Ashadha-Amavasya 2023 Shubh Muhurat: 17 या 18 जून कब है आषाढ़ अमावस्या, जानिए सही तारीख और महत्व

Ashadha-Amavasya 2023 Shubh Muhurat:अमावस्या के दिन स्नान दान कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। इस बार अमावस्या के साथ उदयतिथि होने की वजह से रविवार को भी अमावस्या मनाया जाएगा। कहते हैं कि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा के साथ दान और शिव भगवान को जलाभिषेक करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।

Update: 2023-06-14 00:50 GMT
Ashadha-Amavasya 2023 Shubh Muhurat: 17 या 18 जून कब है आषाढ़ अमावस्या, जानिए सही तारीख और महत्व
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Ashadha-Amavasya 2023 Shubh Muhurat:

आषाढ़ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष पड़ते हैं। शुक्ल पक्ष की 15 वी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की 30 वीं तिथि को अमावस्या पड़ता है। अमावस्या तिथि का अपना खास महत्व होता है। इस दिन को पितरों की याद में पूजा, जप-तप और दान दिया जाता है। इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि १८ जून रविवार के दिन पड़ रही है।

आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि की शुरूआत 17 जून शनिवार को सुबह 09 . 11 मिनट पर हो रही है. आषाढ़ अमावस्या तिथि अगले दिन रविवार 18 जून को सुबह 10 .06 मिनट तक मान्य रहेगी। उदयाति​थि के आधार पर आषाढ़ अमावस्या 18 जून को है। उस दिन ही स्नान दान और पूजा पाठ किया जाएगा। उससे पहले 17 जून को आषाढ़ की दर्श अमावस्या होगी।

अभिजीत मुहूर्त- 12:03 PM से 12:56 PM

अमृत काल-09:10 AM से 10:58AM

ब्रह्म मुहूर्त-04:11 AM से 04:59 AM

विजय मुहूर्त- 02:18 PM से 03:13 PM

आषाढ़ अमावस्या स्नान और दान का मुहूर्त सुबह 07 . 08 मिनट से दोपहर 12.37 मिनट तक है. इसमें भी सुबह 08 . 53 मिनट से सुबह १०.37 मिनट तक लाभ-उन्नति मुहूर्त है, जबकि सुबह 10. 37 मिनट से दोपहर 12 . 37 मिनट तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है।

आषाढ़ अमावस्या का महत्व

अमावस्या के दिन स्नान दान कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। इस बार अमावस्या के साथ उदयतिथि होने की वजह से रविवार को भी अमावस्या मनाया जाएगा। कहते हैं कि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा के साथ दान और शिव भगवान को जलाभिषेक करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके सूर्य भगवान को जल देने का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पितरों की शांति के लिए दान करते हैं। इस दिन यज्ञ करने का अनंत फल मिलता है। व्यक्ति को पितरों की शांति के लिए गरीबों की सेवा करनी चाहिए और जरूरतमंदों को खाना और दक्षणा देनी चाहिए। इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है।

अगर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान हो रखे हैं। धन की कमी को दूर करने के लिए अमावस्या के दिन पितरों के नाम से पूजा-शांति करवाए और पीपल के वृक्ष में दीपदान करने से शांति मिलती है। आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि मौसम में बदलाव के साथ जीवन में भी बदलाव के संकेत देती है। इस समय से बरसात की शुरुआत हो जाती है। जो मौसमी बीमारियों को दावत देती है। ऐसे में हमे इस दिन साफ-सफाई के साथ नियम और धार्मिक कृत्य करने चाहिए। इससे ईश्वर की कृपा बरसती है।

अमावस्या पर न करें ये काम

आषाढ़ अमावस्या के दिन बाल नहीं धोना चाहिए। खेतों में हल नहीं चलाना चाहिए और खेत जोतना भी नहीं चाहिए। आषाढ़ अमावस्या के दिन खरीदना-बेचना नहीं चाहिए। इस दिन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। आषाढ़ अमावस्या के दिन घर में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए। इस दिन अपने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी जरूरतमंद की मदद की करनी चाहिए।

आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा , पितरों को जल और दान देना चाहिए । इससे हर दोष और कुंडली पितृ दोष का भी निवारण होता है।मान्यता है की आषाढ़ अमावस्या में किए गए पितरों के तर्पण से वह प्रसन्न होते है और सुख -समृद्धि का आशीर्वाद देते है। इस दिन खासतौर से पितरों को प्रसन्न करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

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