्याओं में एक प्यारी कन्या का रूप धारण करके मां वैष्णो उसके घर पधारीं।श्रीधर ने सच्चे दिल से सभी कन्याओं का आदर-सम्मान किया और भोजन करवाया। भोजन ग्रहण करने के बाद सभी कन्या वहां से चली गईं लेकिन माता वैष्णो वहीं श्रीधर के पास रुक गईं। उस छोटी कन्या ने श्रीधर को भंडारा रखावने का और पूरे गांव को आमंत्रित करने का आदेश दिया। कन्या की बात मानकर पंडित श्रीधर ने ठीक वैसा ही किया। श्रीधर द्वारा आयोजित किए गए भंडारे में भैरवनाथ भी आया था। कहा जाता है कि यहीं से भैरवनाथ के अंत का आरंभ हुआ था। यह भंडारा रखवा कर श्रीधर को संतान प्राप्ति हुई। तब से लेकर अब तक नवरात्रि में कन्या पूजन किया जाता है।

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