Monsoon Session of the Assembly: पूर्व सीएम ने खोल दिया बड़ा राज: विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर बघेल ने कहा...

Monsoon Session of the Assembly: छत्‍तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। 5 दिनों तक चलने वाले इस सत्र की तैयारी चल रही है। विपक्ष भी अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। इस बीच पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने आज बड़ा राज खोल दिया।

Update: 2024-06-27 14:28 GMT

Monsoon Session of the Assembly: रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस बेहद आक्रामक रहने वाली है। पार्टी ने सदन के अंदर सरकार को घेरने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर रही है। पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए उन मुद्दों की जानकारी दी जिस पर सदन के अंदर सरकार को घेरने की तैयारी है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि विधानसभा सत्र की घोषणा हो गई है। संसदीय कार्य मंत्री इस्तीफा दे दिए है, शिक्षा सत्र शुरू हुआ है। शिक्षा मंत्री ही नहीं है। अभी स्कूलों में ताला लगे हैं। स्कूलों की बिल्डिंग नहीं है, कहीं शिक्षक नहीं है, कहीं एकल शिक्षक है उसकी शिकायतें लगातार आ रही है और उसमें भी तालाबंदी तक की नौबत आ गई है।

विधानसभा सत्र के लिये हमारे पास तो मुद्दे बहुत है। एक तो सबसे बड़ी बात है बलौदाबाजार में जो आगजनी हुआ है, कुकदूर में 19 लोगों की मौते हुई है। आये दिन हत्याएं, बलात्कार हो रही हैं सबसे ज्यादा कवर्धा जिले में हो रहा है, गृह मंत्री के क्षेत्र में हो रहा है, दर्जनों हत्या, दर्जनों बलात्कार की घटनाएं और कानून व्यवस्था नाम की चीज रही नहीं ये तो सबसे बड़ा मुद्दा है। दूसरा मानसून सत्र शुरू होने वाला है जो खेती किसानी से जुड़ा हुआ मामला है। मानसून वैसे ही विलंब है। खाद बीज की उपलब्धता नहीं के बराबर है। उस मामले में भी सवाल उठाया जाएगा। शिक्षा सत्र चल रहा है, ये मुद्दे भी उठेंगे। विपक्ष के पास तो मुद्दे ही मुद्दे है। इसको लगातार उठाया जाएगा लेकिन समय कम है इसको बढ़ाया जाना चाहिये।

वीर नारायण सिंह जी महापुरुष है हमारे छत्तीसगढ़ के और डॉ. खूबचंद बघेल के स्वप्न दृष्टया के रूप में उसे याद करते है और जिस दिन सत्र शुरू हो रहा है 22 जुलाई उस दिन पुण्यतिथि है और ऐसे समय में सरकार के द्वारा नाम बदले जाना दुर्भाग्यजनक है। डॉ. बघेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है। समाज सुधारक है। मध्यप्रदेश में विपक्ष के नेता भी थे। पंडित रवि शंकर शुक्ल के मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव थे। लम्बा उनका कार्यकाल रहा राज्यसभा सदस्य के रूप में उन्होंने सेवाएं दी। सामाजिक क्षेत्र से राजनीतिक क्षेत्र में, लेखन में उनका बड़ा योजना रहा है। ऐसे महापुरुष के नाम हटाया जाना बेहद दुर्भाग्यजनक है। नाम करना है तो वीर नारायण सिंह जी के नाम से और योजनाएं किया जा सकता है। अभी जिस प्रकार से महेंद्र कर्मा जी के नाम से जो तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना हम लोगों ने शुरू किया था उसको भी बंद कर दिया गया है। इस प्रकार से महापुरुषों के नाम से जो योजनाएं हम लोगों ने शुरू किया था उसको बंद किया जाना। स्वामी आत्मानंद के नाम से जो स्कूल शुरू किए थे, शिक्षा क्षेत्र में उसका योगदान रहा है। उनके पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे है। वो विवेकानंद आश्रम से जुड़े रहे और यहाँ जो नारायणपुर में जो आश्रम है उन्हीं की देन है।

पंचायती राज में भी काम कियो थे। जो पुर्नवास 1978 की लड़ाई में बंगाली आये उन्हें बसाने के लिये मंदिर निर्माण रोक के राहत काम में पैसा लगा दिये थे। ऐसे व्यक्ति के नाम से जो योजनाएं हम लोगों ने संचालित किया उसका लगातार नाम बदलने की कोशिश की जा रही है जो कि दुर्भाग्यजनक है।

राजधानी रायपुर में भी घंटों बिजली गुल, ग्रामीण क्षेत्रों में कई-कई दिनों तक बिजली नहीं है। बिजली बिल बेतहाशा आ रहा है, चाहे घरेलू उपभोक्ता की बात करे, चाहे पंप कनेक्शन की बात करे बिजली बिल बढ़े हुये दरों पर आ रहा है। बिजली आ नहीं रही है और बिजली बिल मनमाना आ रहा है। किसी भी क्षेत्र में आज देख ले बद से बदतर स्थिति है। विष्णुदेव साय से सरकार संभल नहीं रही है। न व्यवस्था समझ आ रहा है, न खाद बीज की व्यवस्था कर पा रहे है, बस केवल नाम बदल रहा है।

पूरे प्रदेश में खाद बीज की शिकायत लगातार मिल रहा है, इसमें अमानक बीज के अनेक शिकायतें आ रही हैं, जिसमें से 70-80 प्रतिशत तक के अंकुरित नहीं है, केवल 20-30 प्रतिशत अंकुरित हो रहा है। एक तो वैसे भी मानसून रूठा हुआ है। औसत बारिश कम हुई है। खाद, बीज का नहीं मिलना, लगातार खेती के कमी की शिकायतें हो रही हैं, यूरिया के शिकायतें आ रही हैं, और अमानक बीज की शिकायतें आ रही हैं। दूसरी तरफ जुन का महीना बीतने जा रहा है, अभी तक के धान संग्रहण केंद्रों से, सोसाइटियों से धान का उठाव नहीं हो पाया है, जबकि पिछले साल मार्च में एक-एक दाना धान का उठाव हो चुका था। इस साल, सरकार के लापरवाही से, अनेक संग्रहण केंद्रों में धान अभी भी पड़े हुये हैं, और उसमें पूरा यह है, कि जो सुखत है, शासन की लापरवाही से, धान पड़े हुये हैं, 72 घंटे के अंदर, ये सोसाइटियों से उठा लेना था, लेकिन ये उठाये नहीं, और उसके लापरवाही के कारण से धान लाखों टन गर्मी, बरसात के कारण से नुकसान हुआ है।

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ का पत्र आज ही उनके प्रतिनिधि मिला, और बताया कि अधिकारी सोसाइटी के कर्मचारियों को धमकी दी जा रही है, कि ये जो सुखत का जो अंतर है, जो सुख गया है, जो नुकसान हुआ है, उसके भरपाई तुम करो नहीं तो तुम्हारे खिलाफ एफआईआर किया जायेगा। जबकि इसी प्रकार की घटना पहले भी भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल पूर्ववर्ती सरकार में भी हुआ था। हमारे शासन काल में जब करोना काल आया था, तो ट्रांसपोर्टिंग बंद था, और उसके कारण से धान उठाव नहीं हुआ था, उस समय भी नुकसान हुआ था, और सुखत आया था, उसके भरपाई शासन की तरफ से किया गया था। आज यदि सरकार के लापरवाही से यदि उठाव नहीं हुआ है, तो उसका खामियाजा समिति के कर्मचारी, अधिकारियों को नहीं होना चाहिये।

विधानसभा के सामने में यदि कोई सुरक्षित नहीं है। चंदन जैसे कीमती पेड़ काट दिये जाये तो इसी से समझा जा सकता है कि सरकार कैसे चल रही है। सरकार परीक्षा नहीं ले पाती। चाहे नेट की बात करे, चाहे नीट की बात करे, शिक्षक पात्रता की परीक्षा उसमें भी गड़बड़ी हुई है मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा उसके जवाब नहीं आया। वर्तमान मुख्यमंत्री को पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्र लिखे उसमें कम से कम जवाब तो आना चाहिये क्या एक्शन लिये? जनहित का मुद्दा है। सैकड़ों बच्चों के भविष्य का सवाल है। न दिल्ली में, न छत्तीसगढ़ में, न उत्तर प्रदेश में कही भी परीक्षा नहीं ले पा रहे है।

जब से विष्णुदेव सरकार आयी है तब से गौ-तस्करी बेतहाशा वृद्धि हुई है। बागनदी बार्डर में आप देखेंगे जवान को रौंदते हुये गाड़ी चली गयी। ये पूरी मिलीभगत से हो रहा है। इसी प्रकार से सारे बार्डरों में गौ-तस्करी हो रहा है। छत्तीसगढ़ में इसकी जबरदस्त वृद्धि हुई है। जबकि पांच साल की हमारी शासनकाल में ऐसी कोई शिकायत नहीं आयी है। गौठान योजना बंद कर दिये है। अब रोका छेका का समय भी आ रहा है। फसल की रोपाई भी शुरू हो जायेगी। फसल की सुरक्षा किस प्रकार से होगी। इसलिये सारे मवेशी की तस्करी हो रही। पशुधन ही न रहे ये भारतीय जनता पार्टी की षड़यंत्र की सरकार चल रही है। समय-समय पर विभागीय बैठक की समीक्षा होनी चाहिये। सभी विभागों की चर्चा होती है।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लिया गया है कि जिन राज्यों के चुनाव परिणाम विपरीत आये है वहां केंद्रीय पर्यवेक्षक आकर समीक्षा करेगी। नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। कल आयेंगे और रायपुर, महासमुंद लोकसभा कार्यकर्ताओं, पदाधिकारी से मिलेंगे उसके बाद बिलासपुर, कांकेर जायेंगे। रायपुर में दुर्ग और राजनांदगांव लोकसभा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की राय लेंगे।

पहले दिन ही जनदर्शन में जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों के खिलाफ शिकायते आ रही है। एक व्यक्ति यह कहते हुये शिकायत किया कि साजा के विधायक ने दो लाख रू. लेकर मामला दबा दिया है, यह बहुत गंभीर बात है। इसी प्रकार से अधिकारियों के खिलाफ शिकायते आ रही है, कि किसी की जमीन हड़प लिया है, ये तो आम बात हो गई है। पहले रमन सिंह जी कहते थे कि एक साल कमीशनखोरी बंद कर दो, और अभी अब देखिये कि किस प्रकार से विधायक के खिलाफ दो लाख लेने की बात आम जनता की ओर से आ रही है।

दूसरी तरफ ये है कि आज कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। पेण्ड्रा की घटना दिलदहला देने वाली है, एक बेटी बाजार में खड़ी हुई है, और एक व्यक्ति आता है और उसे चाकू मार देता है, और उसे गिरा के उसका गला रेत देता है। यह घटनायें हो रही है। कहीं मॉब लिंचिंग हो रहा है, कहीं आगजनी हो रहा है, और अभी सिरपुर पुरातात्विक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। वहां जेसीबी ले के खुदाई कर रहे हैं, जिसमें गणेश की मूर्ति भी निकली हैं। वन विभाग ने हालांकि जप्त कर लिया है, लेकिन आज तक कभी सिरपुर में जेसीबी का उपयोग नहीं हुआ था, अब उस प्रकार से खुदाई हो रही है। प्राचीन मूर्ति की चोरी का सिलसिला शुरू हो गया है। कानून व्यवस्था बिल्कुल लचर है। शहर में भी चाकू बाजी की आम बात हो गई है। पेण्ड्रा बिल्कुल शांत क्षेत्र कहलाता है। अब अपराधियों के इतने होसले बढ़ गया हैं कि वो दिनदहाड़े हत्या कर रहे हैं। महिला का गला रेत दिया गया है बड़ी ही दिलदहला देने वाली घटना है। अब तो सत्ता पक्ष के लोग भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे हैं। यह स्थिति है कि कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं रही है।

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