Ganga dussehra ka shubh muhurat kab hai : गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त 29 या 30 मई कब है, जानिए इस तिथि की महिमा

Ganga dussehra ka shubh muhurat kab hai : गंगा दशहरामां गंगा का जन्मदिवस गंगा जयंती । इस दिन अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भगीरथ ने स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाए थे। मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था।

Update: 2023-05-29 04:15 GMT

Ganga Dussehra 2023 Kab Hai

गंगा दशहरा 2023 कब है?

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा होता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में गंगा दशहरा का अपना महत्व है। इस दिन किया गया पुण्य क्रम का दोगुना फल मिलता है।इस साल 2023 में गंगा दशहरा 30 मई  को पड़ रहा है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

मां का गंगा का अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में हुआ था। हस्त नक्षत्र का आरंभ 29 मई 11:49 AM –  30 मई 01:08 PM होगा। 

दशमी तिथि आरंभ:  29मई 11:49 AM 

दशमी तिथि समापन: 30 मई 01:08 PM तक रहेगा

भिजीत मुहूर्त -11:57 AM से 12:50 PM

अमृत काल – 11:37 PM से 01:19 AM

ब्रह्म मुहूर्त –04:08 AM से 04:56 AM

विजय मुहूर्त- 02.14 PM से 03.08 PM

गोधूलि बेला- 06.37 PM से 07.01 PM

निशिता काल- 11.39 PM से 12. 20 AM तक 31 मई

सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:45 AM से 06:00 AM


गंगा दशहरा की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले सुबह उठकर साफ-सफाई करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें, अगर संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल से स्नान करें और घर में भी गंगाजल छिड़के। उसके बाद गंगाजल मिलाकर सूर्य को जल चढ़ाए, साथ में गंगाजल से ही शिव का अभिषेक करें। ध्यान पूजा व्रत और मंत्र जाप से मां गंगा का ध्यान करें और मोक्ष की कामना करें। उसके बाद जरूरतमंदों को दान में वस्त्र जूता चप्पल, मिट्टी का मटका और छाता , सत्तू दान करें। घर में माता-पिता और बुजुर्गों को सम्मान दें साथ में पितरों को जल चढ़ाए। आसपास सरोवर, तलाब या गंगा नदी में दीपदान करें । इस दिन बुराई चोरी झूठ फरेब से बचना चाहिए।

गंगा दशहरा का महत्व

मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है।गंगा दशहरा के दिन सुबह गंगा नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही पान के पत्ते पर फूल और अक्षत रखकर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश होता है। इसलिए दशहरा के दिन शुद्ध मन से मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।

गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण का दिन या कहे धरती पर मां गंगा का जन्मदिवस गंगा जयंती । इस दिन अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भगीरथ ने स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाए थे। मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है। स्कंदपुराण, भविष्यपुराण, शिवपुराण आदि ग्रंथों में मां गंगा की महिमा का बखान है और बताया गया है कि कैसा कालो काल से मां गंगा पतित पावन धरती को पवित्र कर रही है। साथ में शिव भगवान कैसे मां गंगा को अपनी जटा में धारण करते हैंं। महर्षि व्यास ने गंगा की जलधारा और उसके रहस्य का बखान पद्मपुराण में किया है। गंगाजल से लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव है। सालों साल गंगा जल को रख लिया जाए तब भी उसमें कीड़े नहीं पड़ते हैं।


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