Kundli Me Dhan Ka Yoga Kaise Banta hai,कुंडली कब बनता है धन योग, किस योग से मिलता है आपको पिता, पुत्र, ननिहाल और ससुराल से धन

Kundli Me Dhan Ka Yoga Kaise Banta hai: किसी भी व्यक्ति की कुंडली में धन तभी मिलता है जब कुंडली में कुछ शुभ स्थिति होती है। और ग्रहों की शुभ दृष्टि पड़ती है तो जातक धनवान बनता है, अन्यथा कंगाल रहता है। जानते हैं किस कुंडली में होता हैं धन का योग....

Update: 2023-08-15 05:30 GMT

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Kundli Me Dhan Ka Yoga Kaise Banta hai:

कुंडली में धन का योग कैसे बनता है

कुंडली में बारह भाव होते हैं और इन भावों में स्थित सभी नौ ग्रह के अलग योग बनते हैं। किसी किसी को कम मेहनत में ही काफी कुछ मिल जाता है जो वह चाहता है और कई लोगों को पूरी जिंदगी मेहनत करने के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगता। दरअसल यह सब किस्मत का खेल है। व्यक्ति के भाग्य में जो होता है वही उसे मिलता है और इसके लिए जिम्मेदार है उसकी जन्मकुंडली में मौजूद विशेष ग्रह योग। करोड़पति बनना कौन नहीं चाहता, आप स्वयं अपनी कुंडली देखकर पता कीजिए कि क्या आपके करोड़पति बनने के योग हैं।ग्रहों की स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ के आधार पर ही व्यक्ति के सुख-दुख और धन संबंधी मामलों पर विचार किया जाता है।

जन्म कुंडली के दूसरे घर को वित्त के घर के रूप में जाना जाता है और ग्यारहवां घर वित्तीय लाभ का घर है। इन दोनों घरों का संबंध एक धन योग बनाता है। लग्न कुंडली में द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव और एकादश भाव या इनका स्वामी कुंडली में जुड़ा हो तो यह धन योग का निर्माण करता है। इसके अलावा कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादश भाव का स्वामी द्वितीय भाव में हो तो धन योग का निर्माण होता है। इन घरों के अलावा, बृहस्पति और शुक्र जैसे ग्रह भी क्रमशः धन और भौतिक लाभ हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन ग्रहों और भावों के कई संयोजन हैं जो आपकी कुंडली में धन योग के निर्माण को जन्म देते हैं।

जानते हैं कुंडली के 7 ऐसे खास योग, जो धन संबंधी बातें से जुड़े हुए हैं

कब टिकता है कुंडली में पैसा

  • जन्म कुंडली का दूसरा घर या भाव धन का होता है। इस भाव से धन, खजाना, सोना-चांदी, हीरे-मोती आदि बातों पर विचार किया जाता है। साथ ही, इस भाव से यह भी मालूम होता है कि व्यक्ति के पास कितनी स्थाई संपत्ति रहेगी। ये हैं इस भाव से जुड़े कुछ योग...
  • जिस व्यक्ति की कुंडली में दूसरे भाव पर शुभ ग्रह स्थित हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को बहुत धन प्राप्त हो सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के दूसरे भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो, तो वह व्यक्ति हमेशा गरीब होता है। ऐसे लोग कठिन प्रयास करते हैं, लेकिन धन एकत्र नहीं कर पाते हैं।
  • यदि कुंडली के दूसरे भाव में किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो, तो वह व्यक्ति धनहीन हो सकता है। ये लोग कड़ी मेहनत के बाद भी पैसों की तंगी का सामना करते हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो तो वह बहुत धनवान होता है। उसके जीवन में इतना धन होता है कि उसे किसी भी सुख-सुविधा को प्राप्त करने में अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता है।
  • यदि जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा स्थित हो और उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो उस व्यक्ति के परिवार का धन भी समाप्त हो जाता है।
  • यदि कुंडली में चंद्रमा अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति आजीवन गरीब ही रहता है। ऐसे व्यक्ति को आजीवन अत्यधिक परिश्रम करना होता है, परंतु वह अधिक पैसा नहीं प्राप्त कर पाता।
  • यदि जन्म पत्रिका में सूर्य और बुध दूसरे भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति के पास पैसा नहीं टिकता।

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धन योग एक शुभ योग है और यदि किसी के पास कुंडली में यह योग है, तो यह जातक के लिए बहुत अधिक धन लाएगा। यह योग जातक की आर्थिक स्थिति को बढ़ाएगा। कुंडली में धन योग वाला व्यक्ति धनवान, दानशील, दयालु होता है और जीवन के सभी सुखों को अपने पास रखता है। ऐसा व्यक्ति ईश्वर में आस्था और विश्वास करने वाला होता है। यह योग न केवल आपको धन प्राप्ति के बारे में बताता है बल्कि पैसे बचाने और अनावश्यक खर्चों से बचने की आपकी क्षमता को भी मजबूत करता है। साथ ही, यह आपको उचित निवेश करने में मदद करता है जो भविष्य में फलदायी परिणाम लाते हैं। 

कुंडली कब बनता है पिता, ननिहाल और ससुराल से धन का योग

  •  दशम स्थान में सूर्य-शुक्र, या सूर्य-राहु की युति हो, दशमेश चतुर्थ स्थान में हो, तो जातक को पिता के द्वारा धन की प्राप्ति होती है। चौथे स्थान में चंद्र-शुक्र की युति हो, चतुर्थ स्थान बलवान हो, तो जातक माता के द्वारा धन प्राप्त करता है।
  • तृतीयेश और धनेश की युति नवम स्थान में हो, या भाग्येश और धनेश की युति तीसरे स्थान में हो, तो जातक को भाई के द्वारा धन लाभ होता है।  चतुर्थेश तथा सप्तमेश का परिवर्तन योग हो, तो पत्नी, या ससुराल से धन लाभ होता है। भाग्येश का सप्तम स्थान में होना आवश्यक है।
  • जातक का जन्म लग्न कन्या हो और अष्टम स्थान में बुध, चंद्र तथा शनि की युति हो एवं सप्तम स्थान में शुक्र हो, तो जातक वर्ग को ससुराल से धन लाभ होता है। पंचमेश और धनेश की युति पंचम स्थान में हो, या पंचमेश पर धनेश की दृष्टि हो, या दोनों उच्च के, स्वग्रही हों, तो पुत्र से धन लाभ होता है।
  •  षष्ठेश की शुभ ग्रह के साथ युति हो, धनेश और भाग्येश की छठे स्थान में युति हो, तो जातक को ननिहाल से धन लाभ होता है। जातक का जन्म लग्न मिथुन हो एवं द्वितीयेश उच्च स्थान में हो, तो जातक को पैतृक धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • सप्तमेश और धनेश साथ-साथ हों तथा उन पर शुक्र की पूर्ण दृष्टि हो, तो जातक को ससुराल से धन लाभ होता है। सप्तमेश शुक्र राशि में हो, या सप्तमेश और शुक्र की युति हो तथा सप्तमेश एवं भाग्येश का किसी प्रकार का शुभ संबंध हो, तो जातक को ससुराल से प्रचुर धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
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