Hanuman Chalisa Ke Totke: अपनाएं हनुमान चालीसा के ये अचूक उपाय, सभी बाधाएं होंगी दूर
Hanuman Chalisa Ke Totke: हनुमान जी की कृपा से सभी तरह के ग्रह दोष, शारीरिक कष्ट, और मानसिक तनाव दूर हो सकते हैं. आइए जानते हैं हनुमान चालीसा के कुछ प्रभावी उपायों और टोटकों (Hanuman Chalisa Ke Totke) के बारे में जो आपके जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकते हैं.
Hanuman Chalisa Ke Totke: हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और उनकी पूजा से कई प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. हनुमान चालीसा का पाठ और इसके साथ किए गए उपाय व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाने का एक प्रभावी तरीका माने जाते हैं. कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से सभी तरह के ग्रह दोष, शारीरिक कष्ट, और मानसिक तनाव दूर हो सकते हैं. आइए जानते हैं हनुमान चालीसा के कुछ प्रभावी उपायों और टोटकों (Hanuman Chalisa Ke Totke) के बारे में जो आपके जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकते हैं.
1. ग्रह क्लेश मिटाने के लिए हनुमान चालीसा का उपाय
कई बार घर में ग्रह कलेश की समस्या बनी रहती है, जो परिवार के सदस्यों के बीच तनाव और असमंजस पैदा कर सकती है। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करके इसका समाधान पा सकते हैं. इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है(Hanuman Chalisa Ke Totke).
• मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाएं और गुड़ और चना अर्पित करें.
• सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें, लेकिन ध्यान रखें कि पाठ शुरू करने से पहले और आधे घंटे बाद किसी से बात न करें.
• यह उपाय 21 दिन तक करें, तो हनुमान जी को चोला चढ़ाएं. इससे आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगेगा और ग्रह क्लेश कम होने लगेगा.
2. शनि ग्रह से परेशान हैं तो हनुमान चालीसा का यह उपाय करें
शनि ग्रह के प्रभाव से होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए हनुमान चालीसा एक प्रभावी उपाय(Hanuman Chalisa Ke Totke) है. यदि आपको शनि दोष से मुक्ति चाहिए, तो ये उपाय करें.
• हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाएं और वहां पूजा करें.
• शराब और मांसाहार का सेवन न करें.
• शनिवार के दिन भी हनुमान चालीसा का पाठ करें या फिर सुंदरकांड का पाठ करें.
• इस उपाय से शनि ग्रह का नकारात्मक प्रभाव कम होगा और आपको शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलेगी.
3. शारीरिक और मानसिक संकट दूर करता है हनुमान चालीसा का पाठ
अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, बीमारी, या अन्य संकट हो, तो हनुमान चालीसा का पाठ प्रभावी रूप से मदद कर सकता है. विशेषकर दो पंक्तियां जो इस स्थिति में अत्यंत प्रभावी मानी जाती हैं.
• "संकट मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा"
• "संकट तें हनुमान छुडावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै"
इन पंक्तियों का जप करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में नई उम्मीद आती है. और संकटों से मुक्ति मिलती है. यह पाठ मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है.
4. बंधन मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा का उपाय
यदि आपको किसी भी प्रकार का बंधन महसूस हो, चाहे वह किसी रोग का हो, शोक का हो या अन्य किसी प्रकार का बंधन हो, तो हनुमान चालीसा का नियमित पाठ इस समस्या से निजात दिला सकता है.
• अगर कोई व्यक्ति रोजाना 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो वह हर प्रकार के बंधन से मुक्त हो जाता है.
• "जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बन्दि महा सुख होई" इस पंक्ति का मतलब है कि यदि कोई 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है तो वह सभी बंधनों से मुक्त होकर सुखी हो जाता है.
5. बुराइयों को दूर करता है हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ न केवल शारीरिक और मानसिक कष्टों को दूर करता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन से बुराइयों को भी दूर करता है. हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है.
यदि आप अपने जीवन में बदलाव चाहते हैं और चाहतें हैं कि आपके जीवन से सभी प्रकार की बुराइयाँ, दुख और संकट समाप्त हो जाएं, तो हनुमान चालीसा का नियमित पाठ अवश्य करें. यह आपके जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और सफलता लाने का एक अद्भुत तरीका हो सकता है.
!! श्री हनुमान चालीसा !!
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।