संजय के. दीक्षित
तरकश, 1 अगस्त 2021
राजस्व बोर्ड के चेयरमैन सीके खेतान के रिटायरमेंट ने छत्तीसगढ़ के कम-से-कम तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों की रातों की नींद छीन ली…खासकर 30 जुलाई की रात…पता नहीं कल मेरा ही आदेश निकल जाए। दरअसल, राजस्व बोर्ड की पोस्टिंग पनिशमेंट पोस्टिंग मानी जाती है। मध्यप्रदेश के समय भी ऐसा होता था और अब छत्तीसगढ़ में भी…राजस्व बोर्ड में उसी अफसर को भेजा गया, जिससे सरकार खुश नहीं। केडीपी राव, बीएल अग्रवाल, डीएस मिश्रा, रेणु पिल्ले, सीके खेतान। पिछली सरकार ने तो रेणु पिल्ले के आदेश में लिख दिया था…मुख्यालय बिलासपुर रहेगा। मध्यप्रदेश में भी जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो शिवराज सिंह के सिकरेट्री इकबाल सिंह को राजस्व बोर्ड भेज दिया था। मगर शिवराज सिंह आए तो उन्होंने इकबाल को चीफ सिकरेट्री बना दिया और कमलनाथ ने गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव बनाया था, उन्हें राजस्व बोर्ड भेज दिया।
लहर गिनकर पैसा
राजस्व बोर्ड का चेयरमैन चीफ सिकरेट्री रैंक का कैडर पोस्ट है। यानी आईएएस ही इस पद पर बैठ सकता है। इसे पनिशमेंट इसलिए माना जाता है कि अगर लहर गिनकर पैसा कमाने वाला आदमी हो, तभी कुछ कर पाएगा। वरना, घर के लिए सब्जी, राशन और प्लेन का टिकिट भी जेब से कराना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में एक सीनियर आईएएस ने इस पद पर रहते हुए जरूर कयामत ढा दिया था। इतना कि कलेक्टर, कमिश्नर त्राहि माम करने लगे थे। कलेक्टरों के सारे आदेश उन्होंने पलट डाला। सरकार ने हालांकि, लूप लाईन समझकर आईएएस को वहां भेजा था। मगर बाद में उनकी धमाचौकड़े देखते रमन सरकार को उन्हें बिलासपुर से वापिस बुलाना पड़ गया।
बिना सीएस बने
87 बैच के आईएएस चितरंजन कुमार खेतान 34 साल की सर्विस पूरी कर 31 जुलाई को रिटायर हो गए। छत्तीसगढ़ में रिकार्ड तीन बार डीपीआर, सीपीआर रहने वाले खेतान रायपुर के कलेक्टर भी रहे। सिकरेट्री के तौर पर गृह, सिंचाई, अरबन, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, फॉरेस्ट जैसे विभाग संभालने वाले खेतान को ताउम्र मलाल रहेगा कि छत्तीसगढ के उन तीन अफसरों में शामिल हो गए, जिन्हें सुपरशीट करके जूनियर को चीफ सिकरेट्री बनाया गया। छत्तीसगढ़ में सुपरशीट होने वालों में बीकेएस रे, पी राघवन, बीके कपूर और नारायण सिंह का नाम आता है। रमन सरकार ने बीकेएस, राघवन और कपूर को सुपरशीट करके शिवराज सिंह को चीफ सिकरेट्री बनाया था। इनमें राघवन के खिलाफ भोपाल में कोई जांच थी और कपूर डायरेक्ट आईएएस जरूर थे लेकिन अपने पारफारमेंस की वजह से कभी सीएस की दौड़ में नहीं रहे। सही मायने में कहा जाए तो बीकेएस रे सुपरशीट हुए। उसके बाद जब सुनिल कुमार को मुख्य सचिव बनाया गया तो नारायण सिंह उनके सीनियर थे। नारायण को तब बिजली नियामक आयोग में भेजा गया। खेतान को तकलीफ कुछ ज्यादा हुई होगी कि उन्हीं के बैच और उन्हीं के स्टेट के आरपी मंडल चीफ सिकरेट्री बन गए…उन्हें सुपरशीट करके। हालांकि, ये बात भी सही है कि चीफ सिकरेट्री और डीजीपी वही बनता है, जिसके माथे पर लिखा होता है। इन दोनों पदों का आमतौर से पारफारमेंस से कोई रिश्ता नहीं होता। वरना, गिरधारी नायक जैसे आईपीएस डीजीपी बनने से वंचित नहीं हो जाते। आप लिस्ट देख लीजिए…छत्तीसगढ़ में कैसे-कैसे सीएस और डीजीपी हुए हैं। इससे आप सब समझ जाएंगे।
पहली बार….
राज्य बनने के बाद से राजस्व बोर्ड में अभी तक डायरेक्ट आईएएस ही चेयरमैन बनते आए थे। अलबत्ता, यह पहला अवसर होगा, जब राप्रसे से आईएएस बने उमेश अग्रवाल को सरकार ने मेम्बर बनाया है। और अभी तक के संकेतों के अनुसार वे ही रेवन्यू बोर्ड को संभालेंगे। उमेश के आदेश ने ब्यूरोक्रेसी को चौंका दिया। क्योंकि, इस पोस्ट के लिए एक जेंस और दो लेडी अधिकारियों के नाम की अटकलें चल रही थी। लेकिन, बताते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद उमेश के नाम को फायनल किया। उमेश की छबि तेज और साफ-सुथरी अफसर की रही है। उन्हें काफी नॉलेजेबल अधिकारी माना जाता है। खासकर रेवन्यू के बारे में। उमेश दुर्ग के कलेक्टर रहे हैं। लिहाजा, उनके कामधाम से मुख्यमंत्री भी नावाकिफ नहीं थे। कह सकते हैं, पहली बार रेवन्यू बोर्ड में काम के आधार पर पोस्टिंग हुई है। यानी अब…..नो पनिशमेंट पोस्टिंग।
बदलेगा रुल
एसीबी, ईओडब्लू में मध्यप्रदेश के समय से चला आ रहा है कि कोई भी व्यक्ति अगर किसी अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत करता है, तो अफसर के नाम से रजिस्टर में मामला दर्ज कर लिया जाता है। बिना किसी पड़ताल किए। फिर विधानसभा का बजट सत्र हो या मानसून और शीत…एक सवाल ईओडब्लू और एसीबी के दागी अफसरों पर जरूर पूछा जाता है। इस बार यह प्रश्न धर्मजीत सिंह ने लगाया था। जवाब में 40 से अधिक आईएएस, रिटायर आईएएस, आईपीएस के नाम आए। ईओडब्लू चूकि जीएडी में आता है। जीएडी मुख्यमंत्री के पास है। मुख्यमंत्री ही इसका जवाब देते हैं, इसलिए और इस पर मुहर लग जाता है। बहरहाल, अब पता चला है कि एसीबी इस नियम को बदलने पर विचार कर रहा है। कोई शिकायत आएगी तो उसे जांच उपरांत रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। इससे भ्रष्ट अफसरों को तो फायदा होगा…लेकिन चंद अच्छे अफसर नाम खराब होने से बच जाएंगे।
विवेकानंद की प्रमोशन
सात महीने देर से सही, विवेकानंद सिनहा का एडीजी प्रमोशन हो गया। प्रमोशन के बाद उनकी पोस्टिंग नहीं हुई है, वे दुर्ग आईजी बने रहेंगे। आईबी में तीन साल का डेपुटेशन पूरा कर डीआईजी बद्री मीणा भी छत्तीसगढ़़ लौट आए हैं। समझा जाता है कि विवेकानंद के साथ ब्रदी की पोस्टिंग की फाइल भी अगले हफ्ते मूव होगी। मुख्यमंत्री तय करेंगे कि विवेकानंद और बद्री को कहां पोस्ट किया जाए। अगर विवेकानंद को रायपुर बुलाया जाएगा तो सरगुजा के बाद दुर्ग में भी नए आईजी की पोस्टिंग करनी होगी। सरगुजा को एडिशनल तौर पर बिलासपुर आईजी संभाल रहे हैं। सुना है, ओपी पाल का नाम वहां के लिए चल रहा है। सरकार अगर विवेकानंद को पुलिस मुख्यालय लाए, तो दुर्ग में हो सकता है 2004 बैच के किसी आईपीएस को प्रभारी आईजी बना दिया जाए। वैसे कोई जरूरी नहीं कि एडीजी बनने के बाद रेंज में नहीं रहा जा सकता। हिमांशु गुप्ता काफी समय तक एडीजी के रूप में दुर्ग संभाले थे।
एक महल, दो गेट
राजमहलों की उंची दिवारों के भीतर क्या-क्या होते हैं….हैरान करता है। एक महल की सूबे की सियासत में कभी तूती बोलती थी। मगर समय बदला…दो भाइयों का झगड़ा इस लेवल पर पहुंच गया कि अब एक-दूसरे को देखना गवारा नहीं। गुस्से में कहीं कोई अनर्थ न हो जाए, इसलिए दोनों का आमना-सामना न हो…महल में एक अलग से ़द्वार बनाया जा रहा है। दोनों भाई अब अलग-अलग गेट से महल में प्रवेश करेंगे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईजी से एडीजी प्रमोट हुए विवेकानंद सिनहा को क्या पुलिस मुख्यालय में नक्सल प्रभारी बनाया जाएगा?
2. किस जिले के एसपी को डीजल चोरी कराने की एवज में हर महीने 10 लाख रुपए बंधा है?